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ब्रह्मपुत्र नदी में बनेगा देश का पहला अंडर वॉटर टनल, ये होगी खासियत

भारत सरकार ब्रह्मपुत्र नदी में 14.85 किमी लंबा 4 लेन टनल बनाने जा रही है. ब्रह्मपुत्र नदी में बनने वाले इस टनल के जरिये सरकार की मंशा असम और अरूणांचल प्रदेश तक बढ़िया कनेक्टिवी तैयार करना है.

नयी दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान वैली में जारी तनाव के बीच भारत पूर्वोत्तर भारत के सीमावर्ती इलाकों में अपनी आधारभूत संरचना को मजबूत करने में लगा है. खास तौर पर उन इलाकों में जहां चीन अपना दावा जताने लगता है. इसी कड़ी में भारत सरकार ब्रह्मपुत्र नदी में 14.85 किमी लंबा 4 लेन टनल बनाने जा रही है.

अरूणांचल प्रदेश में बढ़ेगी कनेक्टिविटी

जानकारी के मुताबिक ब्रह्मपुत्र नदी में बनने वाले इस टनल के जरिये सरकार की मंशा असम और अरूणांचल प्रदेश तक बढ़िया कनेक्टिवी तैयार करना है. माना जा रहा है कि इस टनल के जरिये असम और अरूणांचल प्रदेश तक संकट काल में आसानी से रसद, हथियार, संचार सहित अन्य जरूरी सुविधायें पहुंचाई जा सकेंगी.

टनल निर्माण में अमेरिका करेगा मदद

गौरतलब है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का सार्वजनिक उपक्रम राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड अमेरिका की पेशेवर कंपनी लुइस बर्जर के साथ मिलकर इस अत्याधुनिक टनल का निर्माण किया जा रहा है. भारत सरकार ने इसके निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.

वॉटर टनल की खासियत क्या होगी

ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनने वाला ये देश का पहला अंडर वॉटर टनल होगा. इसकी लंबाई 14.85 किमी होगी. बता दूं कि पूर्वी चीन के ताइहू झील के नीचे ऐसा ही एक टनल बनाया जा रहा है, जिसकी लंबाई 10 किमी है.

ये अंडर वॉटर टनल असम के गोहपुर से नुमालीगढ़ तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 54 को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 37 को जोड़ेगी. ये 4 लेन हाइवे का हिस्सा होगा.

इस टनल में सैन्य वाहन सहित हथियार और रसद पहुंचाने वाले वाहन 80 किमी की रफ्तार से फर्राटा भर सकेंगे. किसी भी प्रतिकूल मैौसम में अरूणांचल प्रदेश से कनेक्टिविटी नहीं टूटेगी. भारत और चीन के तनाव के बीच ये टनल सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होगा.

सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम किया जायेगा

टनल में आने और जाने के लिये 2 अलग-अलग ट्यूब होंगे. बीच में ये दोनों ट्यूब वापस आपस में जुड़े रहेंगे. इसकी मदद से ड्रेनेज सिस्टम, प्रकाश और इमरजेंसी निकास वगैरह में मदद मिलेगी.

टनल के अंदर किसी भी तरीके से पानी ना घुसे इशके लिये कई सुरक्षा चक्र होंगे. टनल में ताजी हवा के लिये वेंटिलेशन सिस्टम, फायर फाइटिंग और रेलिंग युक्त फुटपाथ होंगे.

टनल में पहली बार क्रैश बैरियर लगाये जायेंगे. यदि 89 से 100 किमी की रफ्तार से चलने वाले वाहनों का संतुलन बिगड़ा तो वे पलटने की बजाय क्रैश बैरियर से टकराने के बाद वापस सड़क पर लौट जायेंगे.

जानकारी के मुताबिक देश के पहले अंडर वॉटर टनल का निर्माण कार्य इस साल दिसंबर में शुरू किया जायेगा.

Posted By- Suraj Kumar Thakur

Prabhat Khabar Digital Desk
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