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नयी शिक्षा निति पर क्या है विशेषज्ञों की राय

नयी शिक्षा नीति को लेकर शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की मिश्रित प्रतिक्रिया आई है. उनमें से कई ने जहां इसे बहुप्रतीक्षित और महत्वपूर्ण सुधार बताया है, वहीं कुछ अन्य ने कहा कि बारीकी से विश्लेषण पर ही इसके गुण-दोष का पता चलेगा और उम्मीद जताई कि जमीन पर इसे उतारा जाएगा.

नयी दिल्ली : नयी शिक्षा नीति को लेकर शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की मिश्रित प्रतिक्रिया आई है. उनमें से कई ने जहां इसे बहुप्रतीक्षित और महत्वपूर्ण सुधार बताया है, वहीं कुछ अन्य ने कहा कि बारीकी से विश्लेषण पर ही इसके गुण-दोष का पता चलेगा और उम्मीद जताई कि जमीन पर इसे उतारा जाएगा.

नयी शिक्षा नीति में पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई, बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने, विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर खोलने की अनुमति देने, विधि और मेडिकल को छोड़कर उच्च शिक्षा के लिये एकल नियामक बनाने, विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिये साझा प्रवेश परीक्षा आयोजित करने सहित स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अनेक सुधारों की बात कही गई है .

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दी . आईआईटी दिल्ली के निदेशक रामगोपाल राव ने नयी नीति को भारत में उच्च शिक्षा के लिये ‘‘मोरिल क्षण” करार दिया . अमेरिका में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और कृषि, गृह अर्थशास्त्र, यांत्रिक कला और अन्य पेशों के बारे शिक्षित करने के लिये 1862 में मोरिल अधिनियम पारित किया गया था. उन्होंने कहा कि सभी मंत्रालयों की सहभागिता से राष्ट्रीय शोध कोष के सृजन से हमारा अनुसंधान प्रभावी होगा और समाज में इसका असर दिखेगा .

आईआईएम संभलपुर के निदेशक महादेव जायसवाल ने कहा कि 10+2 प्रणाली से 5+3+3+4 प्रणाली की ओर बढ़ना अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानदंडों के अनुरूप है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे आईआईएम और आईआईटी के ढांचे छोटे होने के कारण काफी प्रतिभा होने के बावजूद वे दुनिया के शीर्ष 100 संस्थानों की सूची में नहीं आ पाते हैं. तकनीकी संस्थानों के बहु विषयक बनने से आईआईएम और आईआईटी को मदद मिलेगी. ”

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दिनेश सिंह ने कहा कि यह नीति कौशल और ज्ञान के मिश्रण से स्वस्थ माहौल सृजित करेगी. उन्होंने कहा कि नीति में कुछ ऐसे सुधार हैं जिनकी लम्बे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी. यह विभिन्न संकायों और विषयों के मेल का मार्ग प्रशस्त करेगी और इससे पठन-पाठन एवं विचारों तथा वास्तविक दुनिया में इनके उपयोग को बढ़ावा मिलेगा.

ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन की महानिदेशक रेखा सेठी ने कहा, ‘‘नयी शिक्षा नीति शिक्षा के क्षेत्र में आपूर्ति और देश में उच्च शिक्षा के नियमन संबंधी जटिलताओं को दूर करेगी और सभी छात्रों के लिये समान अवसर प्रदान करेगी. कोविड-19 के बाद के समय में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने का कदम महत्वपूर्ण है.” जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने नयी शिक्षा नीति को महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि भारत में उच्च शिक्षा का स्वरूप अब समग्र एवं बहु-विषयक होगा, जिसमें विज्ञान, कला और मानविकी पर साझा ध्यान दिया जायेगा .

उन्होंने कहा, ‘‘सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिये एकल नियामक का होना अच्छा विचार है और इससे सामंजस्य बेहतर होगा. इससे भारत में शिक्षा का उद्देश्य हासिल करने में मदद मिलेगी.” बीएमएल मुंजाल विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज के अरोड़ा ने कहा कि यह प्रगतिशील और आगे की ओर बढ़ने वाली नीति है. यह देश में उच्च शिक्षा के आयामों को बदलने वाला है.

वहीं, कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि बारीकी से विश्लेषण करने पर ही इसके गुण-दोष का पता चलेगा और इस नीति को जमीन पर उतारने के लिये केंद्रित दृष्टिकोण अपनाए जाने की जरूरत बताई. शिव नाडर विश्वविद्यालय की कुलपति रूपामंजरी घोष ने कहा कि नीति में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार की बात कही गई है लेकिन इसे जमीन पर कैसे और कितना उतारा जाता है, यह देखना होगा.

उन्होंने कहा कि सुधार की सच्ची भावना देश के छात्रों के सशक्तिकरण में निहित होती है ताकि वे अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर सकें. हेरिटेज स्कूल के निदेशक विष्णु कार्तिक ने कहा कि नीति में इस बात का ध्यान होना चाहिए कि सुधार इनपुट आधारित होने की बजाए परिणाम आधारित हों. जे के लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रोशन लाल रैना ने कहा कि नयी शिक्षा नीति एक महत्वपूर्ण निर्णय है और इससे अगली पीढ़ी के छात्रों को काफी लाभ होगा तथा शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी . सेव द चिल्ड्रेन के प्रवक्ता ने कहा कि प्रौद्योगिकी की पृष्ठभूमि में यह नीति अच्छी है लेकिन इसमें इन आदर्श लक्ष्यों को हासिल करने का मार्ग स्पष्ट नहीं है.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

PankajKumar Pathak
PankajKumar Pathak
Senior Journalist having more than 10 years of experience in print and digital journalism.

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