23.8 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

आइए जल संचय का संकल्प लें

पर्यावरणविद दिवंगत अनुपम मिश्र का मानना था कि जल संकट प्राकृतिक नहीं, मानवीय संकट है. उनका कहना था कि यह समस्या सामाजिक अधिक है, क्योंकि गांवों में हम जल संरक्षण के जो उपाय करते थे, उन्हें हमने छोड़ दिया है.

इस समय गर्मी और जल संकट से पूरा देश त्राहि-त्राहि कर रहा है. सभी की जुबान पर एक ही सवाल है कि कब मानसून आयेगा और कब राहत मिलेगी. देश का किसान बेसब्री से मानसून का इंतजार कर रहा है, क्योंकि हमारी कृषि व्यवस्था मानसून पर ही निर्भर है. केरल से थोड़ी राहत की खबर आयी है कि देर से ही सही, वहां मानसून पहुंच गया है. चिंता की बात है कि इस बार मानसून की रफ्तार धीमी है.

अभी मानसून केरल तक ही पहुंचा है. झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में मानसून का अब भी इंतजार है. भारत के 80 फीसदी हिस्से में वर्षा के लिए जिम्मेदार दक्षिण पश्चिम मानसून इस वर्ष देर से पहुंचेगा. हालांकि, मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस साल देश में मानसून सामान्य रहने वाला है. यह बड़ी राहत वाली खबर है. समस्या यह है कि जलवायु परिवर्तन ने मानसून की बारिश पर भी असर डाला है और वह जम कर अथवा यूं कहें कि अपेक्षित बारिश नहीं होती है.

दूसरी ओर पूरे साल बेमौसम बारिश होती रहती है, जिससे फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है. कई बार ओले पड़ने से फसलें बर्बाद हुईं है और भारी गर्मी ने भी फसलों को नुकसान पहुंचाया है. हालत यह है कि इस समय मैदानी इलाकों में लू का प्रकोप है और कई पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी हो रही है.

लेकिन एक गंभीर संकट की ओर हम ध्यान नहीं दे रहे हैं. पूरे देश में जल संकट गहराता जा रहा है. मुझ से झारखंड, बिहार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अनेक लोगों ने यह जानकारी साझा की कि उनके बोरिंग और हैंडपंप इस साल फेल हो गये हैं और दोबारा ज्यादा गहराई से बोरिंग कराने के उपाय कारगर साबित नहीं हुए हैं. ऐसा नहीं है कि बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल में ही जल संकट हो. देश के विभिन्न हिस्सों से विचलित कर देने वाली खबरें सामने आ रही हैं.

ये इस बात का संकेत हैं कि आने वाले समय में हमें किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. महाराष्ट्र का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें दिखाया गया है कि महिलाओं को एक-एक बाल्टी पानी के लिए कैसे गहरे कुएं में उतरना पड़ रहा है. लोगों को कई किमी का रास्ता तय करने के बाद ही पानी मिल पा रहा है. पानी के टैंकर के पीछे दौड़ती भीड़ की तस्वीर तो अब आम हो गयी है. पानी लेने के विवाद पर मारपीट की घटनाएं तो सामान्य मान ली गयी हैं.

जल संकट के कारण कई स्थानों पर प्रशासन को कानून व्यवस्था के नियंत्रण की चुनौती का सामना करना पड़ा है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान जल संकट से बुरी तरह प्रभावित हैं. पिछले साल झारखंड और बिहार में बारिश कम हुई. इससे झारखंड के बड़े इलाके में धान की रोपाई में समस्या आयी थी. ऐसा नहीं है कि ऐसी परिस्थिति का निर्माण अचानक हो गया हो या फिर इस तरह की चेतावनी पहली बार सामने आ रही हो. कुछ अरसा पहले नीति आयोग ने कहा था कि देश बड़े जल संकट से गुजर रहा है और अगर तुरंत कदम नहीं उठाये गये, तो 2030 तक देश में सबको पीने का पानी देना संभव नहीं होगा.

समस्या केवल कम या अधिक बारिश की नहीं है. इसमें जल प्रबंधन की कमी का बहुत बड़ा हाथ है. दरअसल, सबसे बड़ी समस्या यह है कि बारिश का पानी बहकर निकल जाता है, हम जल संरक्षण नहीं करते. आसपास देखें, तो हम पायेंगे कि नदियों के किनारों पर अवैध कब्जे हो गये हैं और इमारतें खड़ी होती जा रही हैं. इससे नदी के प्रवाह में दिक्कतें आती हैं और ज्यादा बारिश होने पर बाढ़ आ जाती है. बारिश होती भी है, तो जो हमारे तालाब हैं, उनको हमने पाट दिया है.

