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कौन बनेगा बीजेपी का नया अध्यक्ष? राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश जारी, प्रभु चावला का विशेष आलेख

BJP new national president : वसुंधरा राजे अध्यक्ष पद की सूची में 71 वर्षीया पूर्व शाही परिवार की सदस्य भले नीचे हों, पर वे रिंग से बाहर नहीं हैं. तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का दावा करने से उच्च कमान द्वारा खारिज किये जाने के बाद वे अभी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में एक हैं.

BJP New national president : पिछले दो वर्षों से भाजपा 12वें अध्यक्ष के लिए एक पूर्ण रूप से वांछनीय, प्रशंसनीय और स्वीकार्य व्यक्ति की तलाश में है. दस करोड़ से अधिक सक्रिय सदस्यों के साथ यह 16 राज्यों में अकेले या सहयोगियों के साथ शासन करती है. इसके दोनों सदनों में 335 से अधिक सांसद हैं. विभिन्न राज्यों में 1,400 से अधिक भाजपा विधायक चुने गये हैं. फिर भी पार्टी राष्ट्रव्यापी स्वीकार्यता, वैचारिक प्रतिबद्धता और वफादारी के साथ एक नेता की पहचान करने में असमर्थ है, जो वर्तमान पदाधिकारी से पदभार ग्रहण कर सके.


हालांकि उनका कार्यकाल जून में समाप्त हो गया था, पर जगत प्रकाश नड्डा अब भी शीर्ष पर बने हुए हैं, क्योंकि नेतृत्व उनके उत्तराधिकारी पर सहमति नहीं बना पाया है. हाल ही में उन्होंने बेंगलुरु में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत से मुलाकात की, जिसमें उनके उत्तराधिकारी के मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना थी. पार्टी ने हाल ही में हुए राज्य विधानसभा चुनावों और चल रहे संगठनात्मक चुनावों के कारण नये अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी को उचित ठहराया है. पर अस्पष्ट देरी का असली कारण आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच सहमति की कमी है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, जो आश्चर्यजनक निर्णयों के लिए जाने जाते हैं, अभी तक अपने सामाजिक, लैंगिक, क्षेत्रीय और राजनीतिक मापदंडों को अंतिम रूप नहीं दिया है. भाजपा के 12वें अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया चल रही है, पर कई नामों पर स्याही अभी सूखी नहीं है, जैसे :


मनोहर लाल खट्टर : वे प्रधानमंत्री के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक हैं. दोनों ने हरियाणा में मिलकर काम किया है. वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद मोदी ने खट्टर को राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए चुना और पहली बार विधायक बनने पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया. सत्तर साल के खट्टर केंद्रीय शहरी विकास और ऊर्जा मंत्री हैं और आरएसएस का उन पर भरोसा भी है. केंद्रीय मंत्री बनने के बाद से उन्होंने अपनी प्रोफाइल लो बना रखी है. आरएसएस प्रचारक के रूप में उनके पास व्यापक संगठनात्मक अनुभव है. दस साल के अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के साथ खट्टर के पास वे कौशल हैं, जिनका इस्तेमाल वे राज्य सरकारों और पार्टी प्रमुखों के साथ निपटने के लिए कर सकते हैं.

शिवराज सिंह चौहान : वर्ष 1972 में 13 साल की उम्र में आरएसएस स्वयंसेवक के रूप में अपनी सामाजिक सेवा शुरू करने वाले 65 वर्षीय चौहान अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार दिखाई देते हैं. उनके पास उम्र, जाति, विश्वसनीयता, अनुभव और स्वीकार्यता है. तीन बार मुख्यमंत्री रहे चौहान आरएसएस के प्रिय हैं और विपक्ष के निशाने पर वे सबसे कम हैं. मध्य प्रदेश में प्यार से ‘मामा’ कहे जाने वाले चौहान जनता के व्यक्ति हैं और आसानी से उपलब्ध हैं. उनके नवाचारी कल्याण और विकास योजनाओं ने राज्य में भाजपा को लगभग अजेय बना दिया. हिंदुत्व उनके शासन का मूल सिद्धांत रहा है. वाजपेयी और आडवाणी, दोनों ने उन्हें भविष्य के नेता के रूप में पहचाना और 2005 में उन्हें मुख्यमंत्री और संसदीय बोर्ड का सदस्य बनाया. किसान समृद्धि के सूत्रधार चौहान ग्रामीण समर्थन का बड़ा आधार रखते हैं. हालांकि स्वतंत्र छवि उनकी कमजोरी हो सकती है.


