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ऑक्सीजन इस्तेमाल पर SC पैनल की रिपोर्ट आने के बाद भाजपा-केजरीवाल में छिड़ी जंग, दिल्ली की मांग पर संबित पात्रा ने लगाया ये आरोप

दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति और जरूरत के आकलन के लिए एक समिति का गठन किया था. इसके सदस्यों में जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध यादव, मैक्स हेल्थ केयर के डॉ संदीप बुद्धिराजा, दिल्ली सरकार के गृह सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला और पीईएसओ के नियंत्रक संजय कुमार सिंह शामिल हैं.

नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में ऑक्सीजन इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की रिपोर्ट आने के बाद केजरीवाल सरकार और भाजपा में जंग छिड़ गई है. भाजपा ने केजरीवाल सरकार पर जरूरत से अधिक ऑक्सीजन मांग करने का आरोप लगा रही है. भाजपा ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उसने 29 अप्रैल से 10 मई के बीच दिल्ली के अस्पतालों के लिए पांच गुना से अधिक मेडिकल ऑक्सीजन की मांग की थी.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के अनुसार, दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति और जरूरत के आकलन के लिए एक समिति का गठन किया था. इसके सदस्यों में जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुबोध यादव, मैक्स हेल्थ केयर के डॉ संदीप बुद्धिराजा, दिल्ली सरकार के गृह सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला और पीईएसओ के नियंत्रक संजय कुमार सिंह शामिल हैं.

गुलेरिया समिति की रिपोर्ट आने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह हैरानी वाली बात है कि जब कोरोना अपने चरम पर था, तब अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की आपूर्ति का राजनीतिकरण किया. यह कितनी तुच्छ राजनीति है. रिपोर्ट में ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी द्वारा पेश किए गए आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एक तथाकथित रिपोर्ट बताई जा रही है कि दिल्ली में जब कोरोना चरम पर था, तो ऑक्सीजन की कमी नहीं थी और ऑक्सीजन की मांग 4 गुना बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई थी. भाजपा के नेता जिस तथाकथित रिपोर्ट के हवाले से अरविंद केजरीवाल को गाली दे रहे हैं, ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ऑक्सीजन ऑडिट समिति ने अभी तक किसी भी रिपोर्ट को मंजूरी नहीं दी है. हमने ऑडिट समिति के कई सदस्यों से बात की है. सबका कहना है कि उन्होंने किसी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर ही नहीं किए हैं. मैं भाजपा नेताओं को चुनौती देता हूं कि वह रिपोर्ट लेकर आओ, जिसे ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी के सदस्यों ने मंजूरी दी हो.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, समिति की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली को उस वक्त करीब 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, मगर दिल्ली सरकार ने मांग बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन कर दी. ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा, क्योंकि अन्य राज्यों की आपूर्ति दिल्ली की ओर मोड़ दी गई थी.

गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था और ऑक्सीजन वितरण प्रणाली पर पैनल से ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी. ऑडिट के दौरान ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने पाया कि 13 मई को दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं उतारा जा सका, क्योंकि उनके टैंक पहले से ही 75 फीसदी से अधिक क्षमता पर थे. यहां तक कि एलएनजेपी और एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन के टैंकर भरे पड़े थे.

Also Read: ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौत के मामले में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

Posted by : Vishwat Sen

Prabhat Khabar Digital Desk
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