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Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर नींव के नीचे नहीं रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, लाल किले के नीचे इंदिरा गांधी ने गड़वाया था

Ayodhya Ram mandir, Time capsule: अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की तैयारियों के बीच खबर है कि नींव के 200 फीट नीचे टाइम कैप्सूल डाला जाएगा. इस टाइम कैप्सूल में राम मंदिर के इतिहास, आंदोलन एवं संस्कृति का जिक्र होगा. यह देश में कोई पहला अवसर नहीं, जब किसी स्थान पर टाइम कैप्सूल (काल पात्र) डाला जा रहा हो. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 15 अगस्त 1973 को दिल्ली स्थित लाल किले के परिसर की जमीन में एक टाइम कैप्सूल गड़वाया था.

Ayodhya Ram mandir, Time Capsule: अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की तैयारियों के बीच खबर है कि नींव के 200 फीट नीचे टाइम कैप्सूल डाला जाएगा. इस टाइम कैप्सूल में राम मंदिर के इतिहास, आंदोलन एवं संस्कृति का जिक्र होगा. हालांकि इस संबंध में श्री रामतीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सेक्रेटरी चंपत राय का कहना है कि नींव में टाइम कैप्सुल नहीं रखी जाएगी. जो भी खबरें चल रही है वो सत्य से परे है. इससे पहले ट्रस्ट के ही एक सदस्य के हवाले से खबर आई थी कि मंदिर की नींव में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा जिससे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जानकारी मिलेगी.

भले ही राम मंदिर में टाइम कैप्सूल वाली खबर का खंडन हो गया मगर यह देश में कोई पहला अवसर नहीं था, जब किसी स्थान पर टाइम कैप्सूल (काल पात्र) डाला जाता. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 15 अगस्त 1973 को दिल्ली स्थित लाल किले के परिसर की जमीन में एक टाइम कैप्सूल गड़वाया था. यह वैक्यूम सील था जो तांबा और स्टील से बना था..

बताया जाता है कि इस टाइम कैप्सूल में उन्होंने आजादी के बाद 25 वर्षों की सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया है. कहा यह भी जाता है कि इसमें स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी परिवार की भूमिका एवं देश के विकास में उसके योगदान का उल्लेख किया गया था. हालांकि इट काल पात्र के अंदर क्या डाला गया था इस बात की जानकारी कभी भी सार्वजनिक नहीं की गई. जाने माने लेखक आनंद रंगनाथन ने पूर्व पीएम की तब की तस्वीर के साथ इस घटना को ट्वीट किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इंदिरा गांधी ने इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च को अतीत की अहम घटनाएं दर्ज करने का काम सौंपा था. हालांकि, तब सरकार के इस फैसले पर काफी विवाद भी हुआ था.विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपना और अपने परिवार का महिमामंडन किया है. साल 1970 में मोरारजी देसाई ने कहा था कि वो कालपत्र को निकालकर देखेंगे कि कालपत्र में क्या लिखा है.

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मोरारजी देसाई की सरकार बनने के बाद 1977 में कालपत्र निकाला भी गया, लेकिन यह पता नहीं चल सका कि उसमें लिखा क्या था. इंदिरा गांधी के कालपत्र का रहस्य आज भी रहस्य ही बना हुआ है कि उन्होंने इस टाइम कैप्सूल में क्या लिखवाया था.

यहां भी दबाया गया टाइम कैप्सूल

टाइम कैप्सूल या कालपत्र को जमीन के नीचे रखने का एकमात्र उद्देश्य ये होता है कि भविष्य की पीढ़ियों को गुजरे हुए कल के बारे में बताया जा सके. लाल किले के नीचे ही नहीं, देश में कई और स्थान भी हैं, जहां टाइम कैप्सूल दबाया गया है. आईआईटी कानपुर ने अपने 50 साल के इतिहास को संजोकर रखने के लिए टाइम कैप्सूल को जमीन के नीचे दबाया था. इसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने साल 2010 में जमीन के अंदर डाला था. इस टाइम कैप्सूल में आईआईटी कानपुर के रिसर्च और शिक्षकों से जुड़ी जानकारियां थीं. आईआईटी कानपुर के अलावा चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में भी टाइम कैप्सूल दबाया गया है.

Posted By: Utpal kant

Prabhat Khabar Digital Desk
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