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Kisan Andolan : किसान और सरकार के बीच दसवें दौर की वार्ता मंगलवार को, क्या खत्म होगा आंदोलन ?

तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच मंगलवार को होने वाली 10वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले सरकार ने सोमवार को कहा कि दोनों पक्ष मामले का जल्द समाधान चाहते हैं लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देरी हो रही है .

तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच मंगलवार को होने वाली 10वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले सरकार ने सोमवार को कहा कि दोनों पक्ष मामले का जल्द समाधान चाहते हैं लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देरी हो रही है .

सरकार ने यह दावा किया कि नये कृषि कानून किसानों के हित में हैं और कहा कि जब भी कोई अच्छा कदम उठाया जाता है तो इसमें अड़चनें आती हैं. सरकार ने कहा कि मामले को सुलझाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि किसान नेता अपने हिसाब से समाधान चाहते हैं.

सरकार और प्रदर्शनकारी 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार दोपहर 12 बजे 10वें दौर की वार्ता प्रस्तावित है. उच्चतम द्वारा इस मामले को सुलझाने के मकसद से गठित समिति भी मंगलवार को अपनी पहली बैठक करेगी. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला कहा, ‘‘जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं, अड़चनें सामने आती हैं.

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अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्दी समाधान हो सकता था.” उन्होंने कहा कि चूंकि विभिन्न विचारधारा के लोग इस आंदोलन में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए वे अपने तरीके से समाधान चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं लेकिन दोनों के अलग-अलग विचार हैं. इसलिए विलंब हो रहा है.

कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा.” ज्ञात हो कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले लगभग 50 दिनों से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस बीच डिजिटल माध्यम से एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दोहराया कि तीनों कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी होंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘पिछली सरकारें भी ये कानून लागू करना चाहती थीं लेकिन दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर सकीं. मोदी सरकार ने कड़े निर्णय लिए और ये कानून लेकर आई. जब भी कोई अच्छी चीज होती है तो अड़चने भी आती हैं.”

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10वें दौर की वार्ता से पहले मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के 270 कृषि उत्पादक संघों के एक प्रतिनिधिमंडल ने रूपाला से मुलाकात की और तीनों कानूनों को वापस न लेने की अपील की. दूसरे कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी भी इस बैठक में उपस्थित थे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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