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Aditya l1 mission: आदित्य L1 की पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न, 5 सितंबर को फिर ऑर्बिट बढ़ाएगा इसरो

आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है. यह अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा.

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो, ISRO) ने आज यानी रविवार को कहा कि देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है. इसरो के मुताबिक इस प्रक्रिया को इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से अंजाम दिया गया. वहीं, अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने यह भी कहा कि आदित्य एल1 उपग्रह एकदम ठीक है और यह समान्य ढंग से काम कर रहा है.

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इसरो ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में बताया कि कक्षा संबंधी अगली प्रक्रिया पांच सितंबर 2023 को भारतीय समयानुसार देर रात लगभग तीन बजे के लिए निर्धारित है. इसने कहा, आदित्य-एल1 मिशन उपग्रह एकदम ठीक है और सामान्य ढंग से काम कर रहा है. पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया आईएसटीआरएसी, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित की गई. प्राप्त की गई नयी कक्षा 245 किलोमीटर x 22,459 किलोमीटर है.

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इसरो के अनुसार, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है. यह अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा.

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आदित्य एल1 सूर्य के रहस्य जानने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन करने के साथ ही विश्लेषण के वास्ते इसकी तस्वीरें भी धरती पर भेजेगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंजियन पॉइंट हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है.

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दरअसल लैग्रेंज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे किसी उपग्रह को इस बिंदु पर रोकने में आसानी होती है. सूर्य मिशन को आदित्य एल-1 नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु1 (एल1) क्षेत्र में रहकर अपने अध्ययन कार्य को अंजाम देगा.

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अपने मिशन के दौरान आदित्य एल1 सूर्य के परिमंडल की गर्मी और सौर हवा, सूर्य पर आने वाले भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष मौसम आदि का भी गहराई से अध्ययन करेगा.

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सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 अपने साथ सात पेलोड लेकर गया है. इनमें से विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) सूर्य के परिमंडल और सीएमई की गतिशीलता का अध्ययन करेगा. वीईएलसी यान का प्राथमिक उपकरण है, जो इच्छित कक्षा तक पहुंचने पर विश्लेषण के लिए हर दिन 1440 तस्वीरें धरती पर भेजेगा.

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इसके अलावा द सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप सूर्य के प्रकाशमंडल और वर्णमंडल का अध्ययन करेगा और उसकी तस्वीरें भी भेजेगा. इसके अलावा सौर विकिरण विविधताओं को भी मापेगा. आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट’ (एएसपीईएक्स) और ‘प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य’ (पीएपीए) नामक उपकरण सौर पवन और ऊर्जा आयन के साथ-साथ ऊर्जा वितरण का भी अध्ययन करेंगे.

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आदित्य एल1’ को शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था. मिशन का लक्ष्य सूर्य-पृथ्वी ‘एल1’ बिंदु पर भारत की पहली सौर वेधशाला स्थापित कर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है. एल1 का मतलब ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ है, जहां अंतरिक्ष यान को स्थापित किया जाएगा.

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भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के मुताबिक आदित्य एल 1 यान न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के और करीब जाएगा. यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा. यह दूरी पृथ्वी और सूर्य की कुल दूरी का लगभग एक फीसदी है.

Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

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