Nur Khan Airbase: चीनी सैटेलाइट फर्म (MIZAZVISION) द्वारा सैटेलाइट इमेजरी जारी की गई है. इसमें भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए हमलों के बाद पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर हुए नुकसान को दिखाया गया है. भारतीय सशस्त्र बलों ने पंजाब के रफीकी, मुरीद, नूर खान, चुनियान और सुक्कुर में पाकिस्तानी वायुसेना के ठिकानों को टरगेट किया. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने देश को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मिसाइलों ने रावलपिंडी में नूर खान बेस, चकवाल में मुरीद बेस और पंजाब प्रांत के झंग जिले में रफीकी बेस पर हमला किया.
रावलपिंडी के चकलाला में स्थित है नूर खान एयरबेस
पाकिस्तान वायु सेना बेस नूर खान, रावलपिंडी के चकलाला में स्थित है, जो पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 10 किमी दूर है. नूर खान एयरबेस इन बेस में सबसे महत्वपूर्ण है. यह पाकिस्तान के मुख्य परिवहन स्क्वाड्रनों का अड्डा है. इसका उपयोग रसद और रणनीतिक एयरलिफ्ट ऑपरेशनों के लिए किया जाता है. सी-130 हरक्यूलिस और साब 2000 जैसे परिवहन विमान और आईएल-78 मिड-एयर रिफ्यूलर के साथ-साथ वीआईपी को लाने-ले जाने वाले विमान भी यहां मौजूद रहते हैं. नूर खान एयरबेस पर कथित हमला दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव में एक महत्वपूर्ण घटना है.
अमेरिकी सेना मौजूद रह चुकी है यहां
पाकिस्तान में 2005 में आए भूकंप के बाद अमेरिका ने मानवीय कार्यों में सहायता के लिए चकलाला बेस पर हेलीकॉप्टर और कार्गो विमानों के साथ लगभग 300 सैन्य कर्मियों को तैनात किया था. रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि 2001 के अंत से इस बेस ने अफगानिस्तान में अमेरिकी अभियानों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस्लामाबाद के नजदीक होने की वजह से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के दौरान रसद और खुफिया जानकारी में मदद मिली.
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2009 में, एयरबेस को एक IL-78 एरियल रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट मिला, जिससे यह पाकिस्तान के विस्तारित-रेंज एयर मिशनों के लिए खास हो गया. इस अतिरिक्त विमान के कारण नंबर 10 MRTT स्क्वाड्रन का गठन हुआ. 2012 में, बेस का नाम बदलकर PAF बेस नूर खान कर दिया गया. यह नाम बेस कमांडर और पूर्व चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल मलिक नूर खान के सम्मान में रखा गया. उन्हें 1960 के दशक के दौरान पाकिस्तान वायु सेना के मॉडर्नाइजेशन के लिए जाना जाता है.