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ABVP Foundation Day : राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लक्ष्य की प्राप्ति की ओर अग्रसर भारत का राष्ट्रवादी छात्र आंदोलन

ABVP : 80 के दशक में असम के छात्र बंगलादेशी घुसपैठ के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे. अवैध बंग्लादेशी घुसपैठ के कारण असम की जनसांख्यिकी बदल रही थी. बांग्लादेशी घुसपैठ केवल असम की ही समस्या नहीं अपितु यह राष्ट्रीय समस्या है.

-डॉ दिनेशानंद गोस्वामी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

ABVP Foundation Day : 9 जुलाई को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की यात्रा का 76 वर्ष पूरा कर रही है. आज ही के दिन 9 जुलाई सन 1949 को अभाविप की स्थापना हुई थी. देश के विश्वविद्यालय परिसरों में इस दिन को राष्ट्रीय छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. आजादी के पूर्व हमारे देश के युवाओं का एक ही आदर्श था- भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देना. देश को स्वतंत्र कराने के लिए हजारों युवाओं ने वंदे मातरम के उद्‌घोष के साथ हंसते हुए फांसी के फंदे को चूमा. स्वतंत्रता आंदोलन के स्वर्णिम इतिहास में युवाओं के संघर्ष एवं बलिदान की अमर गाथाएं आज की युवा पीढ़ी को प्रेरित करती हैं. स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस शक्तिशाली भारत का सपना देखा था, उस सपने को साकार करने तथा प्राचीन सभ्यता, वीरतापूर्ण इतिहास, गौरवशाली संस्कृति तथा भारतीय जीवन मूल्यों के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हुए शक्तिशाली, समृद्ध एवं आत्मनिर्भर व विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति को लेकर अभाविप का गठन हुआ. अभाविप विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है. इसकी व्यापकता इस मायने में है कि इसकी इकाइयां देश के सभी राज्यों, विश्वविद्यालयों एवं काॅलेजों में सक्रिय है. यह एक अभिनव छात्र संगठन है जहां छात्र एवं शिक्षक मिलकर कार्य करते हैं.

जेपी आंदोलन में प्रमुख भूमिका

अभाविप ने स्थापना से अब तक विभिन्न शैक्षणिक एवं राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रभावी छात्र आंदोलन खड़ा किया है. अभाविप सन 1974 के ऐतिहासिक जेपी आंदोलन का सूत्रधार रहा है. अभाविप एवं पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के संयुक्त नेतृत्व में 1974 के फरवरी महीने में विभिन्न शैक्षणिक समस्याओं के निराकरण हेतु पटना में छात्र सड़क पर उतरे. शैक्षणिक बदलाव की मांग के अलावा बेरोजगारी एवं महंगाई पर बिहार के छात्र आंदोलन के लिए गोलबंद हुए. बिहार के छात्र आंदोलन को लोकनायक जयप्रकाश नारायण का नेतृत्व मिला. जेपी आंदोलन जनांदोलन में परिवर्तित हो गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा अपने चुनाव में सरकारी तंत्र के दुरुपयोग के आरोप पर उनकी संसद की सदस्यता समाप्त करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात 25 जून सन् 1974 को इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया. विरोधी दल के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया गया. प्रेस में सेंसरशिप लागू हुआ. अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार को समाप्त किया गया. कांग्रेस तथा इंदिरा गांधी के तानाशाही रवैए के खिलाफ चले देशव्यापी आंदोलन में अभाविप के कार्यकर्ताओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. आजादी की इस दूसरी लड़ाई में मीसा एवं डीआईआर के तहत हजारों कार्यकर्ता 19 महीनों तक जेल में रहे. सैकड़ों छात्रों ने पुलिस की यातनाओं को सहा. लाखों कार्यकर्ता भूमिगत होकर आपातकाल के खिलाफ जन सत्याग्रह हेतु जनता को गोलबंद करते रहे. रामबहादुर राय, सुशील कुमार मोदी तथा अश्विनी चौबे जैसे परिषद के नेताओं ने आपातकाल के दौरान सरकार की यातनाओं को झेला. 1977 में देश में लोकतंत्र की जीत हुई. तानाशाही शक्तियों को जनता ने नकार दिया. केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी. जेपी आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने के बावजूद अभाविप ने सत्ता के स्पर्धा से दूर रहकर शैक्षणिक पुनर्रचना एवं समाज परिवर्तन के कार्य को आगे बढ़ाया.

