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Indian Cricket: भारतीय क्रिकेट का संक्रमण काल

Indian Cricket: भारतीय क्रिकेट एक अहम संक्रमण काल से गुजर रहा है, इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज की शुरुआत जहां भारतीय बल्लेबाजों के शानदार प्रदर्शन से हुई, वहीं कमजोर फील्डिंग और बुमराह पर अत्यधिक निर्भरता ने हार की भूमिका भी रची। यह वही समय है जब भारतीय क्रिकेट युवा नेतृत्व, टीम भावना और अनुशासन के सहारे अपनी नई पहचान गढ़ सकता है।

Indian Cricket: भारतीय क्रिकेट एक अहम संक्रमण काल से गुजर रहा है, इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज की शुरुआत जहां भारतीय बल्लेबाजों के शानदार प्रदर्शन से हुई, वहीं कमजोर फील्डिंग और बुमराह पर अत्यधिक निर्भरता ने हार की भूमिका भी रची. यह वही समय है जब भारतीय क्रिकेट युवा नेतृत्व, टीम भावना और अनुशासन के सहारे अपनी नई पहचान गढ़ सकता है.

शुभमन गिल के नेतृत्व में इंग्लैड के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया, दोनों पारियों में पांच शतक बनाये, जिनमें पंत की दोनों पारियों में शतक थे. पर गेंदबाजी में बुमराह पर अतिरिक्त निर्भरता और खराब फील्डिंग से भारत पांच टेस्ट मैच की सीरीज का पहला टेस्ट हार गया.

भारत का इंग्लैंड के खिलाफ इंग्लैंड में मौजूदा टेस्ट सीरीज न सिर्फ एक नये टेस्ट चैंपियनशिप साइकिल की शुरुआत है, बल्कि शुभमन गिल की अगुवाई में नये भारत की टीम इंडिया का आगाज भी है. विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन की वक्त-वक्त पर कमी खलेगी, पर मौजूदा सीरीज नये चैंपियन और नये हीरो सामने लेकर आयेंगे.

ठीक वैसे ही, जैसे सुनील गावस्कर और कपिल देव के बाद सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली आये, फिर महेंद्र सिंह धोनी तथा युवराज सिंह का दौर आया और फिर विराट कोहली व रोहित शर्मा ने टीम इंडिया की दशा-दिशा तय की.

लीड्स टेस्ट मैच में ओपनर यशस्वी जायसवाल ने केएल राहुल के साथ मिलकर टीम इंडिया को बेहतरीन शुरुआत दी थी. वह शुरुआत, जो रोहित शर्मा न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में कर पाने में पूरी तरह से नाकाम रहे. रोहित बीते कुछ वर्ष में अपने डिफेंस पर भरोसा पूरी तरह से खो चुके थे और टेस्ट मैच में इसकी भरपाई अनावश्यक अतिआक्रमण से करते दिखे.

शुभमन गिल ने अपनी कप्तानी की शुरुआत शतकीय पारी से की. ऋषभ पंत की बल्लेबाजी में आक्रामकता भी दिखी. ऐसे में क्रिकेट के कुछ दिग्गज दबी जुबान से सवाल करने लगे हैं कि रोहित शर्मा और विराट कोहली ने जाने में देर तो नहीं कर दी? अगर टीम की जिम्मेदारी यशस्वी-राहुल-गिल और पंत को न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दे दी गयी होती, तो क्या भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का लगातार तीसरा फाइनल खेला होता?

खेल में हीरो जरूरी हैं. लेकिन समस्या तब होती है, जब ये हीरो खेल से बड़े हो जाते हैं. विराट कोहली और रोहित शर्मा का टीम इंडिया में बहुमूल्य योगदान रहा. अगर कोहली विश्व क्रिकेट के सुपरस्टार थे, तो रोहित शर्मा सफेद बॉल क्रिकेट के जबरदस्त कप्तान और धाकड़ बल्लेबाज. पर बीते कुछ वक्त से इनका कद सुपरस्टार की तरह का हो गया था.

