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कानून मंत्री बोले- कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग न्यायालय के सुझाव के अनुरूप कदम

Collegium: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार की ओर से कॉलेजियम में अपने प्रतिनिधियों को शामिल करने की उच्चतम न्यायालय से की गई मांग को बेहद खतरनाक करार दिया है.

Collegium: कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने सोमवार को कहा कि सरकार की ओर से शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्त आयोग अधिनियम (NJAC) को रद्द करने के दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है.

केजरीवाल के बयान पर कानून मंत्री की प्रतिक्रिया

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने यह टिप्पणी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए की. दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार की ओर से कॉलेजियम में अपने प्रतिनिधियों को शामिल करने की उच्चतम न्यायालय से की गई मांग को बेहद खतरनाक करार दिया है.

किरेन रिजीजू का ट्वीट

केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया, मुझे उम्मीद है कि आप अदालत के निर्देश का सम्मान करेंगे. यह उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्त आयोग अधिनियम को रद्द किए जाने के दौरान दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है. उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने कॉलेजियम प्रणाली की प्रक्रिया स्वरूप को पुनर्गठित करने का निर्देश दिया था.

कानून मंत्री का CJI को पत्र 

केंद्रीय कानून मंत्री ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है, ताकि न्यायाधीशों के चयन में पादर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही को समाहित किया जा सके. अरविंद केजरीवाल ने इससे पहले ट्वीट किया था, यह बहुत ही खतरनाक है. न्यायिक नियुक्तियों में सरकार का निश्चित तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.

जजों की नियुक्ति मामले पर कानून मंत्री ने कही थी ये बात

उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में रिजीजू ने कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रणाली संविधान से बिलकुल अलग व्यवस्था है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी दावा किया था कि न्यायपालिका, विधायिका की शक्तियों में अतिक्रमण कर रही है. एक संसदीय समिति ने भी आश्चर्य व्यक्त किया था कि सरकार और उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के बीच करीब सात साल बाद भी शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए संशोधित प्रक्रिया ज्ञापन (MOP) पर सहमति नहीं बन पाई है.

Samir Kumar
Samir Kumar
More than 15 years of professional experience in the field of media industry after M.A. in Journalism From MCRPV Noida in 2005

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