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कोविशील्ड के दो डोज के बीच का अंतर 12 सप्ताह ही क्यों? जानें क्या कहा एक्ट्राजेनेका के वैक्सीन ट्रायल चीफ ने

नयी दिल्ली : भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण से बचाव के लिए चलाये जा रहे वृहद टीकाकरण (Corona Vaccination) अभियान में दो टीके के बीच का अंतर बहस का विषय बन गया है. खासकर कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन के दो डोज के बीच का अंतर चर्चा का विषय बना हुआ है. केंद्र सरकार ने इस अंतर को दो बार बढ़ाया है और अब कम से कम 12 सप्ताह के बाद दूसरा डोज दिया जा रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में टीका विकसित करने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने भी अब भारत सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है.

नयी दिल्ली : भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण से बचाव के लिए चलाये जा रहे वृहद टीकाकरण (Corona Vaccination) अभियान में दो टीके के बीच का अंतर बहस का विषय बन गया है. खासकर कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन के दो डोज के बीच का अंतर चर्चा का विषय बना हुआ है. केंद्र सरकार ने इस अंतर को दो बार बढ़ाया है और अब कम से कम 12 सप्ताह के बाद दूसरा डोज दिया जा रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में टीका विकसित करने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने भी अब भारत सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है.

बता दें कि एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन को ही भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है. इसको भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है. एस्ट्राजेनेका वैक्सीन परीक्षणों के चीफ इन्वेस्टिगेटर ने शुक्रवार को एक समाचार संगठन के साथ साक्षात्कार में कहा कि टीका द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा का स्तर शॉट लेने के बाद दूसरे और तीसरे महीने में काफी बढ़ जाता है.

भारत ने हाल ही में कोविशील्ड की दो खुराक के बीच के अंतर को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने का निर्णय लिया है. इस निर्णय पर बहुत विवाद हुआ है, विशेष रूप से टीके की प्रभावकारिता को लेकर. इसके बारे में विशेषज्ञों की अलग-अलग राय और वैक्सीन की दो खुराक के बीच की अंतर के बारे में अलग-अलग देशों द्वारा अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने के कारण यह विवाद खड़ा हुआ.

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ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन परीक्षण करने वाली टीम की देखरेख करने वाले प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम और भारत में कोविड-19 टीकाकरण नीतियों की तुलना दोनों देशों में अलग-अलग परिस्थितियों के कारण एक दूसरे से नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में टीकाकरण नीति का लक्ष्य जल्द से जल्द अधिक से अधिक लोगों के लिए कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक सुनिश्चित करना है.

ऑक्सफोर्ड वैक्सीन समूह के निदेशक पोलार्ड ने स्पष्ट किया कि एस्ट्राजेनेका एकल-खुराक कोविड-19 वैक्सीन पर काम नहीं कर रही है. चूंकि कोरोनावायरस बीमारी से सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए दोनों खुराक की आवश्यकता होती है, इसलिए यह समझ में आता है कि टीके की कमी के मामले में, छोटे समूह के बजाय अधिक से अधिक लोगों के लिए बेहतर उपाय किए जाएं. उन्होंने बताया कि यूके ने केवल दो टीकों के बीच के अंतर को कम किया जब इसकी आबादी का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही टीका लगा चुका था.

उन्होंने कहा कि दो शॉट्स के बीच का अंतर मायने रखता है क्योंकि वैक्सीन इसी तरह काम करती है. पहला शॉट एंटीबॉडी को बढ़ाता है जबकि दूसरा शॉट बूस्टर है. यदि दूसरे शॉट में देरी होती है, तो पहले शॉट को काम करने के लिए अधिक समय मिलता है. अप्रैल में, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा कि 12 सप्ताह का अंतराल होने पर टीके की प्रभावशीलता बढ़ जाती है. यूनाइटेड किंगडम ने 12 सप्ताह के अंतराल को बनाए रखते हुए कोरोना के अल्फा वेरिएंट के कारण होने वाले संक्रमण पर भी काबू पा लिया.

इस बीच, भारत में अब तक 27 करोड़ से अधिक वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है. इसमें कोविशील्ड, कोवैक्सीन और रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-V का इस्तेमाल किया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि शाम 7 बजे तक एक दिन में लगभग 30 लाख वैक्सीन खुराक दी गयी है. जबकि 18-44 आयु वर्ग में अब तक 5.2 करोड़ से अधिक वैक्सीन खुराक दी जा चुकी है.

Posted By: Amlesh Nandan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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