भारत ने कोरोनावायरस संक्रमण से जंग में नया मुकाम हासिल किया है. भारत में कोविड-19 का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर जांच की संख्या 10 लाख पार कर गयी है. दुनिया के मुकाबले भारत में 10 लाख जांच के बाद सबसे कम संक्रमण के मामले सामने आए हैं. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार भारत में 3 मई, सुबह 9 बजे तक कुल 10,46,450 सैंपल टेस्ट हो गए हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में कोरोना वायरस के 39980 मामले सामने आ गए हैं. इनमें से 28,046 मरीजों का इलाज जारी है. वहीं दुनिया की बात करें तो 10 लाख जांच के बाद अमेरिका में 1,64,620 मामले, स्पेन में 200194 मामले, इटली में 152271 मामले, तुर्की में 117589 मामले जबकि जर्मनी में 73 हजार 522 मामले सामने आएं. विश्व में 10 लाख कोरोना जांच का आंकड़ा कुछ ही देश पार कर पाये हैं. आईसीएमआर के इस रिपोर्ट के बाद से दुनिया के अन्य देश भारत की ओर टकटकी लगा कर देख रहे हैं आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि यहां कोरोना अपना कहर न दिखा सका.
बता दें कि आईसीएमआर ने 30 जनवरी से कोरोना जांच शुरू की थी. संसाधनों के अभाव में इसकी रफ्तार शुरुआत में काफी धीमी थी मगर, अब जांच में तेजी आ गयी है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, केंद्रीय पर्यावरण सचिव तथा कोरोना पर बने एक अधिकार प्राप्त समूह के प्रमुख सीके मिश्रा ने कहा कि लॉकडाउन एवं अन्य प्रयासों से सरकार कोरोना संक्रमण को रोकने में कामयाब रही है. लॉकडाउन से पहले भी संक्रमण की जो दर थी, उसे बढ़ने नहीं दिया गया है बल्कि उसमें थोड़ी कमी ही नजर आ रही है. आने वाले दिनों में इसमें और सुधार होगा. कुल टेस्ट में आए पॉजिटिव केस के आधार पर ही कोरोना के फैलाव का आकलन किया जाता है. मिश्रा ने कहा कि लॉकडाउन से पहले जब करीब 15 हजार टेस्ट हुए थे तब भी संक्रमण की दर 4% के करीब थी। अब जबकि दस लाख टेस्ट पार कर रहे हैं तब भी करीब-करीब ऐसी स्थिति है बल्कि थोड़ी कमी का ही रुझान है.
बिजनेस टुडे के मुताबिक, शुरुआत में पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की लैब थी और लॉकडाउन लागू होने समय लैबों की संख्या 100 थी. अब आरटी-पीसीआर जांच की सुविधा देशभर की 292 सरकारी लैबों और 97 निजी लैबों में उपलब्ध है. अधिकारियों ने बताया कि आईसीएमआर अब प्रतिदिन 70 हजार जांचें करने की क्षमता तक पहुंच गया है. गौरतलब है कि आरटी-पीसीआर में गले और नाक के स्वैब की जांच की जाती है और कोविड-19 की जांच में इसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस जांच में वायरस का शुरुआती दौर में ही पता लगाया जा सकता है।