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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस : डॉक्टर के पेशे को सम्मान देने की जरूरत है

National Doctors Day : डॉक्टर बनना केवल लंबे समय तक काम करना भर नहीं है. यह भावनात्मक रूप से थका देने वाला भी है. हर दिन वे मानवीय पीड़ा से निपटते हैं. वे ऐसी चीजें देखते हैं जिनके बारे में अधिकांश लोग सोचना तक नहीं चाहते- दर्द, बीमारी, निराशा, मौत. उन्हें परिवारों को बुरी खबर देनी होती है.

-डॉ राहुल शर्मा-
(पल्मोनोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल, नोएडा)

National Doctors Day : हर वर्ष एक जुलाई को हम भारत के सबसे सम्मानित चिकित्सकों और राजनेताओं में से एक डॉ बिधान चंद्र राय के सम्मान में डॉक्टर्स डे मनाते हैं. परंतु यह दिन केवल एक ऐतिहासिक व्यक्ति को याद करने के बारे में नहीं है. यह प्रतिदिन की उन वास्तविकताओं, चुनौतियों और बलिदानों को पहचानने के बारे में है जो हर समर्पित डॉक्टर अक्सर बिना किसी प्रशंसा या पुरस्कार के करता है. डॉक्टर वे होते हैं जिनके पास आप अपने सबसे कमजोर क्षणों में जाते हैं- जब आप बीमार होते हैं, दर्द में होते हैं, भयभीत होते हैं, या आपको यह पता नहीं चल पाता कि आपके शरीर के साथ क्या हो रहा है. वे आपको सुनते हैं, समस्या का निदान करते हैं, इलाज करते हैं और मार्गदर्शन करते हैं. वे अपनी चिंताओं के साथ-साथ आपकी चिंताओं का बोझ भी उठाते हैं.


चिकित्सा नौ से पांच की डेस्क जॉब भर नहीं है. यह ऐसी चीज नहीं है जिसे आप ऑफिस की चौखट पर छोड़ बाहर निकल आ सकते हैं. डॉक्टरों के लिए उनका जीवन मरीजों की सेवा और अपने परिवारों की देखभाल के बीच निरंतर संतुलन बनाये रखने का काम है- एक ऐसा संतुलन जो अक्सर उनके मरीजों के पक्ष में झुका रहता है. पर हम सब इस बारे में पर्याप्त बातें नहीं करते कि कैसे डॉक्टर हमारे पास मौजूद रहने के लिए अपने परिवार के समय में कटौती करते हैं. सच तो यह है कि कई डॉक्टर आपको एक शांत आह भरते हुए बताते होंगे कि वे कौन सी जन्मदिन की पार्टियों में, कौन से स्कूल कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाये. अपने बच्चे के पहले शब्द या कदम सुन-देख नहीं पाये, क्योंकि वे ड्यूटी पर थे. कल्पना कीजिए, एक सर्जन आपातकालीन ऑपरेशन के लिए तैयार हो रहा है, जबकि उसका बच्चा घर पर केक काट रहा है. या एक बाल रोग विशेषज्ञ किसी और के बीमार बच्चे की देखरेख कर रहा है, जबकि उसका अपना बच्चा बुखार में तप रहा है. या आइसीयू में मौजूद एक डॉक्टर परिवार के साथ डिनर करने से चुक जाता है क्योंकि वह गंभीर रूप से बीमार एक रोगी का उपचार कर रहा है. यही वास्तविकता है. डॉक्टर मरीजों को प्राथमिकता देते हैं- इसलिए नहीं कि वे अपने परिवार से प्यार नहीं करते, इसलिए कि वे मानव जीवन से भी प्यार करते हैं. यह एक कठिन चुनाव है.


डॉक्टर बनना केवल लंबे समय तक काम करना भर नहीं है. यह भावनात्मक रूप से थका देने वाला भी है. हर दिन वे मानवीय पीड़ा से निपटते हैं. वे ऐसी चीजें देखते हैं जिनके बारे में अधिकांश लोग सोचना तक नहीं चाहते- दर्द, बीमारी, निराशा, मौत. उन्हें परिवारों को बुरी खबर देनी होती है. उन्हें पल भर में ऐसे फैसले लेने होते हैं जो जीवन और मृत्यु के बीच अंतर पैदा कर सकते हैं. और अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद भी कई बार परिणाम उनके वश में नहीं होता. यह एक ऐसा बोझ है जिसे कोई भी तब तक पूरी तरह समझ नहीं पायेगा, जब तक वह इस परिस्थिति से दो-चार नहीं होगा. डॉक्टरों को यह कहने का भी अधिकार नहीं है कि मैं आज ड्यूटी पर नहीं हूं. आपात स्थिति कभी भी आ सकती है. जहां हम वास्तविक डॉक्टरों का स्वागत और धन्यवाद करते हैं, वहीं एक असहज पर जरूरी चेतावनी भी है- हर वह व्यक्ति जो स्वयं को डॉक्टर कहता है, वास्तव में प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं होता. दुख की बात है कि कई जगहों पर ऐसे भी लोग हैं जो बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण या डिग्री के मरीजों का इलाज करने की कोशिश करते हैं. ये तथाकथित ‘झूठे डॉक्टर’, अक्सर लोगों की जान जोखिम में डाल देते हैं. ऐसे में हम सभी का चौकन्ना रहना जरूरी है. भले ही असली डॉक्टर चमत्कार का वादा न करें, पर वे हमेशा चिकित्सा विज्ञान की सीमाओं के भीतर आपकी बेहतर देखभाल का प्रयास करते हैं. डॉक्टर अपने पूरे करियर में निरंतर सीखते रहते हैं.


डॉक्टर्स डे पर धन्यवाद कहना अच्छा है, परंतु वास्तविक आभार का मतलब इस पेशे को समझना और उसका सम्मान करना भी है. इसका अर्थ यह पहचानना भी है कि डॉक्टर भी मनुष्य हैं. वे भी थक सकते हैं, बीमार हो सकते हैं. उनके भी परिवार हैं जिन्हें उनकी जरूरत होती है. उन्हें भी अन्य लोगों की तरह आराम और मानसिक स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता होती है. इसका अर्थ डॉक्टर की विशेषज्ञता पर भरोसा करना और शॉर्टकट यानी त्वरित समाधान की मांग न करना भी है. इसका अर्थ यह भी है कि जब परिणाम हमारे मन-मुताबिक न हों, तब हम हिंसा या दुर्व्यवहार का सहारा न लें- क्योंकि कोई भी डॉक्टर किसी की जान बचाने में विफल होना नहीं चाहता. इसका अर्थ यह भी है कि डॉक्टर के रूप में स्वयं को पेश करने वाले अयोग्य लोगों काे समर्थन या प्रोत्साहन न दें. हर तरह के तनाव, बलिदान और चुनौतियों के बावजूद अधिकांश डॉक्टर अपने पेशे को व्यापार नहीं बनाते. क्योंकि किसी रोगी को ठीक करने में मदद करने, उसके चेहरे पर राहत व मुस्कान देखने और किसी की जान बचाने से बहुत संतुष्टि मिलती है. डॉक्टर प्रसिद्धि या धन के लिए लंबे घंटे तक काम नहीं करते, वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें लोगों की परवाह होती है. इस डॉक्टर्स डे पर, आइए हम इस बात पर गंभीरता से विचार करें कि डॉक्टर होने के क्या अर्थ हैं.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar Digital Desk
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