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Explainer : क्या है हर घर तिरंगा अभियान? जानिए 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस के झंडोत्तोलन में अंतर

सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि 'हर घर तिरंगा' अभियान क्या है? दरअसल, आजादी के 75 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में सरकार की ओर से 'हर घर तिरंगा' अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान की शुरुआत 11 अगस्त को की गई है और यह 15 अगस्त तक अनवरत जारी रहेगा.

नई दिल्ली : आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र की मोदी सरकार की ओर से पूरे देश में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया जा रहा है. इस मौके को ऐतिहासिक बनाने के लिए भारत में जगह-जगह सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और राज्य सरकारों द्वारा तिरंगे का वितरण भी किया जा रहा है. आम तौर पर भारत में तिरंगा प्रत्येक साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर फहराया जाता है, लेकिन इन दोनों मौकों पर तिरंगा झंडा के फहराने में अंतर है. आइए, सबसे पहले जानते हैं ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के बारे में, उसके बाद स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडोत्तोलन के अंतर के बारे में जानेंगे.

क्या है ‘हर घर तिरंगा’ का मकसद

सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि ‘हर घर तिरंगा’ अभियान क्या है? दरअसल, आजादी के 75 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में सरकार की ओर से ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान की शुरुआत 11 अगस्त को की गई है और यह 15 अगस्त तक अनवरत जारी रहेगा. सरकार के इस अभियान के तहत पूरे देश में करीब 20 करोड़ से अधिक घरों पर तिरंगा झंडा फहराया जाना है. इसके लिए देश के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों और विभागों को शामिल किया गया है. इस अभियान के शुरू होने के बाद से ही देश के विभिन्न स्थानों के घरों, दफ्तरों और प्रतिष्ठानों पर तिरंगा झंडा लगाया गया है. भारत में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाने के पीछे सरकार का मकसद आबादी में ‘देशभक्ति की भावना’ पैदा करना और भारत की आजादी में प्रमुखता से भागीदारी निभाने वाले महापुरुषों के बलिदान और कर्तव्य का बोध करना है.

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडोत्तोलन में अंतर

अब हम आपको भारत में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौकों पर फहराए जाने वाले तिरंगा के अंतर के बारे में बताते हैं.

पहला अंतर : जब हम देश में 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडोत्तोलन करते हैं, तो इसमें बांस या लोहे के खंभे में लटकाए गए तिरंगे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है. इसके बाद उसे खोल कर फहराया जाता है. इसे हम ध्वजारोहण भी कहते हैं. भारतीय संविधान में ध्वजारोहण को फ्लैग होस्टिंग (Flag Hoisting) भी कहा गया है. ऐसा 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने के लिए किया जाता है. भारत की आजादी मिलने के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी तिरंगा झंडा फहराने के समय ऐसा ही किया था. वहीं, गणतंत्र दिवस के मौके पर जब हम प्रत्येक साल 26 जनवरी को झंडोत्तोलन करते हैं, तो तिरंगा बांस या लोहे के खंभे के ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है. संविधान में इसे फ्लैग अनफर्लिंग (Flag Unfurling) कहा गया है.

दूसरा अंतर : इसके बाद दूसरा अंतर यह है कि जब हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, तो भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली स्थित लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा झंडे से ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था. वहीं, जब हम देश में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तो भारत के राष्ट्रपति दिल्ली स्थित इंडिया गेट के राजपथ पर तिरंगा झंडे को फहराते हैं. भारत में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1950 को देश में भारत का संविधान लागू किया गया था और भारत को पूरी दुनिया में एक गणतांत्रिक देश के रूप में मान्यता मिली थी. गणतंत्र दिवस को भारत के राष्ट्रपति तिरंगा झंडा इसलिए फहराते हैं, क्योंकि वे देश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं.

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तीसरा अंतर : स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली स्थित लाल किले के प्राचीर पर तिरंगे का ध्वजारोहण करते हैं. वहीं, गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते देश के राष्ट्रपति इंडिया गेट के राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराते हैं.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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