Tahawwur Rana Lawyer: 26 नवंबर 2008 को हुए भीषण मुंबई आतंकी हमले को आज लगभग 17 साल बीत चुके हैं, लेकिन इस साजिश के पीछे के कई राज और आरोपी अब भी न्याय के कटघरे में लाए जाने बाकी हैं. तहव्वुर हुसैन राणा का इस हमले का कथित मास्टरमाइंड, जिसे अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है. राणा का केस अब पीयूष सचदेवा लड़ेगे.
राणा जो पाकिस्तान का नागरिक है और कई वर्षों से अमेरिका में रह रहा था, पर आरोप है कि वह 26/11 के हमलों की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल था। भारत में उसे फांसी की सज़ा दिलाने की मांग उठ रही है. हालांकि, भारत की न्याय प्रणाली हर आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई और कानूनी प्रतिनिधित्व का अधिकार देती है.
तहव्वुर राणा का केस लड़ेगें पीयूष सचदेवा
तहव्वुर राणा का केस दिल्ली के जाने-माने वकील पीयूष सचदेवा लड़ेंगे, जिन्हें दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) की ओर से नियुक्त किया गया है. पीयूष सचदेवा 37 वर्षीय कानूनी पेशेवर हैं, साल 2011 में पुणे के ILS लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री और बाद में लंदन के किंग्स कॉलेज से इंटरनेशनल बिजनेस और कमर्शियल लॉ में मास्टर्स की डिग्री हासिल कर चुके हैं. उनका एक दशक से भी अधिक का कानूनी करियर उन्हें इस चुनौतीपूर्ण केस के लिए सक्षम बनाता है.
क्यों लड़ रहे हैं सचदेवा राणा का केस?
विधिक सेवा प्राधिकरण की व्यवस्था के तहत यदि कोई आरोपी अपनी ओर से वकील नहीं कर सकता या कोई वकील उसका केस लेने को तैयार नहीं होता, तो राज्य द्वारा उसे कानूनी सहायता प्रदान की जाती है. राणा के मामले में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई और DLSA ने पीयूष सचदेवा को यह जिम्मेदारी सौंपी.
कैसे की गई पीयूष सचदेवा
जब तहव्वुर राणा को पटियाला हाउस कोर्ट में विशेष एनआईए जज चंद्रजीत सिंह के सामने पेश किया गया तो अदालत में उसने साफ कहा कि उसके पास कोई निजी वकील नहीं है. भारतीय संविधान में प्रदत्त न्यायिक सिद्धांतों के अनुरूप, कोर्ट ने दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) को निर्देश दिया कि आरोपी को कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाए.
इस आदेश के बाद DLSA ने वरिष्ठ वकील पीयूष सचदेवा को राणा का कानूनी प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी सौंपी. सचदेवा न केवल DLSA के पैनल में शामिल हैं, बल्कि उनके पास अंतरराष्ट्रीय और आपराधिक मामलों में पर्याप्त अनुभव भी है.