Cyber security breach : साइबर सुरक्षा में सेंध लगाने की घटनाएं होती रहती हैं. पहचान और पासवर्ड की चोरी के मामले भी सामने आते रहते हैं. लेकिन इतने बड़े पैमाने पर लोगों के पासवर्ड और लॉगिन सूचनाएं लीक होने की घटना पहले कभी नहीं हुई. कुल मिलाकर सोलह अरब पासवर्ड लीक हुए हैं, जो कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों, डेवलपर पोर्टलों, वीपीएन और तकनीकी कंपनियों के यूजर अकाउंटों से संबंधित हैं. प्रभावित कंपनियों में एप्पल, गूगल, फेसबुक, टेलीग्राम और माइक्रोसॉफ्ट (गिटहब) शामिल हैं. लॉगिन सूचनाओं और पासवर्ड का लीक होना सामान्य घटना नहीं है. साइबर दुनिया के लिहाज से यह ऐसा ही है, जैसे आपके घर की चाबियां चोरी हो जाएं. डाटा लीक का नुकसान दर्जनों श्रेणियों में हो सकता है, जिनमें आर्थिक नुकसान से लेकर शारीरिक सुरक्षा तथा प्रतिष्ठा के नुकसान से लेकर साइबर सुरक्षा में सेंध शामिल है. ऐसा करने वाले साइबर अपराधी बड़े से बड़े सिस्टमों को जाम कर सकते हैं, उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं.
ताजा डाटा उल्लंघन विकासशील देशों, खासकर एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों के लिए अधिक खतरा पैदा करता है, जहां साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता विकसित देशों की तुलना में कम है और उसके लिए जरूरी सिस्टम भी अभेद्य या अद्यतन नहीं हैं. भारत फेसबुक और इंस्टाग्राम का सबसे बड़ा बाजार है. देश के 82 फीसदी से ज्यादा यूजर जीमेल का प्रयोग करते हैं. मौजूदा पासवर्ड लीक जैसे मामले भारत, ब्राजील, नाइजीरिया और इंडोनेशिया को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं, जहां डिजिटल प्रणालियों को अपनाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिन देशों के पास संसाधन सीमित हैं, वे ऐसे उल्लंघनों से बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं. मौजूदा डाटा लीक में कुल 16 अरब लॉगिन सूचनाएं गलत हाथों में पहुंची हैं. माना जाता है कि इनमें से सबसे अधिक डाटा लीक पुर्तगाल के लोगों की हुई है, जहां के 3.5 अरब रिकॉर्ड लीक हुए हैं. करीब 45.5 करोड़ रिकॉर्ड रूसी लोगों के हैं.
दुनियाभर में पासवर्ड चोरी के हमलों की संख्या 2023 से 2024 तक 21 फीसदी बढ़ी है. कुछ लाख या कुछ करोड़ डाटा की चोरी तो होती रही है, पर सोलह अरब का आंकड़ा हजम होने वाला नहीं है. कुछ खबरें कहती हैं कि मैलवेयर्स के जरिये यह डाटा चुराया गया है. ये वायरसनुमा घातक सॉफ्टवेयर हैं, जिन्हें किसी तरह आपके कंप्यूटर में पहुंचा दिया जाता है और वे आपकी जानकारियों को इंटरनेट के जरिये अपराधियों तक पहुंचाते रहते हैं. लेकिन एक साथ अरबों लोगों से डाटा चुराना मुश्किल काम है. पासवर्ड लीक होने का मतलब है कि हैकर्स आपके खातों तक पहुंच सकते हैं, जिससे आपकी व्यक्तिगत जानकारी, वित्तीय विवरण और आपकी पहचान भी चोरी हो सकती है. ज्यादातर लोग अनेक साइटों और प्लेटफॉर्मों के लिए एक ही पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं. उनके एक खाते की सूचनाएं उजागर होने पर दूसरे खाते भी खतरे में पड़ जाते हैं. अब तक जो हुआ, सो हुआ. कम से कम अब अपने डिजिटल और साइबर खातों को सुरक्षित बना लेना चाहिए. मजबूत और अनूठे पासवर्ड बनाएं, जिन्हें हैक करना मुश्किल हो. ये पासवर्ड ऐसे हों, जिन्हें याद रखना आसान हो. जैसे, अपने पसंदीदा गाने की एक लाइन या किसी फिल्म से एक यादगार डायलॉग से कुछ शब्द उठा सकते हैं. फिर इसमें अंक, विशेष चिह्न, कैपिटल अक्षर आदि जोड़कर इसे अभेद्य बनाया जा सकता है. पासवर्ड जितना लंबा होगा, भेदने में उतना मुश्किल होगा.
अपने पासवर्डों को सुरक्षित ढंग से सहेजने के लिए पासवर्ड मैनेजर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें. जीमेल समेत लगभग सभी लोकप्रिय वेब सेवाएं किसी न किसी रूप में टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन की सुविधा देती हैं. यानी आप सिर्फ एक तरीके से अपनी पहचान सिद्ध नहीं करते, बल्कि दो तरीके से पहचान सिद्ध करने के बाद ही अपने अकाउंट को एक्सेस कर सकते हैं. मसलन, जीमेल के पासवर्ड के साथ मोबाइल फोन पर ओटीपी भी प्राप्त करना. गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने ऑथेंटिकेटर मोबाइल एप्स भी उपलब्ध कराये हुए हैं. ये जिस वेब आधारित सेवा से जुड़े होते हैं, उसके लिए हर बार एक नया पासवर्ड या नंबर पैदा करते हैं. वह नंबर डालने के बाद ही आप आगे बढ़ पायेंगे. इन सबके अतिरिक्त, जो एक बहुत अच्छा रास्ता निकल आया है, वह है- पास की का. गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, मेटा आदि भी अपने उत्पादों के लिए इसका इस्तेमाल करने की सुविधा देते हैं. इसके तहत बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण किया जाता है और क्रिप्टोग्राफिक कुंजियों का उपयोग किया जाता है, जो आपके कंप्यूटर या मोबाइल में सुरक्षित रहते हैं. पास की को चुराना, उसका अंदाज लगाना या दूसरों के साथ साझा करना असंभव है. पासवर्डों की इस विशाल चोरी से सबक लेकर हमें खुद को आगे के लिए सुरक्षित करना ही चाहिए.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)