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जेएनयू के गायब छात्र की जांच सीबीआइ के हवाले

नयी दिल्ली : दिल्ली हाइकोर्ट ने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के अक्तूबर, 2016 से गायब छात्र नजीब अहमद के मामले की जांच मंगलवारको दिल्ली पुलिस से लेकर तत्काल प्रभाव से सीबीआइ को सौंप दी. न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने छात्र की मां की याचिका पर इस मामले को तत्काल प्रभाव से […]

नयी दिल्ली : दिल्ली हाइकोर्ट ने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के अक्तूबर, 2016 से गायब छात्र नजीब अहमद के मामले की जांच मंगलवारको दिल्ली पुलिस से लेकर तत्काल प्रभाव से सीबीआइ को सौंप दी. न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने छात्र की मां की याचिका पर इस मामले को तत्काल प्रभाव से सीबीआइ को सौंप दिया. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उसे इस निर्देश से कोई शिकायत नहीं है. अदालत ने कहा कि सीबीआइ की जांच की प्रगति पर पुलिस उपमहानिरीक्षक स्तर का एक अधिकारी निगाह रखेगा. इस मामले को सीबीआइ को सौंपने के दौरान अदालत ने इस बात पर ध्यान दिया कि दिल्ली पुलिस ने अदालत द्वारा दिये गये सभी सुझावों और सलाहों का पालन किया है. मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों के साथ 14 अक्तूबर 2016 को हुई कहा-सुनी के बाद से नजीब गायब है. जेएनयू में आरएसएस छात्र संगठन ने छात्र के गायब होने के मामले में किसी भी तरह से शामिल होने से इनकार किया है. उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के तरीके को लेकर पुलिस की खिंचाई की थी. अदालत ने कहा था कि पुलिस के रवैये ने ऐसा दिखाया कि वह मामले को सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रही थी या इससे निकलने के रास्ते ढूढ़ रही थी, क्योंकि सीलबंद लिफाफों में रिपोर्ट दाखिल की जा रही थी. जबकि, इनमें कुछ भी गोपनीय, क्षतिपूर्ण या अत्यंत महत्वपूर्ण नहीं था. अदालत गायब छात्र के लैपटॉप और कॉल रिकॉर्ड की फॉरेंसिक रिकॉर्ड का हवाला दे रही थी, क्योंकि पुलिस ने इसे सीलबंद करके पेश किया था और शुरुआत में उसने इसे अपने वकील के साथ भी साझा नहीं किया था.

अदालत ने पुलिस की यह कहते हुए भी खिंचाई की, ‘पुलिस को जो काम करना चाहिए वह नहीं कर रही, बल्कि कुछ और कर रही है. पुलिस पूरे देश में लोगों को भेज रही है और विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित कर रही है, लेकिन नजीब के गायब होने के मामले में संदिग्ध नौ छात्रों से न पूछताछ हुई और न ही उन्हें हिरासत में लिया गया.’ पुलिस को पहले भी जांच के तरीके और कुछ सूचनाएं अपने वकील के साथ भी नहीं साझा करने की वजह से अदालत के गुस्से का सामना करना पड़ा है.

अदालत ने कहा था कि इस मामले में संदिग्ध छात्रों के संदेशों की अभी तक जांच नहीं हुई है. अदालत का कहना था कि अगर नजीब के गायब होने की अवधिवाले संदेश गायब हुए हैं या डिलीट किये गये हैं तो यह ‘खुद में ही फंसानेवाला है.’ पुलिस के जांच के तरीकों पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा था, ‘अगर आज इस जगह नजीब है तो कल कोई और भी हो सकता है, क्योंकि वह किसी और समुदाय और राजीनीतिक इकाई से आता है.’ अदालत के निरीक्षण पर जवाब देते हुए एसआइटी का नेतृत्व करनेवाले पुलिस उपायुक्त राम गोपाल नायक ने अदालत को बताया था कि वह इस पूरे मामले की जांच कैसे कर रहे हैं और नजीब के चिकित्सीय हालत सहित किन पक्षों और बिंदुओ की जांच उन्होंने की है.

अदालत नजीब की मां फातिमा नफीस की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. वह यह जानना चाहती थीं कि उनका खोया बेटा कहां है. अब वह एसआइटी को भंग करने और दिल्ली से बाहर के अधिकारियोंवाले एक स्वतंत्र एसआइटी गठित करने की मांग कर रही है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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