23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

विकसित कृषि संकल्प अभियान से किसानों को मिली नयी ऊर्जा

Krishi Sankalp Abhiyan : राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि परिवारों का सर्वेक्षण किया और पाया कि राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय पंजाब में सबसे अधिक और झारखंड में सबसे कम है.

Krishi Sankalp Abhiyan : आज भी भारत एक कृषि प्रधान देश बना हुआ है. ‘एग्रीकल्चर रिव्यू’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में कृषि का योगदान 15 प्रतिशत रहा. देश में औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों की तीव्र वृद्धि के कारण 1990-91 की तुलना में इसमें 35 प्रतिशत की गिरावट आयी है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर भारत दूध, मसाला, दाल और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है. यह दुनिया में चावल, गेहूं, गन्ना, मूंगफली, सब्जी, फल व कपास का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल कार्यबल का लगभग 45.6 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में कार्यरत है.


राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि परिवारों का सर्वेक्षण किया और पाया कि राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय पंजाब में सबसे अधिक और झारखंड में सबसे कम है. आंकड़ों के अनुसार पंजाब में प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय 26,701 रुपये है, जबकि झारखंड में यह आय महज 4,895 रुपये ही है. पंजाब में किसानों की औसत भूमि लगभग 3.62 हेक्टेयर है, जबकि झारखंड में यह केवल 0.62 हेक्टेयर है. इसके अतिरिक्त, पंजाब के किसानों ने आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे सटीक कृषि, उच्च तकनीक, मशीनरी का उपयोग, प्रभावी सिंचाई आदि को अपनाया है, पर इसके साथ ही विडंबना यह भी है कि वहां उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता में अप्रत्याशित कमी देखी जा रही है, जो भयावह है. वहीं दूसरी ओर, कम भूमि जोत और गलत कृषि पद्धतियों के कारण झारखंड में उत्पादकता अपेक्षाकृत बहुत कम है.

अधिकांश किसान एकल फसल प्रणाली अपनाते हैं. इतना ही नहीं, राज्य में कुल बोये गये क्षेत्र का 75 प्रतिशत वर्षा आधारित है. बावजूद इसके, झारखंड के किसान उत्तरोत्तर विकास के पथ पर अग्रसर हैं. इस तरह की विषमता, कृषिगत क्षेत्र में अनिश्चितता एवं कई प्रकार की कृषि विसंगतियों को देखते हुए तथा किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष भारत सरकार द्वारा एक बड़ा अभियान- ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’- शुरू किया गया. यह अभियान खरीफ की फसल से ठीक पहले प्रारंभ किया गया. अभियान तो कुल 15 दिन का था, लेकिन इस दौरान ऐसे बहुत सारे कार्य किये गये, जिसका प्रकारांतर में कृषि क्षेत्र में व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा. आज हम इसी अभियान और इसकी यात्रा की मीमांसा करेंगे.


इस कार्यक्रम का उद्देश्य एकदम स्पष्ट था. इसके माध्यम से सरकारी, कुछ गैर-सरकारी और सहकारी संस्थाओं ने किसानों को उनके कार्य में होने वाली परेशानियों से छुटकारा दिलाने की कोशिश की. कार्यक्रम के माध्यम से अभियान में शामिल विशेषज्ञों ने किसानों को खरीफ फसलों के लिए आधुनिक तकनीकों, सरकारी योजनाओं और नीतियों की तथा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार फसल और उर्वरक का चयन कैसे करें, इसकी जानकारी दी. इसके साथ ही, किसानों से फीडबैक भी प्राप्त किया गया और उसके आधार पर नवाचार दस्तावेज बनाया गया. यह कृषि के इतिहास में एक अभिनव प्रयोग है. इस अभियान के दौरान प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की भी कोशिश की गयी. इसके साथ ही, कृषि-ड्रोन प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन, आइसीटी का उपयोग, डीएसआर, फसल विविधीकरण, निगरानी और रिपोर्टिंग, नोडल अधिकारी और डैशबोर्ड द्वारा दैनिक रिपोर्टिंग, मीडिया सेल और टीम समर्थन, टीम संरचना आदि पर विशेष ध्यान दिया गया.

अभियान के दौरान केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही किसानों से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं की भी विस्तार से जानकारी दी गयी, तथा यह भी बताया गया कि इन योजनाओं से कैसे लाभान्वित हुआ जा सकता है. उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना, कृषि अवसंरचना कोष, डिजिटल कृषि मिशन, प्राकृतिक खेती मिशन, राज्य योजनाएं जैसे सूरजधारा, फसल विविधीकरण आदि योजनाओं की मुकम्मल जानकारी किसानों को उपलब्ध करवायी गयी.


सरकारी आंकड़ों की मानें, तो इस अभियान के दौरान लगभग 1.35 करोड़ किसानों से प्रत्यक्ष रूप से संपर्क किया गया. अभियान से जुड़े कृषि विशेषज्ञों ने लगभग एक लाख गांवों के दौरे किये. इस दौरान देश के 723 जिलों को कवर किया गया. इस संकल्प अभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि अभियान के लिए विशेषज्ञों की जो टीम बनायी गयी थी, उसमें कृषि से संबंधित सभी कार्यों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया था. अभियान कितना सफल रहा, इसकी मीमांसा सरकारी या गैर-सरकारी स्तर पर हो रही होगी, पर मेरा मानना है कि इस अभियान से देश के किसानों को अवश्य लाभ पहुंचेगा. मुझे लगता है कि किसानों के लिए इस प्रकार का अभियान भारत में पहली बार चलाया गया है. किसानों से जो फीडबैक मिला है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि इस अभियान से किसान बेहद खुश और उत्साहित हैं. इसका लाभ अंततोगत्वा देश को ही मिलेगा और इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. साथ ही किसान भी खुशहाल होंगे.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel