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Operation Sindoor : युद्ध बॉलीवुड की कोई रोमांटिक फिल्म नहीं, भड़के पूर्व सेना प्रमुख

Operation Sindoor : भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रोकने के फैसले पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि युद्ध कोई रोमांटिक हिंदी फिल्म नहीं होता. भारत ने छह और सात मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी.

Operation Sindoor : पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष रोकने के फैसले पर उठ रहे सवालों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि युद्ध न तो रोमांटिक होता है और न ही यह कोई बॉलीवुड फिल्म है. पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि अगर आदेश मिलता तो वे युद्ध के लिए तैयार रहते, लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता हमेशा कूटनीति रहेगी, क्योंकि शांति से ही स्थायी समाधान संभव है.

जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि जब रात में गोले गिरते हैं और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले खासकर बच्चे शरण स्थलों की ओर भागते हैं, तो वह अनुभव गहरी वेदना छोड़ता है. जिन लोगों ने अपने परिजन खोए हैं, उनका दर्द पीढ़ियों तक रहता है. इसे ‘पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर’ (PTSD) कहा जाता है. ऐसे लोग वर्षों बाद भी डर के मारे पसीने में भीगकर जागते हैं.

युद्ध या हिंसा अंतिम विकल्प होना चाहिए : नरवणे

जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि युद्ध कोई रोमांटिक या बॉलीवुड फिल्म जैसा नहीं होता, यह एक गंभीर विषय है और हिंसा हमेशा अंतिम विकल्प होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी स्पष्ट किया है कि यह युद्ध का युग नहीं है. भले ही कुछ लोग हम पर युद्ध थोपें, हमें उसका स्वागत नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक सैनिक होने के नाते आदेश मिलने पर वे युद्ध के लिए तैयार हैं, लेकिन यह उनकी पहली पसंद नहीं होगी.

यह भी पढ़ें : Operation Sindoor: पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को करेंगे तबाह, पीएम मोदी ने पहले ही अमेरिका को बताया था

जनरल नरवणे ने कहा कि उनका पहला विकल्प कूटनीति होगा, संवाद के माध्यम से मतभेदों को सुलझाना और सशस्त्र संघर्ष की नौबत न आने देना होगा. उन्होंने कहा, “हम सभी राष्ट्रीय सुरक्षा के समान हिस्सेदार हैं. हमें सिर्फ देशों के बीच ही नहीं, बल्कि अपने बीच, अपने परिवारों, राज्यों, क्षेत्रों और समुदायों के बीच भी मतभेदों को संवाद से सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए. हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.”

Amitabh Kumar
Amitabh Kumar
डिजिटल जर्नलिज्म में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है. जर्नलिज्म की शुरूआत प्रभातखबर.कॉम से की. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़. राजनीति,सामाजिक संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. ट्रेंडिंग खबरों पर फोकस.

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