भारतीय परंपरा में ग्यारह की संख्या शुभ मानी जाती है. इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल को शगुन काल भी कह सकते हैं. ग्यारह साल का वक्त कम नहीं होता. जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद लंबे कार्यकाल वाले प्रधानमंत्री की सूची में मोदी पहुंच चुके हैं. अगर जनता ने नरेंद्र मोदी पर लगातार भरोसा जताया, तो इसकी वजह उनकी कार्यशैली है. वर्ष 2014 की उनकी जीत में लोगों की उम्मीदें थीं. लोगों की उम्मीदें पूरी करने की उन्होंने जो कोशिश की, 2019 में उसे जनता का भरपूर साथ मिला. इस कड़ी में देखें, तो 2024 में भाजपा का बहुमत से दूर रह जाना खटकता है, लेकिन दस साल के कार्यकाल में आकांक्षाओं का उद्दाम होना स्वाभाविक है और सारी आकांक्षाएं पूरी कर पाना भी संभव नहीं है. हो सकता है, इसका असर नतीजों पर दिखा.
मोदी सरकार के कार्यकाल में सबसे बड़ा जो बदलाव दिखता है, वह यह कि देश में कोई बड़ा भ्रष्टाचार नहीं दिखा. ऐसा नहीं है कि सरकारी तंत्र से भ्रष्टाचार खत्म हो गया है, पर मोदी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसता रहा है. सरकारी तंत्र के कामकाज का अपना तरीका रहा है. पर मोदी के नेतृत्व में कामकाज का तरीका बदला है. इसे समझने के लिए हाल ही में हुए दुनिया के सबसे ऊंचे पुल के उद्घाटन समारोह को देख सकते हैं. चिनाब पुल के उद्घाटन के वक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब इस परियोजना की शुरुआत हुई, तब वे आठवीं में पढ़ रहे थे, अब वे पचपन साल के हैं और अब जाकर यह पूरी हो पायी है. मोदी सरकार के कार्यकाल में तंत्र के कामकाज का तरीका बदला है. अब वह ज्यादा अनुशासित और लक्ष्यों को वक्त पर पूरा करने को लेकर ज्यादा प्रतिबद्ध है, लेकिन नौकरशाही पर ज्यादा भरोसा बढ़ने की वजह से तटस्थ लोगों की नजर में ब्यूरोक्रेसी कई मामलों में बेलगाम भी हुई है. जब मोदी सरकार अपनी ग्यारहवीं सालगिरह मनाने जा रही है, तब आयी विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान देश में गरीबों की संख्या 27.1 फीसद से घटकर 5.3 प्रतिशत रह गयी है. इसके पीछे 81 करोड़ लोगों को मुफ्त अन्न योजना के साथ उज्ज्वला, मुद्रा आदि की कामयाबी रही है. इस दौरान देश ने मेडिकल कॉलेजों के मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है. साल 2014 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 थी, जो 2025 में बढ़कर 780 हो गयी. एमबीबीएस की सीटें भी 51,348 से बढ़कर 2024 में 1.18 लाख हो गयी. भाजपा के दावे के अनुसार, इस दौरान 17.1 करोड़ नयी नौकरियां निकलीं और स्टार्टअप से 1.61 लाख युवाओं को रोजगार मिला. भाजपा का दावा है कि सरकार के कौशल विकास मिशन के तहत अब तक 2.27 करोड़ से अधिक युवाओं को ट्रेनिंग मिल चुकी है. उज्ज्वला योजना के तहत करीब दस करोड़ 28 लाख से ज्यादा गैस कनेक्शन दिये जा चुके हैं. मुद्रा योजना के तहत करीब 52 करोड़ ऋण खाते खोले गये हैं. प्रधानमंत्री आवास, जन-धन और आयुष्मान भारत आदि ने बदलाव लाने में बड़ी भूमिका निभायी है. सीधे कैश ट्रांसफर से ग्रामीण और कमजोर वर्गों तक सरकारी योजनाओं की पहुंच बढ़ी है. भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बना है. इसका भी श्रेय मोदी सरकार को ही जाता है.
देश सांस्कृतिक मोर्चे पर भी लगातार विकास कर रहा है. इस दौरान काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उज्जैन का महाकाल लोक, मां कामाख्या मंदिर, राम मंदिर अयोध्या, केदारनाथ धाम और जूना-सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है. राममंदिर के निर्माण की उपलब्धि ही मोदी सरकार के खाते में जाती है. इसी दौरान उत्तराखंड में चारधाम राजमार्ग परियोजना, हेमकुंड साहिब रोप-वे और बौद्ध सर्किट विकास जैसी योजनाएं शुरू हुईं. करतारपुर कॉरिडोर के चलते पाकिस्तान स्थित दरबार साहिब भारतीय सिखों के लिए सुलभ हुआ. इसी दौरान राष्ट्रनिर्माताओं को सम्मान देने की दिशा में प्रधानमंत्री संग्रहालय, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, राष्ट्रीय पुलिस स्मारक, जलियांवाला बाग स्मारक और 11 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय जैसे संस्थान बनाये गये. आयुर्वेद और योग की वैश्विक मान्यता भी मोदी सरकार की ही उपलब्धि कही जायेगी.
मोदी सरकार के कार्यकाल में आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति बनी और उसे लागू किया गया. ऑपरेशन सिंदूर उसका ही प्रतीक है. अनुच्छेद 370 का खात्मा, पुलवामा हमले के जवाब में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदम सरकार ने उठाये. इस दौरान भारत ने ग्लोबल साउथ की अवधारणा को मजबूत करते हुए अफ्रीकी देशों से संबंध बढ़ाये. रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी रोक-टोक के बावजूद भारत रूस से सस्ती दरों पर कच्चा तेल खरीदने में सफल रहा. उत्तर पूर्वी राज्यों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिशों के साथ नक्सलवाद पर अंकुश भी इसी दौर में लगा. भारत जैसे बहुभाषी, बहुरंगी देश में अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. आय की असमानता में संतुलन आज की बड़ी जरूरत है. भारत को यूरोप की तर्ज पर विकसित करने और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने की जरूरत भी है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में देश इन उपलब्धियों को हासिल करने में भी सफल रहेगा.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)