चीन में एससीओ यानी शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा उठाते हुए सदस्य देशों से आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाने का आग्रह कर मेजबान देश के साथ पाकिस्तान को भी ठोस संदेश दिया. एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले पर चुप्पी साध लेने की पृष्ठभूमि में विदेश मंत्री के बयान का महत्व है. जयशंकर ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना आतंकवाद,अलगाववाद और चरमपंथ से मुकाबले के लिए की गयी थी. ऐसे में, सदस्य देशों को संगठन के मूल उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए. उन्होंने सदस्य देशों को यह भी याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी.
एससीओ के मंच से आतंकवाद से इतर उन्होंने अफगानिस्तान के लिए मदद बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत इस दिशा में कदम उठायेगा. सदस्य देशों के बीच परिवहन सुविधाओं और संपर्कों को बेहतर बनाने की जरूरत पर भी उन्होंने जोर दिया. उनका कहना था कि एससीओ के भीतर सहयोग को गहरा करने के लिए व्यापार, निवेश और आदान-प्रदान बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन परिवहन की कमी इस क्षेत्र में एक बड़ी समस्या है.
विदेश मंत्री का कहना था कि आज दुनिया बहुध्रुवीय विश्व की ओर बढ़ रही है, ऐसे में सभी देशों को साथ लेकर चलना आवश्यक है. अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आइएनएसटीसी) के प्रति भरोसा जताते हुए उन्होंने इस परियोजना के आगे बढ़ते रहने की उम्मीद जतायी. आइएनएसटीसी भारत-ईरान-अफगानिस्तान-आर्मेनिया-अजरबैजान-रूस-मध्य एशिया-यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी परिवहन परियोजना है.
चीनी विदेश मंत्री के साथ मुलाकात में उन्होंने दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर जोर देते हुए जहां यात्रा को आसान बनाने, सीधी उड़ानों की फिर से शुरुआत करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता जतायी, वहीं चीन के व्यापार नियंत्रण की नीति तथा व्यापार प्रतिबंधों पर चिंता भी व्यक्त की. चीनी उपराष्ट्रपति के अलावा उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की और उन्हें दोनों देशों के रिश्तों में हो रही प्रगति के बारे में बताया. कुल मिलाकर देखें, तो विदेश मंत्री जयशंकर का चीन दौरा सफल रहा.