23.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Akshaya Tritiya In Lockdown: अक्षय तृतीया पर पहली बार न बैंड बजेगा न बाराती नाचेंगे

Lockdown: हर साल अक्षय तृतीया पर देश भर में हजारों शादियां होती थीं, पर इस साल कुंवारों को लॉकडाउन के कारण शादियां टालनी पड़ रहीं हैं.

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण इस साल पूरे भारतवर्ष में लॉकडाउन होने के कारण सब कुछ थम सा गया है. सरकार द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा जा रहा है इसलिए धार्मिक और सामाजिक कार्य भी नहीं के बराबर हो रहे हैं, या फिर हो भी रहे हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा जा रहा है. हर साल अक्षय तृतीया पर देश भर में हजारों शादियां होती थीं, पर इस साल कुंवारों को लॉकडाउन के कारण शादियां टालनी पड़ रहीं हैं. बताया जा रहा है कि 25 और 26 अप्रैल के लग्न को काफी शुभ माना जा रहा था, पर अब शादियां टालकर नवंबर और दिसंबर में खिसका दीं गईं हैं.

शायद ये पहली बार होगा जब अक्षय तृतीया जैसे शुभ दिन किसी भी घर में बैंड, बाजा, शहनाई के स्वर सुनने को नहीं मिलेंगे. 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त में शादी समारोह नहीं होंगे.

अक्षय तृतीया के दिन कई मुहूर्त रहते है. इस दिन विवाह का होना भी बड़ा महत्व रखता है. शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन स्वयंसिद्ध मुहुर्त रहता है. शास्त्रों के अनुसार ही इस दिन बिना पंचाग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है जो निश्चित ही सफल होता है. हिन्दु धर्म में विवाह सात जन्मों को संबंध है. दो आत्माओं का मेल ही अग्नि के सात फेरे लेकर होता है. अक्षय तृतीया का दिन बड़ा शुभ रहता है और इस दिन जो भी कार्य किया जाए वह अवश्य सफल रहता है. इसिलए अधिकांश शादियां अक्षय तृतीया के दिन ही होती है. ताकी महिला एवं पुरूष जीवन में विवाह के बाद बिना किसी रूकावट के अपार सफतला प्राप्त कर सकें एवं हंसी ख़ुशी अपना जीवन बिता सके.

वैशाख माह भगवान विष्णु की भक्ति के लिए भी काफी अधिक महत्व रखता है. इस माह की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया पर प्राचीन समय में भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव और परशुराम अवतार हुए हैं। त्रेतायुग की शुरुआत भी इसी शुभ तिथि से मानी जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करने की परंपरा है.

अक्षय तृतीया का पौराणिक इतिहास महाभारत काल में मिलता है. जब पाण्डवों को 13 वर्ष का वनवास हुआ था तो एक दुर्वासा ऋषि उनकी कुटिया में पधारे थे. तब द्रौपदी से जो भी बन पड़ा, जितना हुआ, उतना उनका श्रद्धा और प्रेमपूर्वक सत्कार किया, जिससे वे काफी प्रसन्न हुए। दुर्वासा ऋषि ने उस दिन द्रौपदी को एक अक्षय पात्र प्रदान किया.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel