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जगन्नाथ रथयात्रा : सेवा में तत्पर भारतीय रेल

Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ रथयात्रा के अवसर पर भारतीय रेलवे की व्यापक तैयारियां — विशेष ट्रेनों, सुरक्षा, स्वच्छता और समावेशी सुविधाओं के साथ तीर्थयात्रियों की सेवा में तत्पर।

Jagannath Rath Yatra: महाप्रभु की पावन नगरी जगन्नाथपुरी रथयात्रा के लिए पूरी तरह तैयार है. दुनियाभर से हर वर्ष आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था की अनोखी यात्रा है. भारतीय रेल भी तीर्थयात्रियों की सेवा में, उनके सुखद अनुभव के लिए हमेशा की तरह तत्पर है. पिछले ग्यारह वर्ष ओडिशा के रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से ऐतिहासिक रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘पूर्वोदय नीति’ के तहत ओडिशा को आवंटित रेल बजट में 2009-2014 के वार्षिक औसत के मुकाबले 12 गुना उछाल देखने को मिला है. वर्ष 2025-2026 में बजट का आंकड़ा 10,500 करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है. ओडिशा में 2014 से अब तक 2,100 किलोमीटर से अधिक नयी पटरियां बिछायी जा चुकी हैं. आंकड़ों के हिसाब से देखें, तो यह मलेशिया के पूरे रेल नेटवर्क से भी अधिक है.


ओडिशा में वर्तमान समय में 73,000 करोड़ रुपये की नयी रेल लाइन परियोजनाएं चल रही हैं. कुल 59 अमृत स्टेशन विकसित किये जा रहे हैं, जिनमें से आकांक्षी जिलों में 16 रेलवे स्टेशन शामिल हैं. राज्य में संचालित छह वंदे भारत सेवाएं कुल 17 जिलों को कवर कर रही हैं. गौर करने की बात यह है कि ओडिशा में भारतीय रेलवे का सबसे खास योगदान रथयात्रा के दौरान ही होता है और रेलवे हर साल इस दौरान लाखों तीर्थयात्रियों की सेवा का जिम्मा उठाता है. इस दौरान यात्रा सुगम और व्यवस्था सहज हुई है.
पिछले ग्यारह वर्षों में रथयात्रा स्पेशल ट्रेनों की संख्या चार गुना बढ़ी है. इस वर्ष जगन्नाथपुरी के लिए 850 नियमित और 365 विशेष ट्रेन सेवाओं सहित कुल 1,215 ट्रेन सेवाएं संचालित हैं. ये ट्रेनें ओडिशा के कई आकांक्षी जिलों, जैसे कि कालाहांडी, बलांगीर, नुआपाड़ा, कोरापुट, रायगढ़ा, गजपति और ढेंकनाल और आदिवासी क्षेत्रों को श्रीक्षेत्रपुरी से जोड़ती हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ-आधारित रियल-टाइम डिमांड प्रिडिक्शन सिस्टम के जरिये ट्रेनों का बेहतर संचालन हो रहा है. पुरी में इस बार 10 प्लेटफॉर्म तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए तैयार हैं. पुरी के साथ-साथ अन्य रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त टिकट काउंटर लगाये गये हैं.


‘सेवा परमो धर्म:’ की भावना के साथ भारतीय रेल यह सुनिश्चित कर रही है कि रथयात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को सम्मान, सुविधा और सुरक्षा मिले. इस वर्ष तीर्थयात्रा को समावेशी बनाने की बहुत बड़ी पहल हो रही है. प्रतिदिन अधिकतम दो लाख की क्षमता के साथ रेलवे करीब 20 लाख यात्रियों की सेवा के लिए तैयार है. कुल 25,000 तीर्थयात्रियों की क्षमता वाला होल्डिंग एरिया भी बनाया गया है. गर्मी से राहत के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गयी है. भोजन, पानी और कूलर की व्यवस्था है. लगभग 2.5 लाख निःशुल्क भोजन सामग्री के वितरण की व्यवस्था है.


सफाई के लिए आधुनिक जेट क्लीनिंग मशीनें, सीवर सफाई ट्रक सहित अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल, सीसीटीवी, ड्रोन और फेस रिकग्निशन सिस्टम लगाये गये हैं. दिव्यांगजनों, बुजुर्गों, महिलाओं और बीमार श्रद्धालुओं की आवश्यकताओं का खास ध्यान रखा गया है. डॉक्टर, एंबुलेंस, मेडिकल बूथ और फर्स्ट एड काउंटर स्थापित किये गये हैं. इस बार भारतीय रेलवे ने पुरी स्टेशन को आस्था आधारित सार्वजनिक सेवा के एक मॉडल के रूप में परिवर्तित किया है.


स्पेशल जैक के साथ रेलवे रथयात्रा में प्रत्यक्ष सहभागी है. भारतीय रेल की विशेष इंजीनियर्स और टेक्नीशियंस की टीम पूरी रथयात्रा के दौरान रथों के साथ तैनात रहती है. यह रथों को निर्माण स्थल से जगन्नाथ मंदिर तक ले जाने के साथ उनकी सुगम आवाजाही और मरम्मत में सहयोग करती है. यह टीम स्पेशल स्क्रू जैक का उपयोग कर रथों को ठीक जगह पर रखना और उनकी दिशा तथा सीध भी सुनिश्चित करती है. रथों के बीच उचित दूरी बनाये रखने और मार्ग की बाधाओं को हटाने की जिम्मेदारी भी रेलवे की टीम देखती है. भारतीय रेल को राष्ट्र की जीवनरेखा कहा जाता है. रथयात्रा को अपनी जीवनरेखा मानने वाले तीर्थयात्रियों के साथ हर भारतीय की सेवा के लिए भारतीय रेल प्रतिबद्ध है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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