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आखिर क्यों शुरू हुई मणिपुर में हिंसा? यहां जानें विस्तार से

मणिपुर में आखिर ऐसा क्या हुआ कि वहां के कई लोग 'दरिंदे' बन गए और नरसंहार शुरू हो गया. आइए जानते है पूरा मामला विस्तार से...

Manipur Violence : बुधवार को देश के सामने मणिपुर से एक ऐसा वीडियो आया जिसे देख कई लोग स्तब्ध रह गए. राजनेता, अभिनेता समेत कई लोगों ने इस वीडियो की भर्त्सना की. यह वीडियो मणिपुर हिंसा से संबंधित बताया जा रहा है. लेकिन मणिपुर में ऐसी स्थिति क्यों बनी. यह सवाल कई लोगों के मन में है. साथ ही लोगों के बीच इस बात को लेकर अस्पष्टता है कि मणिपुर में आखिर ऐसा क्या हुआ कि वहां के कई लोग ‘दरिंदे’ बन गए और नरसंहार शुरू हो गया. आइए जानते है पूरा मामला विस्तार से…

मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय के बीच विवाद

मणिपुर उच्च न्यायालय ने 19 अप्रैल को एक आदेश जारी किया जिसमें राज्य के बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया गया था। हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू करे जिसमें गैर-जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी. इस आदेश के बाद राज्य में मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय के बीच विवाद शुरू हो गया और धीरे-धीरे यह हिंसक रूप लेने लगा.

कुकी समुदाय के द्वारा फैसले का विरोध

इंफाल घाटी में स्थित मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच यह हिंसक झड़प की शुरुआत अपने पहचान को लेकर शुरू हुई थी. बता दें कि राज्य के सबसे बड़े जनजातीय समुदाय ‘कुकी समुदाय’ और राज्य के बहुसंख्यक ‘मैतेई समुदाय’ के लोगों ने बीच अप्रैल महीने के अंत से लगातार हिंसा की खबर आने लगी. कुकी समुदाय के द्वारा हाईकोर्ट के इस फैसले का विरोध किया गया, जिसके बाद मैतेई समुदाय के लोगों ने भी कुकी समुदाय के इस विरोध का पलटवार किया.

मणिपुर में मैतेई समुदाय बहुसंख्यक

बात अगर विस्तार से समझाए तो मणिपुर में 16 जिले है. लेकिन, पूरा राज्य दो हिस्सों में बंटा हुआ है, पहला इंफाल घाटी, दूसरा पहाड़ी जिले. इंफाल घाटी मैतेई बहुल इलाका है. वहीं, पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है. विशेष तौर पर चार पहाड़ी जिलों में कुकी समुदाय के लोगों का राज है. मणिपुर की आबादी लगभग 28 लाख है. इसमें मैतेई समुदाय के लोग लगभग 53 फीसद हैं. मणिपुर के भूमि क्षेत्र का लगभग 10% हिस्सा इन्हीं लोगों के कब्जे में हैं.

कुकी समुदाय की राज्य में कुल आबादी 30 फीसद

वहीं, कुकी समुदाय की राज्य में कुल आबादी 30 फीसद हैं. इसी समुदाय के द्वारा मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का विरोध करते रहा गया है. इसके पीछे इनकी दलील यह है कि अगर मैतेई समुदाय को आरक्षण मिलता है तो वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे. मैतेई लोग अधिकांश आरक्षण हथिया लेंगे. बता दें कि मैतेई समुदाय के द्वारा करीब 10 साल से राज्य सरकार से आरक्षण की मांग की जा रही है. मांग के पक्ष में फैसला नहीं आने के बाद मैतेई जनजाति कमेटी ने कोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने इस मांग को लेकर राज्य सरकार से केंद्र से सिफारिश करने की बात कही है. इस सिफारिश के बाद ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने विरोध जताना शुरू कर दिया.

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पुराना है विरोध

इस याचिका पर सुनवाई होने के बाद 20 अप्रैल को मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की बात कही. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने ये बताया कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ. उससे पहले मैतेई को जनजाति का दर्जा मिला हुआ था. दलील ये थी कि मैतेई को जनजाति का दर्जा इस समुदाय, उसके पूर्वजों की जमीन, परंपरा, संस्कृति और भाषा की रक्षा के लिए जरूरी है.

‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद विरोध शुरू

अदालत के इस फैसले के बाद से कुकी संगठनों ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में शामिल करने के विरोध में को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया और उसी मार्च के बाद हिंसा भड़क गयी. बताया जा रहा है कि अधिकतर हिंसक घटनाएं पहाड़ी जिलों में देखने को मिली है. हालांकि, उस मार्च के पीछे का उद्देश्य यह था कि आखिर विकसित होने के बावजूद मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा कैसे मिल सकता है?

Aditya kumar
Aditya kumar
I adore to the field of mass communication and journalism. From 2021, I have worked exclusively in Digital Media. Along with this, there is also experience of ground work for video section as a Reporter.

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