उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने और सैकड़ों घरों में दरारें आने से लोग दहशत में हैं. वहां के कई परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है. जोशीमठ में कुल 4,500 मकान हैं और इनमें से 610 में बड़ी दरारें पड़ गई हैं, जिससे ये रहने लायक नहीं रह गई हैं. चमोली के जिलाधिकारी (डीएम) हिमांशु खुराना ने बताया कि जोशीमठ को भूस्लखन के व्यापक खतरे वाला क्षेत्र घोषित किया गया है और 60 से अधिक प्रभावित परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है. जोशीमठ मामले की गंभीरता को देखते हुए रविवार को पीएमओ की हाई लेवल मीटिंग हुई. इसमें प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव ने स्थिति की समीक्षा की. उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने पीएमओ को हालत की जानकारी दी. जोशीमठ मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंतित है. उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से स्थिति का जायजा लिया है और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है . जोशीमठ की स्थिति को विशेषज्ञों ने गंभीर चेतावनी करार दिया है. विशेषज्ञों ने कहा कि उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन का धंसना मुख्य रूप से राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) की तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के कारण है और यह एक बहुत ही गंभीर चेतावनी है कि लोग पर्यावरण के साथ इस हद तक खिलवाड़ कर रहे हैं कि पुरानी स्थिति को फिर से बहाल कर पाना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा कि बिना किसी योजना के बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति और भी कमजोर बना रहा है. .
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Video : जोशीमठ को लेकर पीएम चिंतित, पर्यावरण के साथ खिलवाड़ बन रहा इस आपदा की वजह!
जोशीमठ में कुल 4,500 मकान हैं और इनमें से 610 में बड़ी दरारें पड़ गई हैं
By Raj Lakshmi
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Raj Lakshmi
Reporter with 1.5 years experience in digital media.
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