वसुंधरा राजे : अध्यक्ष पद की सूची में 71 वर्षीया पूर्व शाही परिवार की सदस्य भले नीचे हों, पर वे रिंग से बाहर नहीं हैं. तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का दावा करने से उच्च कमान द्वारा खारिज किये जाने के बाद वे अभी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में एक हैं. हालांकि संघ परिवेश के साथ उनका जुड़ाव कमजोर है, पर उनकी दिवंगत मां विजया राजे की विरासत के कारण आरएसएस नेतृत्व उनके प्रति सकारात्मक है. वसुंधरा ने केंद्र, राज्य और पार्टी में कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण पद संभाले हैं. वे दो बार मुख्यमंत्री रही हैं. वे शानदार वक्ता और राष्ट्रीय स्तर पर जानी-पहचानी शख्सियत हैं. यदि भाजपा अपनी पहली महिला अध्यक्ष की तलाश में है, तो राजे की वरिष्ठता, अनुभव और गरिमा इस पद के लिए उपयुक्त है. उनकी कमजोरी यह है कि उन्होंने कैडर के साथ सीधे निपटने वाली कोई राष्ट्रीय जिम्मेदारी नहीं संभाली. उन्होंने मोदी-शाह जोड़ी से भी दूरी बनाये रखी है, जो उनके प्रति कोई खास लगाव नहीं रखती.


धर्मेंद्र प्रधान : एबीवीपी के पूर्व छात्र नेता, 55 वर्षीय ओडिया दिग्गज ओडिशा और दिल्ली में संघ और भाजपा की गतिविधियों में एक ताकत रहे हैं. उन्हें शीर्ष स्तर द्वारा एक संभावित राष्ट्रीय नेता और वैचारिक रूप से भरोसेमंद माना जाता है. राष्ट्रीय महासचिव के रूप में प्रधान ने कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, यूपी और हरियाणा के चुनावों को संभाला है. अटल-आडवाणी युग के बाद मोदी ने उन्हें संगठन और सरकार में पदों पर रखा. प्रधान स्वतंत्रता के बाद सबसे लंबे समय तक पेट्रोलियम मंत्री रहे. हालांकि विरोधी आरोप लगाते हैं कि उनके पास राष्ट्रीय कद और अखिल भारतीय स्वीकार्यता की कमी है.

स्मृति ईरानी : हालांकि वह लोकसभा चुनाव हार गयीं, फिर भी वे पार्टी का सबसे दृश्यमान महिला चेहरा बनी हुई हैं. लगभग पूरी दुनिया में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बोलते हुए वे घूम रही हैं. ईरानी हर उस आयोजन में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति से ध्यान आकर्षित करती हैं, जहां अमीर और प्रभावशाली, तथा साधारण भाजपा कार्यकर्ता मौजूद होते हैं. उन्होंने खुद को एक सामाजिक उद्यमी के रूप में पुनर्परिभाषित किया है. उन्हें संघ परिवार और शीर्ष सरकारी नेतृत्व द्वारा प्रशंसा मिलती है. पिछले दस साल में उन्होंने कैडर के साथ शक्तिशाली तालमेल स्थापित किया है. उनका बहुभाषी कौशल उन्हें जनता और उच्च वर्ग, दोनों के साथ सबसे अच्छा संचारक बनाता है.


भविष्यवाणी के साथ समस्या यह है कि जो दिखता है, वैसा हमेशा नहीं होता. मोदी और आरएसएस, दोनों के पास वीटो शक्ति है. पुरानी भाजपा के पास राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सतहों का एक दस्ता था, जो अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त था. मगर वे कांग्रेस और विपक्षी दलों के साथ छह दशकों से अधिक समय तक संघर्ष करने वाले शोरगुल वाले युद्धक्षेत्रों के दिग्गज थे. भैरों सिंह शेखावत, प्रमोद महाजन, कल्याण सिंह, मदन लाल खुराना, गोपीनाथ मुंडे, अनंत कुमार और सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज नेता थे, बी एस येदियुरप्पा अभी मौजूद हैं. प्रधानमंत्री मोदी मंत्रियों को इस्तीफा देने और पार्टी का काम लेने के लिए कहने के लिए जाने जाते हैं. यह संभावना है कि खट्टर, राजनाथ सिंह, गडकरी, चौहान, या कोई और पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाले.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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