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कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से कृषि मंत्री ने कहा, सरकार अभी भी वार्ता के लिए तैयार

कृषि कानूनो (Farm laws) के खिलाफ किसानों का आंदोलन 9Kisan Andolan) और तेज होता जा रहा है. सरकार से वार्ता विफल होने के बाद किसान आंदोलन तेज करने की बात कह रहे हैं. वही इस बीच फिर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (narender Singh tomar) ने किसानों से गतिरोध खत्म कर बातचीत करने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि हमें उनसे बातचीत का प्रस्ताव मिलना बाकी है जैसे ही हमें उनसे एक प्रस्ताव प्राप्त होता है, हम तैयार होते हैं.

कृषि कानूनो के खिलाफ किसानों का आंदोलन और तेज होता जा रहा है. सरकार से वार्ता विफल होने के बाद किसान आंदोलन तेज करने की बात कह रहे हैं. वही इस बीच फिर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से गतिरोध खत्म कर बातचीत करने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि हमें उनसे बातचीत का प्रस्ताव मिलना बाकी है जैसे ही हमें उनसे एक प्रस्ताव प्राप्त होता है, हम तैयार होते हैं.

सरकार द्वारा किसानों को दिये गये लिखित प्रस्ताव को लेकर कृषि मंत्री ने कहा कि हमारा प्रस्ताव उनके (किसानों) साथ है, उन्होंने इस पर चर्चा की लेकिन हमें उनसे कोई जवाब नहीं मिला है. हमें मीडिया के माध्यम से पता चला कि उन्होंने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. कल ही मैंने कहा था कि अगर वे चाहते हैं, तो हम निश्चित रूप से प्रस्ताव के बारे में बात कर सकते हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि एक समाधान मिल जाएगा. मुझे आशा है. मैं किसान यूनियनों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे गतिरोध को तोड़ें. सरकार ने उन्हें एक प्रस्ताव भेजा है. यदि किसी अधिनियम के प्रावधानों पर आपत्ति है, तो इस पर चर्चा होती है.

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नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को दिये गये लिखित प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों के समाधान का सुझाव देने का प्रयास किया है. उन्हें आंदोलन छोड़कर चर्चा का रास्ता अपनाना चाहिए. सरकार बातचीत के लिए तैयार.

कृषि कानूनों को जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बनाए गए कानून बहुत सारे विचार-विमर्श के बाद बनाए गए हैं, जो किसानों के जीवन में एक बदलाव लाते हैं, जो उनके साथ हो रहे अन्याय को दूर करने के लिए है. यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि किसान बेहतर जीवन छोड़ सकें और लाभकारी कृषि में लिप्त हो सकें.

हम इस बात से सहमत हैं कि हम सत्ताधारी सत्ता नहीं हैं और यूनियनों के दिमाग में भी कुछ हो सकता है. इसलिए, सरकार वार्ता के बाद कानूनों में सुधार करने के लिए तैयार है.आंदोलन से आम लोगों को भी परेशानी होती है दिल्ली के लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं. इसलिए, उन्हें (किसानों को) आम लोगों के हित में अपने आंदोलन को समाप्त करना चाहिए और वार्ता की मदद से मुद्दों को हल करने का प्रयास करना चाहिए.

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Posted By: Pawan Singh

Prabhat Khabar Digital Desk
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