शहरों में तो उनके स्थान पर बहुमंजिले अपार्टमेंट और मॉल खड़े हो गये हैं. झारखंड की ही मिसाल लें. यहां साल में औसतन 1400 मिलीमीटर बारिश होती है. यह किसी भी पैमाने पर अच्छी बारिश मानी जायेगी, लेकिन पानी बह जाता है. उसके संचयन का कोई उपाय नहीं है. इसे चेक डैम अथवा तालाबों के जरिए रोक लिया जाए, तो साल भर खेती और पीने के पानी की समस्या नहीं होगी. बिहार की बात करें, तो दो दशक पहले तक यहां लगभग ढाई लाख तालाब हुआ करते थे, लेकिन आज इनकी संख्या घट कर लगभग 90 हजार रह गयी है.

शहरों के तालाबों पर भू-माफियाओं की नजर पड़ गयी और डेढ़ लाख से अधिक तालाब काल कवलित हो गये. उनके स्थान पर इमारतें खड़ी हो गयीं. नतीजा यह हुआ कि शहरों का जलस्तर तेजी से घटने लगा. दरभंगा जैसे शहर में, जहां कभी बहुत कम गहराई पर पानी उपलब्ध होता था, वहां जलस्तर दो सौ फीट तक पहुंच गया. यही स्थिति अन्य शहरों की भी है.

प्रख्यात पर्यावरणविद दिवंगत अनुपम मिश्र का मानना था कि जल संकट प्राकृतिक नहीं, मानवीय संकट है. उनका कहना था कि यह समस्या सामाजिक अधिक है, क्योंकि गांवों में हम जल संरक्षण के जो उपाय करते थे, उन्हें हमने छोड़ दिया है. बस्ती के आसपास तालाब, पोखर जैसे जलाशय बनाये जाते थे, लेकिन हमने अपने आसपास के तालाब मिटा दिये और जल संरक्षण का काम छोड़ दिया. आज तालाबों को पुनः जिंदा करने की जरूरत है. प्रभात खबर लगातार पर्यावरण और जल-जंगल-जमीन के मुद्दों को शिद्दत के साथ उठाता आया है.

लगातार विमर्श में ये ही महत्वपूर्ण बातें निकल कर आयी हैं कि जल संकट से बचने के लिए जन भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है. नीतियां जनोपयोगी बनें, पर्यावरण के अनुकूल बनें, इसके लिए प्रबुद्ध लोगों के हस्तक्षेप की जरूरत है. पानी के लिए धरती का दोहन करने के बजाय सतह के वाटर बॉडी को संरक्षित करने की जरूरत है. सिर्फ सरकार के भरोसे पर्यावरण संरक्षण का काम नहीं हो सकता है. इसकी शुरुआत घर से करनी होगी.

सिविल सोसाइटी को राज्य सरकार के साथ मिल कर काम करना होगा. बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में तालाबों का संरक्षण करना बेहद जरूरी है. स्कूलों में पर्यावरण संबंधी जानकारी बच्चों को देनी होगी. बच्चों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना होगा. सबको संकल्प लेना होगा कि न केवल पेड़ लगाएं, बल्कि उन्हें बचाएं भी.

जल स्रोतों के पुनरुद्धार के लिए कार्य योजना बना कर काम करना होगा. राज्य और केंद्र स्तर पर पर्यावरण संरक्षण की अनेक नीतियां और कानून हैं. नीतियों का पालन सही ढंग से हो, इसके लिए दबाव बनाना होगा. हम सभी को जल संचय का संकल्प लेना होगा, वरना यह आपदा का रूप ले लेगा.

Ashutosh Chaturvedi
Ashutosh Chaturvedi
मीडिया जगत में तीन दशकों से भी ज्यादा का अनुभव. भारत की हिंदी पत्रकारिता में अनुभवी और विशेषज्ञ पत्रकारों में गिनती. भारत ही नहीं विदेशों में भी काम करने का गहन अनु‌भव हासिल. मीडिया जगत के बड़े घरानों में प्रिंट के साथ इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का अनुभव. इंडिया टुडे, संडे ऑब्जर्वर के साथ काम किया. बीबीसी हिंदी के साथ ऑनलाइन पत्रकारिता की. अमर उजाला, नोएडा में कार्यकारी संपादक रहे. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ एक दर्जन देशों की विदेश यात्राएं भी की हैं. संप्रति एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel