24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

लोकसभा में गिरा विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव, मोदी सरकार ने दूसरी बार दर्ज की जीत, ऐसा रहा इतिहास

इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था. इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट दिया था.

लोकसभा में कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गुरुवार को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया. अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीब सवा दो घंटे तक चले जवाब के बाद निचले सदन ने इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से खारिज कर दिया.

पीएम मोदी के भाषण के दौरान विपक्ष ने किया वॉकआउट

नरेंद्र मोदी के जवाब के दौरान ही कांग्रेस सहित उसके सहयोगी दलों के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर गये और किसी भी सदस्य ने अविश्वास प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग नहीं की जिसके चलते प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया.

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत की

अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने चर्चा की शुरुआत की थी. पिछले तीन दिनों के दौरान इस चर्चा में कांग्रेस के राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, मनीष तिवारी, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय एवं महुआ मोइत्रा, जनता दल (यू) के राजीव रंजन सिंह, समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव, नेशनल कॉन्फ्रेस के फारुक अब्दुल्ला सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं ने भाग लिया.

Also Read: कांग्रेस को जनता कह रही है नो काॅन्फिडेंस, अविश्वास प्रस्ताव पर पीएम नरेंद्र मोदी का जवाब- पढ़ें, भाषण का अंश

सत्ता की ओर से इन सांसदों ने चर्चा में लिया हिस्सा

चर्चा में सत्ता पक्ष की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी भाग लिया.

मोदी सरकार के खिलाफ दूसरी बार लाया गया अविश्वास प्रस्ताव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने नौ वर्षों के अपने अब तक के कार्यकाल में दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया. यह अविश्वास प्रस्ताव भी विफल रहा जिसका पहले से अनुमान था.

Also Read: No-Confidence Motion: लोकसभा में I-N-D-I-A का अविश्वास प्रस्ताव गिरा, मोदी सरकार की जीत, अधीर रंजन सस्पेंड

2018 में मोदी सरकार को पहली बार अविश्वास का किया था सामना

इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था. इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट दिया था. इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय था क्योंकि संख्या बल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में है और निचले सदन में विपक्षी दलों के 150 से कम सदस्य हैं. लेकिन उनकी दलील थी कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए धारणा से जुड़ी लड़ाई में सरकार को मात देने में सफल रहेंगे.

क्या है अविश्वास प्रस्ताव और नियम

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए जरूरी है कि उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तिथि तय करने के संदर्भ में 10 दिनों के भीतर फैसला करना होता है. सदन की मंजूरी के बाद इस पर चर्चा और मतदान होता है. अगर सत्ता पक्ष इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हार जाता है तो प्रधानमंत्री समेत पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है.

अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास

भारत के संसदीय इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव लाने का सिलसिला देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय ही शुरू हो गया था. नेहरू के खिलाफ 1963 में आचार्य कृपलानी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे. इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 मत पड़े थे जबकि विरोध में 347 मत आए थे. इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी वी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह समेत कई प्रधानमंत्रियों को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था. मोदी सरकार के खिलाफ दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने से पहले कुल 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए और इनमें से किसी भी मौके पर सरकार नहीं गिरी, हालांकि विश्वास प्रस्ताव का सामना करते हुए तीन सरकारों को जाना पड़ा.

आखिरी बार 1999 में विश्वास प्रस्ताव का सामना करते हुए गिरी थी वाजपेयी सरकार

आखिरी बार 1999 में विश्वास प्रस्ताव का सामना करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरी थी. ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ के अनुसार, इंदिरा गांधी को सबसे अधिक 15 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ तीन अविश्वास प्रस्ताव, पी वी नरसिंह राव के खिलाफ तीन, मोरारजी देसाई के खिलाफ दो और राजीव गांधी तथा अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ एक-एक प्रस्ताव लाया गया था.

ArbindKumar Mishra
ArbindKumar Mishra
मुख्यधारा की पत्रकारिता में 14 वर्षों से ज्यादा का अनुभव. खेल जगत में मेरी रुचि है. वैसे, मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर काम करता हूं. झारखंड की संस्कृति में भी मेरी गहरी रुचि है. मैं पिछले 14 वर्षों से प्रभातखबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इस दौरान मुझे डिजिटल मीडिया में काम करने का काफी अनुभव प्राप्त हुआ है. फिलहाल मैं बतौर शिफ्ट इंचार्ज कार्यरत हूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel