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भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता का सम्मान करे चीन : जयशंकर

नयी दिल्ली : चीन…भारत के बीच बढ़ती असहजता के परिप्रेक्ष्य में भारत ने आज कहा कि वह चीन की सरकार को आश्वस्त करने का प्रयास कर रहा है कि इसकी प्रगति चीन के लिए हानिकारक नहीं है और संप्रभुता से जुड़े मामलों में दोनों देशों को संवेदनशील होना चाहिए. विदेश सचिव एस. जयशंकर ने दक्षेस […]

नयी दिल्ली : चीन…भारत के बीच बढ़ती असहजता के परिप्रेक्ष्य में भारत ने आज कहा कि वह चीन की सरकार को आश्वस्त करने का प्रयास कर रहा है कि इसकी प्रगति चीन के लिए हानिकारक नहीं है और संप्रभुता से जुड़े मामलों में दोनों देशों को संवेदनशील होना चाहिए.

विदेश सचिव एस. जयशंकर ने दक्षेस में ‘‘बाधा डालने” के लिए पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि एक सदस्य देश की असुरक्षा के कारण क्षेत्रीय समूह ‘‘अप्रभावी” बन गया है. आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ‘‘सबसे गंभीर” खतरा बताते हुए उन्होंने वैश्विक स्तर पर खतरे से निपटने में समन्वय नहीं होने को लेकर अफसोस जताया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जरुरत है ताकि यह बड़ी चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपट सके.

रायसीना सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश सचिव एस. जयशंकर ने चीन…पाकिस्तान आर्थिक परिपथ पर कड़ी आपत्ति जताई जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरता है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर भारत की नाराजगी पर चीन को विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘चीन ऐसा देश है जो अपनी संप्रभुता को लेकर काफी संवेदनशील है. इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि उन्हें दूसरों की संप्रभुता को भी समझना चाहिए.” विदेश सचिव का बयान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान के एक दिन बाद आया है जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि दोनों पक्षों को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और एक…दूसरे की मुख्य चिंताओं और हितों का सम्मान करना चाहिए.
मोदी ने कल कहा था कि संबद्ध देशों की संप्रभुता का सम्मान कर ही क्षेत्रीय संपर्क मार्ग को पूरा किया जा सकता है और ‘‘मतभेद तथा कलह” से बचा जा सकता है. जयशंकर ने कहा, ‘‘हम चीन को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि हमारी प्रगति चीन के विकास के लिए हानिकारक नहीं है जिस तरीके से चीन की प्रगति भारत के लिए चिंता की कोई बात नहीं है.” डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन का जिक्र करते हुए विदेश सचिव ने कहा कि अमेरिका और रुस का संबंध काफी बदल सकता है जो 1945 के बाद से नहीं देखा गया और इसके प्रभाव का अनुमान लगाना कठिन है.
इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि अमेरिका और रुस दोनों देशों के साथ भारत के संबंध प्रगति पर हैं और अमेरिका…रुस के बीच संबंधों में सुधार भारतीय हित के खिलाफ नहीं है. चीन के साथ समझौते पर जयशंकर ने कहा कि संबंधों में विस्तार हो रहा है खासकर व्यवसाय और लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्रों में लेकिन कुछ राजनीतिक मुद्दों पर मतभेद के कारण ये कम प्रभावी दिखते हैं.
जयशंकर ने कहा, ‘‘दोनों देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सामरिक प्रकृति की वार्ता से पीछे नहीं हटें या परस्पर सहयोग की प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटें.” चीन पाकिस्तान आर्थिक परिपथ (सीपीईसी) पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक…दूसरे की संप्रभुता के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए.
जयशंकर ने कहा कि सीपीईसी ‘‘उस जगह से गुजरता है जिसे हम पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहते हैं जो भारत का क्षेत्र है और जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रुप से कब्जा कर रखा है.” उन्होंने कहा कि परियोजना को भारत की सलाह के बगैर शुरू किया गया और इसलिए इसको लेकर संवेदनशीलता और चिंताएं स्वाभाविक हैं. चीन के साथ भारत के संबंधों के बारे में उन्होंने कहा कि 1945 के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी प्रगति हुई है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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