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भारत ने म्यांमार में फर्जी जॉब रैकेट में फंसे 45 युवकों को छुड़ाया, विदेश मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या अन्य स्रोतों के माध्यम से जारी किए जा रहे ऐसे फर्जी नौकरी प्रस्तावों में न फंसें.

नई दिल्ली : भारत सरकार ने बुधवार को फर्जी नौकरी के रैकेट में फंसे करीब 45 युवकों को छुड़ाया है. विदेश मंत्रालय की ओर से बुधवार को जानकारी दी गई है कि सरकार ने म्यांमार में फर्जी नौकरी रैकेट में फंसे करीब 45 भारतीयों को बचाया है. इस बाबत विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सोशल मीडिया पर जानकारी शेयर की है. इसमें उन्होंने दोहराया कि भारत म्यांमार में फर्जी नौकरी रैकेट में फंसे भारतीयों के मामले को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है. इसके लिए उन्होंने थाईलैंड और म्यांमार में भारतीय राजदूतों का आभार प्रकट भी किया है. इसके साथ ही, विदेश मंत्रालय ने सात समंदर पार नौकरी की चाहत रखने वाले आईटी के युवकों के लिए एडवाइजरी भी जारी की है.

कई और देशों में फंसे हैं भारतीय युवक

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, फर्जी नौकरी के गोरखधंधे में फंसे भारत के करीब 32 युवकों को पहले ही बचाया जा चुका था. इसके बाद अब 13 अन्य लोगों को बचाया गया है. बचाए गए भारत के सभी 45 युवक आज बुधवार को तमिलनाडु वापस लौट गए हैं. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ और भारतीय नागरिकों को उनके नकली नियोक्ताओं से मुक्त कराया गया है और वे उस देश में अवैध प्रवेश के लिए म्यांमार के अधिकारियों की हिरासत में हैं. उन्हें जल्द से जल्द स्वदेश लाने के लिए कानूनी औपचारिकताएं शुरू कर दी गई हैं. लाओस और कंबोडिया में भी इसी तरह के नौकरी रैकेट सामने आए हैं. इतना ही नहीं, फर्जी नौकरी के धंधे में वियतनाम, नोमपेन्ह और बैंकॉक में भारतीय दूतावास वहां से लोगों को वापस लाने में मदद कर रहे हैं.

विदेश मंत्रालय ने दी सलाह

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कंबोडिया में भारत के राजदूत ने ट्वीट किया कि कंबोडिया में फंसे भारतीय नागरिकों को बचाने में सहयोग देने के लिए के लिए सभी एजेंसियों का दिल से आभार. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आगे भारतीय नागरिकों को विदेशों में रोजगार के संदिग्ध प्रस्तावों को स्वीकार करने से पहले क्रॉस-चेक करने और ऐसी नौकरियों के खिलाफ अत्यधिक सावधानी बरतने की चेतावनी दी.

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विदेश मंत्रालय ने पहले ही आईटी के युवकों को किया था आगाह

बता दें कि इससे पहले सितंबर में, भारतीय नागरिकों को एक सलाह में विदेश मंत्रालय ने आईटी कुशल युवाओं को आगाह किया था जो इस तरह के फर्जी नौकरी का रैकेट चलाने वाले धंधेबाजों के टारगेट थे. कॉल सेंटर घोटाले और क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी में शामिल संदिग्ध आईटी फर्मों द्वारा थाईलैंड में ‘डिजिटल सेल्स एंड मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव’ के पदों के लिए भारतीय युवाओं को लुभाने के लिए आकर्षक नौकरी की पेशकश करने वाले फर्जी नौकरी रैकेट के उदाहरण हाल ही में हमारे संज्ञान में आए हैं. बैंकॉक और म्यांमार में मिशन जारी है. इन धंधेबाजों के निशाने पर आईटी के कुशल युवा हैं, जिन्हें सोशल मीडिया विज्ञापनों के साथ-साथ दुबई और भारत-आधारित एजेंटों द्वारा थाईलैंड में आकर्षक डेटा एंट्री के क्षेत्र में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा जाता है.

म्यांमार में बनाया गया बंदी

धंधेबाजों की चपेट में आने वाले आईटी के ज्यादातर युवकों को कथित तौर पर अवैध तरीके से म्यांमार में ले जाया गया और कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए बंदी बना लिया गया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या अन्य स्रोतों के माध्यम से जारी किए जा रहे ऐसे फर्जी नौकरी प्रस्तावों में न फंसें. रोजगार के उद्देश्य से टूरिस्ट या विजिट वीजा पर यात्रा करने से पहले भारतीय नागरिकों को संबंधित देश में भारतीय दूतावास के माध्यम से विदेशी नियोक्ताओं की साख की जांच या सत्यापन करने की सलाह दी जाती है.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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