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वन क्षेत्र का विस्तार

पर्यावरण संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में वन क्षेत्रों का महत्व सर्वाधिक है. वैश्विक स्तर पर बढ़ती आबादी और विकास की दौड़ ने ऐतिहासिक रूप से जंगलों को नष्ट किया है, जिसका दुष्परिणाम समूची मानवता आज भुगत रही है. ऐसी स्थिति में कुछ दशकों से पर्यावरण और जलवायु को लेकर सकारात्मक प्रयास […]

पर्यावरण संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में वन क्षेत्रों का महत्व सर्वाधिक है. वैश्विक स्तर पर बढ़ती आबादी और विकास की दौड़ ने ऐतिहासिक रूप से जंगलों को नष्ट किया है, जिसका दुष्परिणाम समूची मानवता आज भुगत रही है. ऐसी स्थिति में कुछ दशकों से पर्यावरण और जलवायु को लेकर सकारात्मक प्रयास में बड़ी वृद्धि हुई है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में रेखांकित किया है कि 2000 से 2020 की अवधि में वन क्षेत्रों के नुकसान में 23 प्रतिशत की कमी आयी है. इसमें भारत ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. संगठन के अनुसार, हमारे देश में 2010 से 2020 की अवधि में वन क्षेत्र में हर वर्ष 2.66 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है. इस वृद्धि के मामले में चीन और ऑस्ट्रेलिया ही भारत से आगे है.

वन क्षेत्र का विस्तार करने वाले शीर्ष के देशों में चिली, वियतनाम, तुर्की, अमेरिका, फ्रांस, इटली और रोमानिया शामिल हैं. इस रिपोर्ट में नये तौर-तरीकों से क्षरित भूमि को सुधारने तथा कृषि-वानिकी विस्तृत करने के लिए भारत की प्रशंसा की गयी है. उल्लेखनीय है कि भारत स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग में भी उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है. इस वर्ष के बजट में भी स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण प्रावधान किये गये हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहनों तथा सौर, पवन, जल एवं परमाणु ऊर्जा को विकसित करने के प्रस्ताव हैं. स्वच्छ ऊर्जा उद्योग के लिए आवश्यक वस्तुओं के आयात शुल्कों में कमी की गयी है और कुछ को शुल्क मुक्त कर दिया गया है. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए कृषि में परिवर्तन के लिए भी पहलें की जा रही हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से मिट्टी, जल, वायु तथा वनों के संरक्षण को प्राथमिकता देते आये हैं. उन्होंने ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में भारत की इस प्रतिबद्धता को भी सामने रखा था कि 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल कर लिया जायेगा. वन क्षेत्रों का विस्तार से उत्सर्जन रोकने के साथ-साथ मिट्टी, जल और वायु को संरक्षित रखने में बड़ी मदद मिलेगी. वन अर्थव्यवस्था में भी उल्लेखनीय सहयोग देते हैं. कुछ समय पहले यह चिंताजनक सर्वेक्षण सामने आया था कि भारत के गांवों में खेतों के किनारे लगे पेड़ों की संख्या में भारी कमी आयी है. शहरी बाढ़, जल-जमाव और संकट ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि जलीय स्रोतों और निकासी के नैसर्गिक रास्तों को नष्ट करने के कारण ऐसी समस्याएं आ रही हैं. इस वर्ष की भीषण गर्मी ने भी चेतावनी दे दी है कि पेड़ों, जंगलों और जलीय स्रोतों को संरक्षित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. वन क्षेत्रों का बढ़ना उत्साहजनक है, पर जंगली आग की बढ़ती घटनाओं को रोकने पर भी हमें ध्यान देना होगा.

Sameer Oraon
Sameer Oraon
A digital media journalist having 3 year experience in desk

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