Election Commission: देश में चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए चुनाव आयोग हर स्तर पर कदम उठा रहा है. हाल के वर्षों में विपक्षी दलों की ओर से मतदाता सूची और फर्जी मतदान को लेकर सियासत तेज हुई है. विपक्षी दलों की शिकायतों पर गौर करते हुए चुनाव आयोग ने फर्जी मतदाता को रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने का फैसला लिया है. इसके अलावा चुनाव आयोग चुनाव में लगे कर्मचारियों को चुनावी प्रक्रिया को लेकर सक्षम बनाने के लिए भी कदम उठा रहा है.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बुधवार को भारतीय अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट- आईआईआईडीईएम) में निर्वाचन आयुक्त विवेक जोशी के साथ बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) के पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया.
आगामी कुछ वर्षों में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में औसतन 10 मतदान केंद्रों पर एक बीएलओ के आधार पर 1 लाख से अधिक बूथ स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है. आयोग का मानना है कि प्रशिक्षित अधिकारी देश भर में बूथ स्तर के अधिकारियों के पूरे नेटवर्क को मजबूत करने के लिए विधानसभा स्तर के मास्टर ट्रेनर (एएलएमटी) का समूह बनाने का काम करेंगे, जो 100 करोड़ मतदाताओं और आयोग के बीच संपर्क की प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होंगी.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 20 के तहत निर्वाचन क्षेत्र में रहने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के नागरिकों को मतदाता के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है. उन्होंने सभी सीईओ, डीईओ, ईआरओ को अपने-अपने स्तर पर सर्वदलीय बैठक आयोजित करने और मतदाता सूची को सही तरीके से तैयार करने को कहा. उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि ईआरओ या बीएलओ के विरुद्ध किसी भी शिकायत पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कई चरणों में चलेगा प्रशिक्षण कार्यक्रम
यह अनूठा क्षमता निर्माण कार्यक्रम कई चरणों में चलेगा. पहले चरण में चुनाव वाले राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. मौजूदा समय में बिहार, पश्चिम बंगाल और असम के 109 बीएलओ दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं. साथ ही बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु के 24 निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और 13 जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) भी इसमें शिरकत कर रहे है.
इस प्रशिक्षण की योजना इस तरह से बनायी गयी है ताकि बूथ स्तर के अधिकारियों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, मतदाता पंजीकरण नियम 1960 और समय-समय पर जारी आयोग के निर्देशों के अनुसार उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों से परिचित कराया जा सके. इसका मकसद मतदाता सूची में कमियों को दूर करने में दक्ष बनाना है. प्रशिक्षण के दौरान बीएलओ को विशेष तौर पर बनाए गए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) संबंधी प्रयोग से परिचित कराना है.
गौरतलब है कि बीएलओ राज्य सरकार के अधिकारी होते हैं और जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) की स्वीकृति के बाद निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मतदाता सूचियों को कमियों को दूर करने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों और बीएलओ की महत्वपूर्ण भूमिका होने की बात कही.