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गोवा पर हिंदी में लिखी पहली किताब 55 साल बाद फिर से हुई पब्लिश, कला-संगीत-साहित्य समेत कई बातों का जिक्र

Goa- Dil Ka Tukda: महान कलाकार दीनानाथ दलाल की डिजाइन की गई पुस्तक ‘गोवा: दिल का टुकड़ा’ का कवर गोवा की हरियाली, इसकी समन्वित धार्मिक संस्कृति और संगीत, रंगमंच और नृत्य के लिए राज्य के प्रेम को दर्शाता है. लेखक के बेटे प्रसून सोनवलकर जो एक स्तंभकार और पूर्व शिक्षाविद भी हैं, उन्होंने कहा कि यह पुस्तक उन पाठकों के लिए दिलचस्प होगी जो गोवा को 'पार्टी डेस्टिनेशन' की वर्तमान छवि से परे जानने के इच्छुक हैं.

Goa- Dil Ka Tukda: प्रभाकर सोनवलकर की गोवा पर हिंदी में लिखी गई पहली किताब ‘गोवा: दिल का टुकड़ा’ को 55 साल बाद फिर से प्रकाशित किया गया है. यह किताब जनवरी 1970 में पहली बार प्रकाशित हुई थी. दिवंगत लेखक के परिवार ने यह जानकारी दी. सोनवलकर ने 1976 से 1986 तक ऑल इंडिया रेडियो, रांची में संगीत निर्माता के रूप में काम किया था. अपनी किताब में सोनवलकर ने गोवा की कला, संगीत, साहित्य और इतिहास के साथ-साथ अन्य पहलुओं का भी जिक्र किया. इस किताब ने हिंदी भाषियों को गोवा से उस समय परिचित कराया जब 1961 में गोवा की मुक्ति के बाद हिंदी भाषी दर्शकों के लिए ऐसी कोई किताब उपलब्ध नहीं थी.

सोनवलकर मुक्ति के बाद ऑल इंडिया रेडियो, पणजी में पहले संगीत निर्माता थे. शास्त्रीय संगीत में ग्वालियर घराने के प्रतिपादक, ‘गोवा: दिल का टुकड़ा’ उनकी पहली और एकमात्र पुस्तक थी. पुस्तक को सबसे पहले असनोरा में एक प्रिंटिंग प्रेस ने लेटर-प्रेस पर प्रकाशित किया गया था. एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि पणजी स्थित कुरेट बुक्स द्वारा फिर से प्रकाशित, यह प्रसिद्ध साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन को समर्पित थी.

महान कलाकार दीनानाथ दलाल की डिजाइन की गई पुस्तक का कवर गोवा की हरियाली, इसकी समन्वित धार्मिक संस्कृति और संगीत, रंगमंच और नृत्य के लिए राज्य के प्रेम को दर्शाता है. लेखक के बेटे प्रसून सोनवलकर जो एक स्तंभकार और पूर्व शिक्षाविद भी हैं उन्होंने कहा “यह पुस्तक उन पाठकों के लिए दिलचस्प होगी जो गोवा को ‘पार्टी डेस्टिनेशन’ की वर्तमान छवि से परे जानने के इच्छुक हैं. गोवा में अब अधिक हिंदी भाषी भी हैं, जो अपने नए घर के बारे में बहुत कुछ जानेंगे”, जिन्होंने एक परिचयात्मक अध्याय जोड़ा.

पुस्तक के अध्याय कोंकणी साहित्य, मराठी साहित्य में गोवा, पुर्तगाली साहित्य में भारतीय संस्कृति के प्रतिबिंब और डीडी कोसंबी, टीबी कुन्हा, अब्बे फारिया, फ्रांसिस्को लुइस गोम्स, कृष्ण भट्ट बंदकर और सोहिरोबनाथ अम्बिये जैसे प्रमुख व्यक्तियों के प्रोफाइल पर केंद्रित हैं. विज्ञप्ति में कहा गया है कि 200 रुपये की कीमत वाली 73-पृष्ठ की यह पुस्तक प्रकाशक क्यूरेट बुक्स और अमेज़न से उपलब्ध है.

Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

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