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समाज में व्याप्त असमानता के कारण भारत कुपोषण के खिलाफ लड़ाई 2025 तक नहीं जीत पायेगा : न्यूट्रिशन रिपोर्ट

Global Nutrition Report 2020 said India will not win fight against malnutrition by 2025 ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2020 एक ऐसे समय में सामने आया है, जब पूरा विश्व कोविड 19 जैसी महामारी की गिरफ्त में है. ऐसे समय में यह कहा जा रहा है कि 2025 तक भारत अपने न्यूट्रिशन के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पायेगा.

नयी दिल्ली : ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2020 एक ऐसे समय में सामने आया है, जब पूरा विश्व कोविड 19 जैसी महामारी की गिरफ्त में है. ऐसे समय में यह कहा जा रहा है कि 2025 तक भारत अपने न्यूट्रिशन के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पायेगा. रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस के दौर में सभी को अधिक न्यूट्रिशन या पोषण की जरूरत है ताकि उनका इम्यून सिस्टम ठीक रहे, लेकिन रिपोर्ट की मानें तो पोषण में असमानता के कारण वर्ष 2012 में कुपोषण को मिटाने के लिए 2025 तक का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है.

वर्ष 2012 में वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली ने पोषण के छह टारगेट तय किये थे, जिसके तहत मां, नवजात और 0-5 वर्ष तक बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालना शामिल था. इसके तहत 19-49 वर्ष तक की महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करना. नवजात को स्तनपान कराना और 0-5 साल तक के बच्चों को पोषाहार उपलब्ध कराना.

ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत पोषण को लेकर तय किये गय लक्ष्य को पूरा नहीं कर पायेगा. जिसमें 0-5 साल तक के बच्चों को पोषाहार उपलब्ध कराना, प्रजनन आयु की महिलाओं में एनीमिया को मिटाना,बचपन में अधिक वजन को दूर करना और अनिवार्य स्तनपान.आंकड़ों के अनुसार कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी तो आयी है, लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना है. यह आंकड़ा 66 प्रतिशत से घटकर 58.1 प्रतिशत पर आ गया है.

भारत में कुपोषण की स्थिति : भारत में पोषण की स्थिति बहुत गंभीर है, विश्व में सिर्फ नाइजीरिया और इंडोनेशिया जैसे देश ही ऐसे हैं जहां हमसे भी खराब स्थिति है. बिहार-बंगाल, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में 40 प्रतिशत से भी ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं.वहीं अगर महिलाओं की बात करें, तो आधी आबादी एनीमिया की शिकार है. झारखंड में तो 65 प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनेमिक हैं.

ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट 2020 का कहना है कि कुपोषण का एक बड़ा कारण लिंग, भौगोलिक स्थिति, उम्र और जाति आधारित असमानता है .रिपोर्ट में कहा गया है -असमानता कुपोषण का कारण है – कम पोषण और अधिक वजन, मोटापा और अन्य आहार संबंधी पुरानी बीमारियां. भोजन और स्वास्थ्य प्रणालियों में असमानता पोषण के परिणामों में असमानता को बढ़ाती है जो बदले में अधिक असमानता पैदा कर सकती है.

ऐसे समय में जब पूरा विश्व कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ रहा है और हम खान-पान पर विशेष जोर दे रहे हैं, यह जरूरी है कि कुपोषण को मिटाने के लिए समाज से ऐसी असमानता को दूर किया जाये.

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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