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अति आत्मविश्वास ले डूबा आम आदमी पार्टी को

!!ओम थानवी, वरिष्ठ पत्रकार!! आम आदमी पार्टी का पंजाब में शुरू में उठाव बहुत ही अच्छा था. काफी समय तक आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपनी पकड़ बरकरार रखी हुई थी, लेकिन बाद इनमें अतिरिक्त आत्मविश्वास घर कर गया. आम आदमी पार्टी के नेता अपने आपको जीता हुआ मान कर बरताव करने लगे. ये […]

!!ओम थानवी, वरिष्ठ पत्रकार!!

आम आदमी पार्टी का पंजाब में शुरू में उठाव बहुत ही अच्छा था. काफी समय तक आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपनी पकड़ बरकरार रखी हुई थी, लेकिन बाद इनमें अतिरिक्त आत्मविश्वास घर कर गया. आम आदमी पार्टी के नेता अपने आपको जीता हुआ मान कर बरताव करने लगे. ये लोग पहले ही तय करने लगे कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा और मंत्रिमंडल कैसा होगा, उपमुख्यमंत्री दलित समुदाय से होगा वगैरह. पहले ही मंत्रिमंडल बना कर बैठ गये. यही अतिआत्मविश्वास आम आदमी पार्टी की हार का कारण बना.

मैं चुनावों के दौरान पंजाब गया था. एक मित्र ने कहा कि पंजाब के मतदाताओं को अरविंद केजरीवाल की तरफ से रिकॉर्डेड संदेश आया है कि हमारी सरकार आयी, तो हम जेलों में बंद निर्दोष लोगों को रिहा कर देंगे. इसका लोगों ने अलग ही मतलब निकाला. लोगों को लगा कि ये जेलों में बंद किन लोगों को बरी करेंगे. पंजाब में प्रचार हुआ कि ये उग्रवाद के पक्षधर लोग हो सकते हैं. बड़ी मुश्किल से पंजाब उग्रवाद से मुक्त हुआ है. समस्याओं से निकल कर बाहर आया है. ये अगर उग्रवादियों से मिल गये हैं, ऐसा संदेश लोगों के बीच खड़ा किया. हालांकि, इसका कोई आधार रहा होगा. जिस प्रकार से विदेश से एनआरआइ आये, उसका अलग तरह से प्रचार हुआ. लेकिन, जो अरविंद केजरीवाल का संदेश लोगों के बीच गया कि हम कैदियों को रिहा कर देंगे, उसे भी जोड़ कर देखा गया.

इसके अलावा पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक केपीएस गिल, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी, उन्होंने चुनाव से पहले कुछ ऐसा ही बयान दिया था, जिससे लोगों को संदेश गया कि ‘आम आदमी पार्टी’ अलगाववादी लोगों के साथ मिल कर चुनाव लड़ रही है. निश्चित ही ये बात आम आदमी पार्टी की छवि को खराब करने में बड़ा कारण रही होगी. लेकिन, आम आदमी पार्टी को जितनी सीटें मिली हैं, उससे दिल छोटा करने की बात नहीं है. अनजान जगह पर, जहां पहले कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, वहां मुख्य विपक्षी पार्टी बनना, कम नहीं है.

जहां तक अरविंद केजरीवाल के पंजाब जाने का सवाल था, तो उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि पंजाब का ही कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बनेगा. हालांकि, कांग्रेस शुरू में ज्यादा सक्रिय नहीं थी, लेकिन बाद में कांग्रेस ने भी काफी मेहनत की. लोगों के दिमाग में अरविंद केजरीवाल को लेकर थोड़ा संदेह था, लेकिन कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं था. कांग्रेस के लोग अकाली-भारतीय जनता पार्टी के गंठबंधन को हराने के लिए लोग पहले से ही मन बना चुके थे. यही वजह है कि लोगों ने कांग्रेस का रुख किया. आम आदमी पार्टी एक नयी पार्टी है, उन्हें पंजाब के चुनावों से सबक लेना चाहिए. उन्होंने इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किन लोगों का समर्थन लें और किस प्रकार का संदेश लोगों को दें, वह ज्यादा महत्वपूर्ण है. जब आप नयी जगहों पर जाते हैं, तो आपका लक्ष्य ऐन-केन प्रकारेण नहीं होना चाहिए. वहां आपका पहला लक्ष्य जगह बनाने का होना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी को पूरे देश में जगह बनाने में समय लग रहा है. ऐसे कई प्रदेश हैं, जहां वे लोग अभी शुरुआत ही कर रहे हैं. इसके लिए धीरज चाहिए, अचानक कोई फैसला लेने से बचना चाहिए. ‘आप’ को लगता है कि जैसे दिल्ली में सत्ता मिली, वैसे ही हर जगह सफलता मिल जायेगी, ऐसा मान कर नहीं चलना चाहिए. कोई भी फैसला बहुत सोच-समझ कर करना चाहिए. अभी आम आदमी पार्टी को धैर्य भी सीखना चाहिए और निरंतर अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर काम करने की कोशिश की जानी चाहिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
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