मीडिया, ब्रॉडकास्टर और पीआर के ताने-बाने ने इन दोनों के आसपास एक मायाजाल बना रखा था. खासकर नये हेड कोच गौतम गंभीर इससे सहज नहीं थे. क्रिकेट एक टीम गेम है और इसमें सभी खिलाड़ी मिलकर टीम को चैंपियन बनाते हैं. इसलिए तो दक्षिण अफ्रीका बावुमा की अगुवाई में चैंपियन बना, जिनका दर्जा कतई सुपरस्टार का नहीं है. कीवी टीम बिना सुपरस्टार कल्चर के लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करती है.

भारत भी विश्व कप से लेकर टी-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप और बड़ी टेस्ट सीरीज का विजेता तब बना, जब सभी खिलाडियों ने अपना योगदान दिया. भारत बेशक लीड्स टेस्ट हार गया है, पर शुभमन गिल की कप्तानी और गौतम गंभीर की देखरेख में नये भारत की टीम इंडिया बनाने का सुनहरा मौका है. कोच गौतम गंभीर के एजेंडे में भारतीय टीम में सुपर स्टार कल्चर से परे यंग लीडरशिप ग्रुप बनने का मौका है. इसमें टीम फर्स्ट का पहला और आखिरी उद्देश्य होगा. भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है.

आइपीएल के बाद युवा खिलाडियों को दिग्गज खिलाडियों के खिलाफ एक्सपोजर भी मिलता है. बस, जरूरत है युवा प्रतिभाओं को इंडिया फर्स्ट का मूलमंत्र देकर एक सूत्र में पिरोने की. लीड्स टेस्ट ने बल्लेबाजी में लीडरशिप ग्रुप की रेखा तय कर दी है. इस लीडरशिप ग्रुप में यशस्वी-गिल-पंत और केएल राहुल की अहम भूमिका होगी. साई सुदर्शन में भी जबरदस्त प्रतिभा है, लेकिन यह सीरीज तय कर देगा कि वह बड़े स्तर के लिए तैयार हैं या नहीं. करुण नायर और ध्रुव जुरेल भी टीम में अपनी जगह तय करने में कसर नहीं छोड़ेंगे.

तेज गेंदबाजी में भारत के पास जसप्रीत बुमराह के तौर पर विश्व क्रिकेट का बेहतरीन गेंदबाज है. पर मोहम्मद शमी का बेहतरीन दौर खत्म होने के बाद शेष गेंदबाजों को उनका साथ देने की जरूरत है. लीड्स टेस्ट में मोहमद सिराज ने निराश किया. अगर शेष मैचों में भी सिराज इंग्लैंड जैसे तेज गेंदबाजों के लिए माकूल जगह पर छाप नहीं छोड़ सके, तो उनका विकल्प खोजने का वक्त आ गया है. प्रसिद्ध कृष्णा ने बेहतर प्रदर्शन किया है, पर मौजूदा सीरीज में उनसे और बेहतरी तथा निरंतरता की जरूरत होगी, खासकर उन मैचों में, जिनमें बुमराह टीम का हिस्सा नहीं होंगे.

सीरीज यह भी तय करेगा कि क्या रविंद्र जडेजा में स्पिन ऑलराउंडर के तौर अब भी जान है या फिर कुलदीप यादव जैसे गेंदबाज को बराबर टीम में मौका देने का वक्त आ गया है. पर लीड्स टेस्ट में चिंता का कारण टीम की खराब फील्डिंग और खासकर कैचिंग रही. यशस्वी जायसवाल ने अगर क्लोज इन कैच नहीं छोड़े होते, तो बुमराह ने शायद तीन सौ के अंदर इंग्लैंड की पहली पारी को पैक कर दिया होता. टीम इंडिया के लिए यह संक्रमण काल है, पर ईमानदारी से किया गया समुद्रमंथन भारत को इंडिया फर्स्ट के मूलमंत्र के सहारे विश्वविजेता बना सकता है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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