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शुंगलू समिति की रिपोर्ट खारिज, मंत्री ने कहा, आप सरकार ने कोई अनियमितता नहीं की

नयी दिल्ली : दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन ने आज शुंगलू समिति की रिपोर्ट को ‘‘दुर्भावना से प्रेरित” बताते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि आप सरकार ने कोई ‘‘अनियमितता” नहीं की है. उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में ‘‘झूठी टिप्पणी” लिखने के लिए अधिकारियों पर दबाव डाला गया.दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल […]

नयी दिल्ली : दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन ने आज शुंगलू समिति की रिपोर्ट को ‘‘दुर्भावना से प्रेरित” बताते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि आप सरकार ने कोई ‘‘अनियमितता” नहीं की है. उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में ‘‘झूठी टिप्पणी” लिखने के लिए अधिकारियों पर दबाव डाला गया.दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल नजीब जंग द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा ‘‘शक्तियों के घोर दुरुपयोग” का उल्लेख किया है.

जैन ने कहा, ‘‘मैंने रिपोर्ट नहीं देखी है लेकिन जहां तक हमारी बात है तो हमने कोई अवैधता या अनियमितता नहीं बरती है. चार अगस्त 2016 तक हमारी सरकार ने संविधान के मुताबिक काम किया है. इसके बाद उच्च न्यायालय ने इसमें कुछ संशोधन किया था.” दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन के ‘‘मिशन निदेशक” के तौर पर अपनी बेटी की नियुक्ति के आरोपों को भी उन्होंने खारिज करते हुए कहा, ‘‘यह सब झूठ है”. नियुक्ति की स्वीकृति केंद्र ने दी है.
समिति के निष्कर्षों पर जैन ने आरोप लगाया, ‘‘अधिकारियों को उप राज्यपाल ने बुलाया था और उन पर गलत टिप्पणी लिखने के लिए दबाव डाला था.” पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग का कार्यकाल उप राज्यपाल कार्यालय और अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच कई मुद्दों पर लगातार जुबानी जंग का गवाह रहा था.
जैन ने कहा, ‘‘यह सब दुर्भावना से प्रेरित है. असल में तो इस बात की जांच होनी चाहिए कि आखिर जंग ‘साहब’ के कार्यकाल में छह महीने तक फाइलें दबाकर क्यों रखी गयीं. हमने 31 दिसंबर 2016 तक 1,000 मोहल्ला क्लिनिक का लक्ष्य रखा था लेकिन उन्होंने छह महीने तक फाइलें दबाकर रखीं.” जैन ने कहा, ‘‘हमने कुछ गलत या अवैध नहीं किया बल्कि अपने अधिकार के अंतर्गत रहते हुए किया है. अगर उप राज्यपाल सोचते थे कि वह इसे बदल सकते हैं तो वह इसे बदल सकते थे.

हमने जो ठीक समझा वही किया.” 100 से अधिक पृष्ठों में लिखी रिपोर्ट में सरकार में सलाहकार के तौर पर कुछ निश्चित व्यक्तियों की नियुक्ति समेत केजरीवाल एवं उनके मंत्रिमंडल के फैसलों की चर्चा की गयी है, जबकि उनके (केजरीवाल या उनके मंत्रिमंडल) पास ना तो ऐसा करने और ना ही उप राज्यपाल की सहमति के बगैर इसे करने का अधिकार है.

अन्य मुद्दों में रिपोर्ट में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में सरकार की अधिकारियों की तैनाती, अधिकारियों के तबादले एवं नियुक्ति, उप राज्यपाल की मंजूरी के बगैर मंत्रियों की विदेश यात्रा तथा वकीलों की नियुक्ति पर सवाल उठाया गया है. इससे पहले जंग ने कहा था कि अगर पैनल अनियमितता पाता है तो केजरीवाल को ‘‘आपराधिक आरोपों” का सामना करना पड़ सकता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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