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JEE Main Scam: परीक्षा केंद्र से छेड़छाड़, कंप्यूटर हैक, सीबीआई जांच में पता चला कि कैसे हुआ जेईई घोटाला

सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि एक उदाहरण में सोनीपत, हरियाणा में एक परीक्षा केंद्र की भूमिका सामने आई है. यहां के कंप्यूटरों को देश के अन्य हिस्सों में बैठे विशेषज्ञों द्वारा दूरस्थ रूप से नियंत्रित किया जाता था.

नयी दिल्ली : जेईई मेन परीक्षा घोटाले में चल रही जांच में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पाया है कि न केवल एक कंप्यूटर सिस्टम बल्कि एक पूरे परीक्षा केंद्र को ही साजिशकर्ताओं ने अपने चंगुल में ले लिया था. पैसे लेकर केंद्र के लोगों ने भी साजिशकर्ताओं का सहयोग किया और कथित तौर पर छात्रों के बदले दूसरे लोगों ने परीक्षा दी थी. हरियाणा के सोनीपत में एक केंद्र रडार पर है और मामले के सभी सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

न्यूज 18 के मुताबिक सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि एक उदाहरण में सोनीपत, हरियाणा में एक परीक्षा केंद्र की भूमिका सामने आई है. यहां के कंप्यूटरों को देश के अन्य हिस्सों में बैठे विशेषज्ञों द्वारा दूरस्थ रूप से नियंत्रित किया जाता था. एक आरोपी ने सीबीआई को बताया कि देश भर के छात्रों को पसंद के केंद्रों को चुनने के लिए कहा गया था. भले ही उम्मीदवार महाराष्ट्र में था, उसे सोनीपत को परीक्षा केंद्र के रूप में चुनने के लिए कहा गया था. हमने इस जगह पर छापा मारा है और कर्मचारियों से पूछताछ कर रहे हैं.

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न्यूज 18 ने पहले भी रिपोर्ट किया था कि इस पूरे मामले में सीबीआई ने सात लोगों को हिरासत में लिया है. प्रत्येक अभ्यर्थी से बदले में 12 से 15 लाख रुपये मांगे गये थे. परीक्षार्थी के बदले कोई अन्य दूसरा उसकी परीक्षा लिखता था और साजिशकर्ताओं द्वारा सकारात्मक परिणाम का आश्वासन दिया गया था. सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि साजिश के तहत परीक्षा केंद्रों से समझौता भी किया गया था. अधिकारियों ने तौर-तरीकों का विवरण देते हुए कहा कि परीक्षा केंद्रों पर गैजेट हैक हो सकते हैं.

प्रश्न पत्र को हल करने में मदद करने वाले कम से कम एक विशेषज्ञ जमशेदपुर में स्थित है. इस मामले को लेकर बेंगलुरु और इंदौर के एफिनिटी एजुकेशन केंद्रों पर भी छापेमारी चल रही है. सीबीआई भुगतान में हवाला चैनलों की भूमिका की भी जांच कर रही है. अधिकारियों ने बताया कि एफिनिटी एजुकेशन का एक निदेशक अभी भी लापता है और उसकी तलाश की जा रही है. एफिनिटी के सिद्धार्थ कृष्णा, विश्वंभर मणि त्रिपाठी और गोविंद वार्ष्णेय जांच के घेरे में हैं.

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सीबीआई ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि इस संबंध में एक सितंबर को मामला दर्ज किया गया था और उसके बाद दिल्ली, एनसीआर, पुणे और जमशेदपुर में 20 स्थानों पर छापेमारी की गयी थी. सीबीआई ने कहा कि एक निजी कंपनी और उसके निदेशकों, तीन कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. सीबीआई द्वारा छापेमारी के दौरान 25 लैपटॉप, सात कंप्यूटर, लगभग 30 पोस्ट-डेटेड चेक के साथ-साथ भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज और विभिन्न छात्रों की पीडीसी की मार्कशीट सहित उपकरण बरामद किये गये.

Posted By: Amlesh Nandan

Prabhat Khabar Digital Desk
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