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International Yoga Day : सही तरीके से योग करने पर मिलेगा पूरा लाभ

International Yoga Day : बीते कुछ वर्षों से देश-विदेश में योग को लेकर जागरूकता बढ़ी है. पर यह भी सच है कि आज अधिकांश लोगों को योग का वास्तविक अर्थ पता नहीं है. स्वास्थ्य और कल्याण की दृष्टि से देखें, तो योग के लिए पांच चीजें आवश्यक हैं. आहार, शुद्धिकरण, आसन, प्राणायाम और ध्यान. इसमें सबसे पहली चीज आहार है.

-डॉ ईश्वर वी बासवारेड्डी-
International Yoga Day : योग एक विज्ञान और जीवन जीने का तरीका है, जिसका उद्देश्य स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निर्माण करना है. वास्तव में, योग एक अनुशासन है, जो मानव शरीर और मन का मिलन कर मनुष्य को उसकी अनंत क्षमताओं की प्राप्ति की ओर ले जाता है. यह मानव चेतना को उसके मन और अहंकार की सीमाओं से परे ले जाकर सर्वव्यापी सर्वोच्च चेतना के साथ विलीन करने का एक महत्वपूर्ण साधन है. योग का नियमित अभ्यास शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और बौद्धिक स्वास्थ्य में सुधार करता है. योग के इसी महत्व को देखते हुए हर वर्ष 21 जून को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है.


बीते कुछ वर्षों से देश-विदेश में योग को लेकर जागरूकता बढ़ी है. पर यह भी सच है कि आज अधिकांश लोगों को योग का वास्तविक अर्थ पता नहीं है. स्वास्थ्य और कल्याण की दृष्टि से देखें, तो योग के लिए पांच चीजें आवश्यक हैं. आहार, शुद्धिकरण, आसन, प्राणायाम और ध्यान. इसमें सबसे पहली चीज आहार है. आज जो कुछ भी हम खाते-पीते हैं, वे सब मिलावटी व प्रदूषित हैं. इसका दुष्प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है. इसलिए हमें अपने आहार पर ध्यान देना और समय-समय पर अपने शरीर का शुद्धिकरण जरूरी है, ताकि हमारा शरीर विषाक्तता से मुक्त हो सके. हम जो कुछ भी खाएं वह शुद्ध, स्वच्छ, संतुलित व पौष्टिकता से भरपूर होना चाहिए. योग में शुद्धिकरण की क्रियाएं होती हैं- शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से और भावनात्मक रूप से. इन तीनों स्तरों पर हमें समय-समय पर शुद्धिकरण की जरूरत होती है. शुद्धिकरण के बाद हमें एनर्जी की जरूरत होती है, जो शारीरिक गतिविधियाें के जरिये मिलती है. इसके लिए कुछ लोग टहलते हैं, कुछ दौड़ते हैं, कुछ घर का काम करते हैं. पर इन सबसे शरीर के हर अंगों का व्यायाम नहीं होता है, उसकी स्ट्रेचिंग नहीं होती है, उसे एनर्जी नहीं मिलती है. इसके लिए सही तरीके से योग आसनों को करने की जरूरत होती है.


योग आसनों के जरिये आपने ऊर्जा तो एकत्र कर ली, पर यदि आपको यही नहीं पता है कि इस ऊर्जा का उपयोग किस तरह करेंगे, तो ऊर्जा व्यर्थ हो जायेगी. हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह प्राण, यानी सांस के जरिये होता है. इसी से हमारा सारा ऑटोनोमस फंक्शन बैलेंस होता है. जब हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होगा, तभी हम चुस्त-दुरुस्त बने रहेंगे. तो इसके लिए नियमित प्राणायाम जरूरी है. आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी होने के कारण हमारा स्ट्रेस लेवल भी बहुत बढ़ा रहता है, जिससे हमें अच्छी तरह नींद नहीं आती है. हमारे हर रोज स्ट्रेस लेने के कारण कॉर्टिसोल हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है. कॉर्टिसोल को संतुलित करने के लिए एचपीए एक्सिस (हाइपोथैलेमस-पीट्युटरी व एड्रीनल ग्लैंड का एक्सिस) को संतुलित करने की जरूरत पड़ती है. एचपीए एक्सिस के संतुलित रहने पर आप एकदम फिट रहते हैं, आपको जरा सा भी स्ट्रेस नहीं होता है. तो स्ट्रेस को दूर करने के लिए हमे नियमित प्राणायाम व रिलैक्सेशन तकनीक का सहारा लेना चाहिए. अब बात आती है हमारे स्पाइन व ब्रेन को हेल्दी बनाये रखने की. इसके लिए ध्यान सर्वश्रेष्ठ विधि है. ध्यान करने से भी आपका आटोनॉमस फंक्शन बैलेंस होता है. इससे आप तनाव रहित व शांत बने रहते हैं.


यहां यह प्रश्न उठना भी स्वाभाविक है कि हम यह सब कुछ हर रोज कर रहे हैं, फिर भी हमें इसका सकारात्मक परिणाम क्यों नहीं मिल रहा है? तो इसका उत्तर यही है कि हम उपरोक्त चीजों को सही तरीके से नहीं कर रहे हैं. हम स्वस्थ व स्वच्छ आहार नहीं लेते हैं, तेल-मसाला युक्त खाना, जंक फूड का अधिक सेवन करते हैं. अपने शरीर का शुद्धिकरण नहीं करते हैं. योग को व्यायाम की तरह करते हैं. प्राणायाम की जगह केवल ब्रीदिंग करते हैं. एक और जरूरी बात, भले ही आप रोजाना 15 से 20 मिनट योग करते हों, पर उसका कोई परिणाम नहीं निकलेगा. आप 28 दिन के चक्र में कम से कम 18 दिन तक लगातार हर रोज 40 से 45 मिनट योग करेंगे, तभी आपको उसका लाभ मिलेगा.

इसी तरह, प्राणायाम का अभ्यास 15 ये 20 चक्र सही ठंग से करने से ही उसका प्रभाव पड़ता है. प्राणायाम सही ढंग से करने से मन धारणा के योग्य बनता है. देखिए, आहार और डिटॉक्स हमारे हाथ में है. लेकिन हमारी कुछ आदतें ऐसी होती हैं, जिन्हें हम चाहकर भी नहीं बदल पाते, पर ध्यान से वैसी आदतें भी बदली जा सकती जिन्हें आप अपना मूलभूत स्वभाव कहते हैं. इसके लिए ध्यान की सही तकनीक का पता होना चाहिए. ध्यान में आप यम, नियम के जरिये कदम-दर-कदम बहिरंग से अंतरंग में जाकर जब अंतरात्मा तक पहुंचेंगे, तब जाकर आपकी यात्रा आरंभ होगी. और इसके बाद आपके मस्तिष्क में जो परिवर्तन होगा, उससे बाद ही आपकी आदत में, जीन एक्सप्रेशन में बदलाव आयेगा, जीन मॉडिफिकेशन होगा. व्यवहार में बदलाव आने के बाद जब आप 12 से 14 सप्ताह तक नियमित ध्यान करेंगे, उसके बाद आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करने योग्य बन जायेंगे.
(बातचीत पर आधारित)
(ये लेखक के निजी विचार हैं)

Prabhat Khabar Digital Desk
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