Home Ministry : गृह मंत्रालय ने जेलों में बढ़ती कट्टरवादी सोच को गंभीर चुनौती मानते हुए इस पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर जिस तरह जोर दिया है, उसकी गंभीरता समझी जानी चाहिए. गृह मंत्रालय ने दरअसल यह पाया है कि जेलों में सामाजिक अलगाव, मानसिक तनाव और अपर्याप्त निगरानी के कारण कुछ कैदी कट्टरवादी विचारों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. यह वाकई गंभीर स्थिति है. कुछ मामलों में तो ऐसे उग्र कैदियों ने जैल कर्मचारियों और दूसरे कैदियों पर हमले की साजिशें भी रची थीं. इसी के मद्देनजर मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर विभिन्न कदम उठाने की सूची जारी की है, जिनमें कैदियों की स्क्रीनिंग, समय-समय पर जोखिम मूल्यांकन और अधिक जोखिम वाले कैदियों को अधिक निगरानी के साथ अलग रखने की व्यवस्था करना शामिल है.
दिशानिर्देश में कहा गया है कि राज्य सरकारों को कट्टरपंथी कैदियों के लिए अलग से उच्च सुरक्षा वाले जेल परिसर की स्थापना पर विचार करना चाहिए. इन कैदियों की निगरानी के लिए निगरानी उपकरणों तथा खुफिया तंत्र का इस्तेमाल किया जाना चाहिए तथा उनके और उनके परिवारों के बीच निरंतर संपर्क को बढ़ावा देना भी ऐसे कैदियों की भावनात्मक स्थिरता में योगदान दे सकता है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, कट्टरवाद चूंकि अक्सर आपराधिक गतिविधियों की पहली वजह पाया गया है, इसलिए जेलों में कट्टरपंथ की जांच तथा इसे खत्म करने के लिए तत्काल अभियान शुरू करने की आवश्यकता है. गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश में कैदियों का समय-समय पर मूल्यांकन करने तथा जेलों को केवल दंडस्थल नहीं, बल्कि सुधारस्थल बनाने पर भी जोर दिया गया है.
जेलों में कट्टरपंथ का बढ़ना इसलिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है, क्योंकि जेलें बंद स्थान होती हैं, जहां सामाजिक अलगाव, सामूहिक गतिशीलता तथा निगरानी की कमी चरम दृष्टिकोणों को बढ़ावा दे सकती है. अलगाव की भावना, हिंसक प्रवृत्ति तथा असामाजिक दृष्टिकोण के कारण कैदियों के कट्टरपंथी विमर्श की ओर झुकने की आशंका वैसे भी ज्यादा है. गृह मंत्रालय ने इस खतरनाक स्थिति की ओर भी ध्यान दिलाया है कि जेलों में बढ़ता कट्टरपंथ वैश्विक स्तर पर एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. जेलों में बढ़ती कट्टरवादी सोच पर अंकुश लगाना जरूरी है, ताकि हिंसक उग्रवाद के खतरे को कम किया जा सके, कैदियों का पुनर्वास बेहतर ढंग से हो सके, वे समाज की मुख्यधारा में फिर से जुड़ सकें तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.