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एक शिक्षक कैसे बना आतंक का चेहरा, जानें रियाज अहमद नायकू के आतंकी बनने की पूरी कहानी

श्रीनगर में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है. हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नायकू सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया. सेना की लिस्ट में नायकू ऊपर के आंतकियों में एक था. उसे A++ कैटिगरी में रखा गया था और उस पर 12 लाख रुपये का ईनाम था. नायकू आतंक की राह पर कैसे आया बच्चों को शिक्षा देने वाला एक साधारण टीचर कैसे आतंक का मास्टरमाइंड बन गया. जानें नायकू के शिक्षक से आतंकी बनने की पूरी कहानी

श्रीनगर में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है. हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नायकू सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया. सेना की लिस्ट में नायकू ऊपर के आंतकियों में एक था. उसे A++ कैटिगरी में रखा गया था और उस पर 12 लाख रुपये का ईनाम था. नायकू आतंक की राह पर कैसे आया बच्चों को शिक्षा देने वाला एक साधारण टीचर कैसे आतंक का मास्टरमाइंड बन गया. जानें नायकू के शिक्षक से आतंकी बनने की पूरी कहानी

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35 साल का रियाज अहमद नायकू जिसने अपने साथी आतंकियों के मारे जाने पर उन्हें बंदूक से सलामी देने का चलन शुरू किया. नायकू ने घाटी के कुछ खास इलाकों में अपनी छवि इतनी मजबूत कर ली थी कि कुछ भटके युवा उसे हीरो समझने लगे थे. हिजबुल का यह आतंकी सुरक्षा बलों के लिए खतरनाक होता जा रहा था घाटी में भले यह भटके युवाओं को पसंद आ रहा था लेकिन इसके अपने परिवार वाले ही इसे नकार चुके थे. रियाज अहमद नायकू के पिता ने एक इंटरव्यू में कहा था नायकू इंजीनियर बनना चाहता था.

परिवार से बातचीत में पता चला कि पिता उसे उसी दिन मरा हुआ मान चुके थे जिस दिन वह हिज्बुल में शामिल हुआ. परिवार इस इंटरव्यू में ऐसे बात करता रहा जैसे बेटा 2018 में ही मर चुका हो. अपने बेटे को याद करते हुए पिता कहते हैं, ‘उसे 12वीं में 600 में से 464 नंबर आए थे. वह प्राइवेट स्कूल में मैथ भी पढ़ाने लगा था.

स्कूल में मैथ पढ़ाने वाला नायकू आतंकी कैसे बना ?

साल 2010 में नायकू के लिए सबकुछ बदलने की शुरुआत हुई. इसी साल प्रदर्शन में 17 साल के अहमद मट्टो की मौत हो गयी. कश्मीर में ऐसा मान जाता है कि प्रदर्शन के दौरान आंसू गैस का गोला लगने से उसकी मौत हो हई। थी. इस प्रदर्शन के बाद पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया. पूछताछ की. जिन लोगों को पुलिस ने पकड़ा उनमें नायकू भी शामिल था. साल 2012 तक नायकू ने शिक्षक के रास्ते को छोड़कर आतंक की राह पर चलने का फैसला ले लिया .अपने पिता से पढ़ाई के नाम पर उसने 7 हजार रुपये मांगा कहा कि उसका एडमिशन हो गया है और वह भोपाल जाना चाहता है. पिता ने पैसे दिये जिसके बाद नायकू कभी नहीं दिखा. महीने भर के बाद घर वालों को पता चला कि वह आतंकी बन गया.

नायकू ने आतंक की नयी राह बनायी

बच्चों को शिक्षित करना वाले नायकू ने हिजबुल में कई चीजों की शुरुआत की. पुलिस पर दबाव बनाने के लिए उसने अपहरण दिवस की शुरुआत की. साउथ कश्मीर में इस दिन 6 पुलिसवालों के घर के 11 फैमिली मेंबर को अगवा कर लिया गया था. नायकू ने पुलिस से इस अपहरण के बदले अपने पिता को पुलिस की हिरासत से छुड़वाया था. नायकू ने ही आतंकियों के मारे जाने पर गन फायर कर श्रद्धांजलि देने का चलन शुरु किया था.

भटके युवाओं के लिए बुरहान के बाद दूसरा नाम था नायकू

आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद नायकू भटके युवाओं के लिए दूसरा नाम था . 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद वहां के लोगों के लिए आतंक का नया चेहरा बन गया था. सबजार भट की मौत के बाद उसे हिजबुल मुजाहिदीन का मुखिया बनाया गया था. नायकू की चर्चा और तेज जब होने लगी थी जब उसने कश्मीरी पंडितों की वापसी पर एक वीडियो बनाकर कहा था कि हम ( आतंकी) आपके दुश्मन नहीं है. कश्मीर में आपका स्वागत है. सुरक्षा बल और आतंकी नायकू का पहले भी कई बार सामना हुआ लेकिन नायकू हर बार चकमा देकर भागने में कामयाब रहा.

PankajKumar Pathak
PankajKumar Pathak
Senior Journalist having more than 10 years of experience in print and digital journalism.

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