राष्ट्रीय मुद्दों पर छात्र आंदोलन

80 के दशक में असम के छात्र बंगलादेशी घुसपैठ के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे. अवैध बंग्लादेशी घुसपैठ के कारण असम की जनसांख्यिकी बदल रही थी. बांग्लादेशी घुसपैठ केवल असम की ही समस्या नहीं अपितु यह राष्ट्रीय समस्या है. इस विषय पर परिषद ने देशव्यापी बहस चलाया. अभाविप के आह्वान पर देश भर के विद्यार्थी गुवाहाटी पहुंचे एवं ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के समर्थन में तथा बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ सत्याग्रह में शामिल हुए. सत्याग्रह के दौरान छात्रों को पुलिस की लाठियां खानी पड़ी तथा परिषद के अनेक नेताओं को जेल भी जाना पड़ा. बांग्लादेशी घुसपैठ के विरुद्ध परिषद ने लगातार आंदोलन चलाया. बिहार के पूर्णिया एवं किशनगंज तथा झारखंड के साहेबगंज एवं पाकुड़ सहित बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में हुए बांग्लादेशी घुसपैठ को उजागर करने तथा उन्हें देश से बाहर निकालने हेतु परिषद ने लगातार आंदोलन चलाया. जब जम्मू-कश्मीर आतंकवाद की चपेट में था, पाकिस्तान संपोषित आतंकवादी वहां राष्ट्रीय झंडा फहराने की चुनौती दे रहे थे . अभाविप ने आतंकवादियों के चुनौतियों को स्वीकार कर सन् 1990 में श्रीनगर के लाल चौक पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के लिए देश व्यापी मार्च निकाला. अलग भाषा-अलग वेष फिर भी हमारा एक देश के नारे को चरितार्थ करते हुए केरल से नागालैंड तक के विद्यार्थी कश्मीर मार्च में शामिल हुए. धारा 370 निरस्त करने हेतु परिषद हमेशा मुखर रहा है. रामजन्मभूमि आंदोलन में परिषद की महत्वपूर्ण सहभागिता रही है.

शैक्षिक बदलाव के लिए सदैव सक्रिय

आजादी के बाद एक अवसर था कि हम देश की जरूरतों के मुताबिक एवं वैश्विक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नीति बनायें. परंतु कम्युनिस्टों के प्रभाव पर केंद्र की कांग्रेस सरकारों ने पाठ्यक्रमों में देश के अतीत को ही तोड़- मरोड़ कर प्रस्तुत किया. अभाविप अपनी स्थापना काल से ही शैक्षिक परिवर्तन हेतु मुखर रहा है. परिषद द्वारा सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने जैसी मांगों पर आज राष्ट्रीय सहमति बनी है. विभिन्न अवसरों पर शैक्षिक परिवर्तन हेतु उठाये गए अधिकांश मुद्दों का नई शिक्षा नीति 2020 में समावेश हुआ है.परिषद ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रसंघों के चुनावों में सफलता हासिल कर छात्र नेतृत्व को विकसित किया है. अभाविप का प्रयास रहा कि महाविद्यालय परिसर ज्ञान का प्रमुख केंद्र बनने के साथ छात्रों में राष्ट्रभक्ति एवं सामाजिक समरसता का संदेश प्रसारित करे.

छात्रों को रचनात्मक कार्यों के प्रति प्रेरित करना

अभाविप एक मात्र छात्र संगठन है जो विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन कर छात्रों को स्वस्थ समाज के निर्माण करने हेतु प्रेरित करता रहा है. आपदा के समय परिषद कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए सेवा कार्यों की सर्वत्र सराहना हुई है. सेवा ही संगठन अभियान के तहत कार्यकर्ताओं के द्वारा कोविड 19 महामारी के समय छात्रों को दवाइयां, भोजन एवं आॅनलाइन शिक्षा सामग्रियां उपलब्ध करवाई गई. प्लाज्मा डोनेशन कैंपेन चलाया गया. स्वच्छता अभियान, प्लास्टिकमुक्त भारत,पर्यावरण एवं जल संरक्षण हेतु किये गये कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में छात्र जुड़े.

व्यक्ति निर्माण एवं समाज परिवर्तन से राष्ट्रीय पुनर्निर्माण

विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से छात्रों में सद्गुणों का विकास. राष्ट्र प्रथम की भावना , समाज एवं देश के लिए स्वयं के योगदान एवं जाति,भाषा, पंथ तथा क्षेत्र की सोच से ऊपर उठकर महान राष्ट्र के पुनर्निर्माण हेतु राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने हेतु अभाविप ने छात्रों को प्रेरित किया है. परिषद में कार्य करते हुए अनेक कार्यकर्ता आज समाज परिवर्तन के महत्वपूर्ण कार्य में लगे हुए हैं. पूर्व अभाविप कार्यकर्ता आशोक भगत 4 दशकों से गुमला जिले के बिशुनपुर में आदिवासी युवाओं एवं महिलाओं को स्वरोजगार के साथ आत्मनिर्भर बनाने के कार्य में लगे हैं. प्रदीप भैया संथालपरगना में युवाओं को सामाजिक कार्य करने हेतु प्रेरित कर रहे हैं. देश के सुदूरवर्ती क्षैत्रों में परिषद के हजारों पूर्व कार्यकर्ता शिक्षा, स्वास्थ्य तथा रोजगार के क्षेत्र में समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के कार्य में लगे हैं. अभाविप ने स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक शिक्षा, छात्र कल्याण, राष्ट्र निर्माण और सामाजिक सरोकारों में एक सशक्त भूमिका निभाई है. वर्तमान में भी यह संगठन युवाओं को राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित कर रहा है तथा छात्रों के हित में लगातार संघर्षरत है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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