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Rajasthan Crisis: राजभवन से भी खाली हाथ लौटे CM अशोक गहलोत, दे डाली यह चेतावनी

जयपुर : राजस्थान (Rajasthan Crisis) में सियासी पारा पूरी तरह गर्म है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) अपने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन पहुंच गये हैं. वे राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) से विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति मांग रहे हैं, जबकि राज्यपाल का कहना है कि कोरोना काल में ऐसा करना सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि विमर्श के लिए अभी सही समय नहीं है. इधर, हाईकोर्ट ने शुक्रवार को विधानसभा स्पीकर द्वारा दिये गये नोटिस पर अभी स्टे लगा दिया है.

जयपुर : राजस्थान (Rajasthan Crisis) में सियासी पारा पूरी तरह गर्म है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) अपने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन पहुंच गये हैं. वे राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) से विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति मांग रहे हैं, जबकि राज्यपाल का कहना है कि कोरोना काल में ऐसा करना सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि विमर्श के लिए अभी सही समय नहीं है. इधर, हाईकोर्ट ने शुक्रवार को विधानसभा स्पीकर द्वारा दिये गये नोटिस पर अभी स्टे लगा दिया है.

राज्यपाल से मुलाकात के बाद जब बात नहीं बनीं तो गहलोत समर्थक विधायकों ने राजभवन में जमकर नारेबाजी की और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये. राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जब तक राज्यपाल कलराज मिश्र विधानसभा सत्र बुलाने की मंजूरी नहीं देंगे तब तक सभी विधायक राजभवन में धरने पर बैठे रहेंगे. गहलोत ने यहां तक चेतावनी दे डाली की अगर जनता भारी संख्या में राजभवन का घेराव करती है तो मेरा कोई दोष नहीं होगा.

वहीं, कांग्रेस ने विधायकों के राजभवन में धरना देने के संबंध में शुक्रवार को आरोप लगाया कि मौजूदा समय में लोकतंत्र की नयी परिभाषा गढ़ी जा रही है और राज्यपाल प्रजातंत्र के रक्षक होने की भूमिका का निर्वहन नहीं कर रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले की पृष्ठभूमि में दावा किया कि इन दिनों उच्च न्यायालयों में उच्चतम न्यायालय के फैसलों का अनुसरण नहीं किया जा रहा है.

उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘लोकतंत्र की नयी परिभाषा गढ़ी जा रही है. अब राज्यपाल लोकतंत्र के रक्षक नहीं रहे, बल्कि वे केंद्र की सत्ता के रक्षक हैं.’ उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर सिब्बल ने कहा, ‘कहना नहीं चाहिए लेकिन कहना पड़ता है कि उच्चतम न्यायालय जो फैसले करता है उसे उच्च न्यायालय किनारे कर देते हैं. उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले का अनुसरण नहीं किया जा रहा है.’

Also Read: Rajasthan crisis : हाईकोर्ट का फैसला जो भी आए, सचिन पायलट को चित करने के लिए गहलोत ने बना रखी है प्लान-बी, जानें

फैसले पर निराश जताते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत निराश हूं. कोई रोशनी नहीं दिखती.’ कांग्रेस नेता ने कहा कि सचिन पायलट को बताना चाहिए कि वह क्या चाहते हैं और उन्हें यह समझना चाहिए कि 20-25 विधायकों के साथ वह मुख्यमंत्री नहीं बन सकते. उन्होंने कहा, ‘‘सचिन पायलट को इतनी छोटी उम्र में जो मिला, शायद ही किसी को इतना मिला हो. अब आप (पायलट) क्या चाहते हैं? अगर भाजपा में शामिल होना चाहते हैं तो बताइए. अगर आप अपनी पार्टी बनाना चाहते हैं तो बताइए. यह बताइए कि क्या कोई ‘डील’ हुई है? बिन बोले होटल में बैठकर काम नहीं चलेगा.’

सिब्बल ने कहा, ‘अगर आपकी कोई और चिंता है तो आप बताइए. आप 20-25 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री नहीं बन सकते. कांग्रेस के पास राजस्थान में 100 से अधिक विधायक हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इस तरह से सबके सामने तमाशा नहीं बनाना चाहिए. इसमें पार्टी का नुकसान है, आपका नुकसान है, सभी का नुकसान है.’ सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस को सबको साथ ले कर आगे बढ़ना चाहिए और अहिंसक तरीके से सड़क पर उतर देश की जनता को बताना चाहिए कि लोकतंत्र की परिभाषा बदली जा रही है. उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा जल्द नहीं होता है तो मैं खुद सड़क पर उतरूंगा.’

Posted By: Amlesh Nandan Sinha.

Prabhat Khabar Digital Desk
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