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फेक न्यूज पर वार : कोरोना को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाये जा रहे हैं भ्रम, जानें क्या है सच्चाई

कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सोशल मीडिया पर किये जा रहे दावे लोगों को भम्र में डाल रहे हैं. ऐसे में कई लोग कन्फ्यूज हैं कि क्या सही है और क्या गलत. लोगों में उभरी ऐसी ही कुछ गलतफहमियों को अमेरिका की ‘यूनिवर्सिटी ऑफ मैरिलैंड’ के चीफ ऑफ इंफेक्शियस डिजीज, फहीम यूनुस ने अपने ट्विटर हैंडल @FaheemYounus के जरिये दूर किया है.

कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सोशल मीडिया पर किये जा रहे दावे लोगों को भम्र में डाल रहे हैं. ऐसे में कई लोग कन्फ्यूज हैं कि क्या सही है और क्या गलत. लोगों में उभरी ऐसी ही कुछ गलतफहमियों को अमेरिका की ‘यूनिवर्सिटी ऑफ मैरिलैंड’ के चीफ ऑफ इंफेक्शियस डिजीज, फहीम यूनुस ने अपने ट्विटर हैंडल @FaheemYounus के जरिये दूर किया है. आइए जानें सोशल मीडिया पर किये जा रहे दावे और उसकी सच्चाई…

दावा

घर आते ही कपड़े बदलें और अच्छी तरह नहा लें. वरना, कपड़ों के साथ बाहर से कोरोना का संक्रमण भी आपके घर में आ रहे हैं.

सच्चाई

साफ-सफाई जरूरी है, लेकिन इसके नाम पर लोगों को डराएं नहीं. बस हाथ धोते रहें, लोगों से एक मीटर की दूरी बना कर रखें. भीड़भाड़ में हरगिज न जाएं.

दावा

मेरे पास मैसेज आया है कि लहसुन या नींबू के साथ गर्म पानी और प्याज का इस्तेमाल करें, तो कोरोना को रोका जा सकता है या ठीक किया जा सकता है.

सच्चाई

नहीं. इसका कोई साइंटिफिक टेस्ट अबतक नहीं किया गया है. ऐसे मैसेज शेयर न करें, इससे भ्रम पैदा हो सकता है.

दावा

देश कई राज्यों में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गयी है, क्या इसका मतलब लोगों की जिंदगी खतरे में है.

सच्चाई

बिलकुल नहीं. सरकार ने यह कदम कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए उठाया है. ऐसे कदमों से हम बीमारी को हरा सकते हैं और जिंदगियां बचा सकते हैं.

दावा

चीन और इटली के डॉक्टरों के मैसेज सोशल मीडिया पर आ रहे हैं. तो क्या हम उनपर भी भरोसा न करें.

सच्चाई

नहीं. डॉक्टर्स अपनी रिसर्च को साइंटिफिक जर्नल में छपवाते हैं, सोशल मीडिया पर नहीं. ढेरों बेहतर रिसर्च पहले ही छप चुकी हैं. सोशल मीडिया के झांसे में न आएं.

दावा

शिपिंग पैकेज, गैस पंप, शॉपिंग कार्ट्स और एटीएम को नहीं छुएं, वरना आपकी मौत हो जायेगी.

सच्चाई

कोरोना वायरस को जिंदा रहने के लिए ऐसी सतहें नहीं चाहिए, इसलिए ऐसी चीजों से कोई खतरा नहीं है. बस, हाथ धोते रहें और सतर्क रहें.

दावा

टेकआउट फूड, चाइनीज फूड या फूड की पैकेजिंग ऑर्डर करने से संक्रमण का खतरा है.

सच्चाई

कोरोना फ्लू की तरह का एक ड्रॉपलेट संबंधित संक्रमण है. फूड से पैदा हुआ संक्रमण नहीं है. टेकआउट फूड से कोई खतरा नहीं है.

दावा

अगर 20 मिनट तक सौना बाथ लेते हैं, तो 90% वायरस मारे जाते हैं, कोरोना भी.

सच्चाई

इस दावे को साबित करने वाले कोई साइंटिफिक ट्रायल नहीं हुए हैं. उलटे सौना लेने से न्यूमोनिया जैसी दूसरी बीमारियां आ सकती हैं.

दावा

अगर पहले से ही हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसीन ले लेंगे, तो कोरोना की रोकथाम की जा सकती है.

सच्चाई

ये ऐसी दवाइयां हैं, जो गिने-चुने कोरोना के मरीजों को दी जाती हैं. उलटे इनसे हार्ट की शिकायतें हो सकती हैं. दूसरे साइड इफेक्ट्स भी संभव है.

Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

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