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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने वाली सभी याचिकाएं SC में ट्रांसफर, जानिए कब होगी अगली सुनवाई

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से समलैंगिक विवाह पर अपना जवाब 15 फरवरी तक दाखिल करने को कहा और सभी याचिकाओं को मार्च तक सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के संबंध में विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित किया. शीर्ष अदालत ने केंद्र से समलैंगिक विवाह पर अपना जवाब 15 फरवरी तक दाखिल करने को कहा और सभी याचिकाओं को मार्च तक सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी.

सुप्रीम कोर्ट के बाहर इन लोगों ने किया सांकेतिक विरोध प्रदर्शन

समलैंगिक जोड़ों के विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले में आज सुनवाई से पहले यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अध्यक्ष जय भगवान गोयल और संगठन के कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया. मामले पर पिछली सुनवाई 14 दिसंबर, 2022 को हुई थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता देने की नई याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित है याचिकाएं

बता दें क‍ि स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और फॉरेन मैरिज एक्ट 1969 के तहत अपने विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाले कई समलैंगिक जोड़ों की आठ याचिकाएं विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं. इन्हें सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए भी एक याचिका दायर की गई थी. जिस पर शीर्ष अदालत ने आज अपनी मुहर लगा दी. इसी के साथ अब ये सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के पास सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएंगी.

कोर्ट ने केंद्र को जारी किया था नोटिस

इससे पहले, 25 नवंबर 2022 को शीर्ष अदालत ने एक और समलैंगिक जोड़े की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और चार सप्ताह में जवाब मांगा था. उल्लेखनीय है कि सेम जेंडर मैरिज या समलैंगिक विवाह में लड़की अपनी पसंद की लड़की से या लड़के अपने पसंद के लड़के को अपना जीवनसाथी चुनते हैं. भारत में फिलहाल इस तरह की शादियों के लिए किसी तरह का कानूनी प्रावधान नहीं है. हालांकि, इस तरह के रिश्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि संबंध रखे जा सकते हैं, अगर दोनों पार्टनर की रजामंदी हो तो. दुनिया के 32 देश ऐसे हैं, जो अपने यहां समलैंगिक विवाहों को मान्यता दे चुके हैं.

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Samir Kumar
Samir Kumar
More than 15 years of professional experience in the field of media industry after M.A. in Journalism From MCRPV Noida in 2005

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