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जम्मू कश्मीर में 28 लोगों पर से जन सुरक्षा कानून हटा, महबूबा अब भी हिरासत में

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केन्द्र शासित प्रदेश और उससे बाहर जेलों में बंद 28 लोगों पर से जन सुरक्षा कानून (पीएसए) हटा दिया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर से पीएसए हटाया गया है उनमें एक प्रमुख व्यक्ति कश्मीर व्यापार एवं विनिर्माण संघ (केटीएमएफ) और कश्मीर इकॉनोमिक अलायंस (केईए) के मुखिया मोहम्मद यासीन खान का नाम भी शामिल हैं.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केन्द्र शासित प्रदेश और उससे बाहर जेलों में बंद 28 लोगों पर से जन सुरक्षा कानून (पीएसए) हटा दिया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर से पीएसए हटाया गया है उनमें एक प्रमुख व्यक्ति कश्मीर व्यापार एवं विनिर्माण संघ (केटीएमएफ) और कश्मीर इकॉनोमिक अलायंस (केईए) के मुखिया मोहम्मद यासीन खान का नाम भी शामिल हैं.

Also Read: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, पुलवामा में हुए मुठभेड़ में 2 आतंकी ढेर

केन्द्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था, जिसके बाद मुख्यधारा के नेताओं समेत सैकड़ों लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में ले लिया गया था.

उमर और फारुख अब्दुल्ला रिहा

सरकार ने फारूक अब्दुल्ला को रिहा किया, फिर उमर को, दोनों ही नेताओं से PSA के तहत चार्ज हटा लिए गए. हिरासत से बाहर आने के बाद से उमर अब्दुल्ला सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और सरकार के फैसलों पर लगातार सवाल उठा रहे हैं.

महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता अब भी हिरासत में

बहरहाल, मुख्यधारा के कई अन्य नेता अब भी हिरासत में हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री तथा पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर और पूर्व मंत्री नईम अख्तर शामिल हैं.

क्या है जन सुरक्षा अधिनियम?

इस खबर को पूरी तरह समझने के लिए आपका यह जानना बेहद जरूरी है कि जन सुरक्षा कानून क्या है, क्यों लगाया जाता है. जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा कर उसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया.

इस धारा का इस्तेमाल उन लोगों पर किया जो जनता को प्रभावित कर सकते थे. सुरक्षा और शांति के लिए खतरा बन सकते थे. 1978 में शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को लागू किया था. 2010 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही कम से कम 6 महीने तक जेल में रखा जा सकता है.

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया, इसके अलावा राज्य का बंटवारा कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया. इस फैसले का कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने विरोध किया था, लेकिन स्थिति को संभालने का हवाला देते हुए सरकार ने कई नेताओं को हिरासत में लिया था.

PankajKumar Pathak
PankajKumar Pathak
Senior Journalist having more than 10 years of experience in print and digital journalism.

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