India Census: देश में आगामी 2027 की जनगणना के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है. यह न केवल संसदीय और विधानसभा सीटों की संख्या में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि महिला आरक्षण को लागू करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है.
महिला आरक्षण का रास्ता खुलेगा
नारी शक्ति वंदन अधिनियम, जिसे संसद ने वर्ष 2023 में पारित किया था. इसी के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान है. लेकिन यह आरक्षण जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू हो सकता है. सरकार की मंशा है कि यह प्रक्रिया 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरी कर ली जाए ताकि उसी चुनाव से महिला आरक्षण को प्रभावी किया जा सके.
पूरी तरह डिजिटल होगी जनगणना
इस बार की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी.विशेषज्ञों का मानना है कि क्षेत्रवार आंकड़े पहले की तुलना में काफी तेज़ी से, लगभग 1 से 1.5 साल के भीतर, उपलब्ध हो सकते हैं.इससे परिसीमन आयोग को जल्दी और सटीक काम करने में मदद मिलेगी.
पिछली बार 2008 में हुआ था परिसीमन
भारत में पिछली बार 2008 में परिसीमन किया गया था, जो कि 2001 की जनगणना के आधार पर हुआ था. हालांकि उस समय सीटों की संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया था.इसकी वजह 84वें संविधान संशोधन (2002) था. जिसमें 2026 तक सीटों की संख्या न बदलने का निर्णय लिया गया था.लेकिन इसमें यह भी उल्लेख था कि 2026 के बाद पहली जनगणना के आधार पर सीटों में वृद्धि और पुनर्विन्यास संभव होगा.
दक्षिण राज्यों को मिल सकता है कुछ बड़ा
परिसीमन को लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों की चिंता भी एक अहम मुद्दा है. इन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे उन्हें आशंका है कि उनका संसदीय प्रतिनिधित्व कम हो सकता है. लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि संविधान की मर्यादा के भीतर इन राज्यों की हिस्सेदारी घटने नहीं दी जाएगी. पूर्वोत्तर और अंडमान-निकोबार जैसे क्षेत्रों के उदाहरणों का हवाला देते हुए सरकार ने संकेत दिया है कि ऐसा ही संतुलन दक्षिण के राज्यों के लिए भी सुनिश्चित किया जाएगा.