22.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

माता-पिता का प्रिय कौन? बड़ा बेटा छोटा बेटा या फिर बेटियां

Who is favourite of Parents: अध्ययन में पाया गया कि माता-पिता, खासकर माता, बेटियों का पक्ष लेने की अधिक संभावना रखते हैं.

Who is favourite of Parents: पारिवारिक गतिशीलता का विश्लेषण करने वाले अध्ययनों की समीक्षा में यह दावा किया गया है कि अभिभावक अपनी बेटियों और बात मानने वाले बच्चों का अधिक पक्ष लेते हैं, लेकिन आम तौर पर छोटी संतान माता-पिता की अधिक प्रिय होती हैं. यह निष्कर्ष लगभग 19,500 प्रतिभागियों पर आधारित 30 अध्ययनों और 14 डेटाबेस की समीक्षा से निकाला गया है.

ब्रिघम यंग विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर अलेक्जेंडर जेन्सेन, जो इस समीक्षा के प्रमुख लेखक हैं, ने कहा कि दशकों से शोधकर्ताओं को यह पता है कि माता-पिता के पक्षपातपूर्ण व्यवहार का बच्चों पर स्थायी प्रभाव हो सकता है. यह अध्ययन ‘साइकोलॉजिकल बुलेटिन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. जेन्सेन ने कहा, “यह शोध हमें यह समझने में मदद करता है कि किन बच्चों को पक्षपात का सामना करना पड़ सकता है, जो कि सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकता है.”

इसे भी पढ़ें: केजरीवाल के नामांकन पर बीजेपी की आपत्ति, जानें क्या है पूरा मामला?

शोधकर्ताओं के अनुसार, माता-पिता का पक्षपात विभिन्न तरीकों से व्यक्त हो सकता है जैसे कि वे बच्चों के साथ कैसे बातचीत करते हैं, उन पर कितना पैसा खर्च करते हैं, या उन पर कितना नियंत्रण रखते हैं. इस तरह के भेदभावपूर्ण व्यवहार का बच्चों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर उन बच्चों पर जो कम पसंद किए जाते हैं. इसके अलावा, यह तनावपूर्ण पारिवारिक रिश्तों को भी जन्म दे सकता है.

अध्ययन में पाया गया कि माता-पिता, खासकर माता, बेटियों का पक्ष लेने की अधिक संभावना रखते हैं. इसके अलावा, जो बच्चे अधिक कर्तव्यनिष्ठ और आज्ञाकारी होते हैं, उन्हें भी प्राथमिकता दी जाती है. शोधकर्ताओं ने लिखा, “कर्तव्यनिष्ठ और आज्ञाकारी बच्चों को भी अधिक पसंद किया गया.” ऐसा संभवतः इसलिए होता है क्योंकि इन बच्चों को संभालना आसान होता है और माता-पिता उनके प्रति अधिक सकारात्मक रुख अपना सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: मौसम विभाग का अलर्ट, उत्तर भारत में घने कोहरे और बारिश की चेतावनी

जब जन्म क्रम की बात आती है, तो छोटे भाई-बहनों को कुछ हद तक अधिक तरजीह मिलती है. जेन्सेन ने बताया कि माता-पिता बड़े भाई-बहनों को अधिक स्वायत्तता देने की संभावना रखते हैं, शायद इसलिए क्योंकि वे अधिक परिपक्व होते हैं. उन्होंने कहा, “इन बारीकियों को समझने से माता-पिता और चिकित्सकों को हानिकारक पारिवारिक पैटर्न को पहचानने में मदद मिल सकती है. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी बच्चे प्यार और समर्थन महसूस करें.”

जेन्सेन ने यह भी कहा कि यह अध्ययन परस्पर संबद्धता पर आधारित है, इसलिए यह सीधे तौर पर यह नहीं बताता कि माता-पिता कुछ बच्चों का पक्ष क्यों लेते हैं. हालांकि, यह उन संभावित क्षेत्रों पर प्रकाश डालता है जहां माता-पिता को अपने बच्चों के साथ बातचीत के प्रति अधिक सचेत रहने की आवश्यकता हो सकती है.

इसे भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश के कोटखाई केस में 8 पुलिसकर्मी दोषी करार, 27 जनवरी को सुनाई जाएगी सजा

इसे भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल पर हमला या दुर्घटना? AAP और बीजेपी के आरोप-प्रत्यारोप तेज

Aman Kumar Pandey
Aman Kumar Pandey
अमन कुमार पाण्डेय डिजिटल पत्रकार हैं। राजनीति, समाज, धर्म पर सुनना, पढ़ना, लिखना पसंद है। क्रिकेट से बहुत लगाव है। इससे पहले राजस्थान पत्रिका के यूपी डेस्क पर बतौर ट्रेनी कंटेंट राइटर के पद अपनी सेवा दे चुके हैं। वर्तमान में प्रभात खबर के नेशनल डेस्क पर कंटेंट राइटर पद पर कार्यरत।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel