संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी) की नयी रिपोर्ट का यह निष्कर्ष चिंतित करने वाला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण खासकर बुजुर्ग आबादी, गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर के अंदरूनी तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता घटती जाती है, जिससे अत्यधिक गर्मी या ठंड के संपर्क में आने पर बुजुर्ग ज्यादा बीमार पड़ते हैं. रिपोर्ट में भीषण गर्मी, बाढ़, पिघलते हिमनदों और जर्जर बुनियादी ढांचों जैसे तेजी से बढ़ते खतरों का विश्लेषण करते हुए कहा गया है कि ये जलवायु परिवर्तन के सबसे घातक प्रभावों में से हैं और कमजोर व संवेदनशील वर्गों पर अत्यधिक असर डालते हैं.
बुजुर्ग लोग अक्सर पुरानी बीमारियों, चलने-फिरने में कठिनाई या शारीरिक कमजोरी से जूझते हैं, वे भीषण गर्मी में जानलेवा खतरे का सामना करते हैं. ये खतरे तब और बढ़ जाते हैं, जब ऐसे बुजुर्ग प्रदूषित, भीड़भाड़ वाले शहरों या समुद्रतटीय इलाकों और निम्न से मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं. यह आंकड़ा तो चौंकाने वाला है ही कि 1990 के दशक से अब तक 65 या उससे अधिक उम्र के लोगों में भीषण गर्मी के कारण होने वाली मौतों में लगभग 85 फीसदी की वृद्धि हुई है, रिपोर्ट आगाह करती है कि वैश्विक तापमान में अगर दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है, तो 2050 तक बुजुर्गों की मौत में 370 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है.
तथ्य यह है कि अनेक बुजुर्ग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, सामाजिक गतिविधियों तथा सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं का लाभ लेने के लिए शहरों का रुख करते हैं. शहरों के विस्तार के साथ-साथ बुजुर्गों की शहरी आबादी भी तेजी से बढ़ रही है. इस कारण शहरों को सभी उम्र के लोगों के लिए अनुकूल और प्रदूषण मुक्त बनाने की मांग की गयी है, जहां हरित क्षेत्रों की पर्याप्त मौजूदगी हो. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आयी है, जब एशिया, यूरोप और अमेरिका असहनीय गर्मी और भीषण वर्षा से जूझ रहे हैं.
यूरोप में भीषण गर्मी से करीब दस दिन में 2,300 लोग मारे गये हैं, तो अमेरिका के कई इलाकों में वर्षा से जनजीवन प्रभावित हुआ है. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने इस साल की शुरुआत में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें बुजुर्गों के मानवाधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बाध्यकारी कानूनी दस्तावेज तैयार करने की बात कही गयी थी. जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर झेलने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.