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तुर्किये का बहिष्कार

india-boycott : वर्ष 2022-23 में भारत और तुर्किये का कुल व्यापार 13.8 अरब डॉलर को पार कर गया था. दूसरी ओर, अजरबैजान से भारत कच्चा तेल खरीदता है और 2023 में उससे कच्चा तेल खरीदने के मामले में भारत तीसरे नंबर पर था.

India-Boycott : पाकिस्तान के खिलाफ संघर्ष में तुर्किये और अजरबैजान द्वारा उसका खुलकर साथ देने के कारण अपने यहां इन दोनों देशों के बहिष्कार का जो अभियान चल रहा है, उसे समझा जा सकता है. कश्मीर मुद्दे पर हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़े होने वाले तुर्किये ने मौजूदा संघर्ष के दौरान उसे ड्रोन और सैन्य उपकरण उपलब्ध कराये. बेशक चीन की तुलना में तुर्किये का पाकिस्तान से सैन्य सहयोग कम है, पर चीन-पाकिस्तान में पुरानी दोस्ती है, और हम चीनी माल का बहिष्कार करते आये हैं. जबकि तुर्किये न केवल धार्मिक आधार पर पाकिस्तान का साथ दे रहा है, बल्कि वह तो यह भी भूल गया कि उसके यहां जब भीषण भूकंप आया था, तब भारत ने उसकी भारी मदद की थी.

वर्ष 2022-23 में भारत और तुर्किये का कुल व्यापार 13.8 अरब डॉलर को पार कर गया था. दूसरी ओर, अजरबैजान से भारत कच्चा तेल खरीदता है और 2023 में उससे कच्चा तेल खरीदने के मामले में भारत तीसरे नंबर पर था. लेकिन अब व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआइटी) ने इनके बहिष्कार का आह्वान किया है. इसी का नतीजा है कि पुणे के कारोबारियों ने तुर्किये से सेब न मंगाने का फैसला किया है, तो उदयपुर के संगमरमर कारोबारियों ने तुर्किये के साथ व्यापार खत्म करने का एलान किया है, इंदौर के ट्रांसपोर्टर्स ने इन दो देशों को भेजे जाने वाले माल का परिवहन न करने का निर्णय लिया है, तो जेएनयू ने तुर्किये की इनोनु यूनिवर्सिटी के साथ किया गया समझौता रद्द कर दिया है.

अभी तक भारतीय पर्यटकों ने दोनों देशों की 50 फीसदी बुकिंग रद्द कर दी है. इन दो देशों में शूटिंग के लिए न जाने की भी सलाह दी जा रही है. भारतीय पर्यटकों के बहिष्कार से तुर्किये और अजरबैजान की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा, क्योंकि इनकी जीडीपी का बड़ा हिस्सा पर्यटन से आता है और पिछले साल तुर्किये और अजरबैजान ने भारतीय पर्यटकों से चार हजार करोड़ रुपये की कमाई की थी.

तुर्किये और अजरबैजान के बहिष्कार का संदेश यह है कि आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते. इस संदर्भ में मालदीव को याद किया जा सकता है. उसके भारत-विरोधी रुख पर जब हमारे पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार शुरू किया, तो बाद में उसे अपना भारत-विरोधी रवैया बदलना पड़ा. इन दोनों देशों के प्रति गुस्से का एक कारण यह भी है कि उन्होंने भारत की बजाय पाकिस्तान को तरजीह दी है. लिहाजा उन्हें इसका आर्थिक खामियाजा भुगतना ही चाहिए.

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