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सरल है नया आयकर विधेयक, पढ़ें अभिजीत मुखोपाध्याय का लेख

New Income Tax Bill : देश की कर प्रणाली में बदलाव का काम बहुत समय से रुका पड़ा था. वर्ष 2009 और 2010 में डीटीसी यानी डायरेक्ट टैक्स कोड जैसे प्रस्ताव के जरिये कोशिशें की गयी थीं, पर बदलाव की वे कोशिशें जटिल थीं. सुधार की पिछली कोशिशों का विरोध भी हुआ. तब यह चिंता थी कि टैक्स सुधार से कहीं राजस्व के मोर्चे पर घाटा न उठाना पड़े.

New Income Tax Bill : सरकार ने विगत 13 फरवरी को लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश किया. पारित होने पर यह छह दशक पुराने 1961 के आयकर कानून की जगह ले लेगा और एक अप्रैल, 2026 से प्रभावी होगा. सरकार का यह प्रयास दरअसल प्रत्यक्ष कराधान के ढांचे को सरल, आधुनिक और सुव्यवस्थित करना है. इस विधेयक का मसौदा 622 पृष्ठों का है. कुल 23 अध्यायों और 536 खंडों में विभाजित इस विधेयक के पीछे कालातीत प्रावधानों को खत्म कर कराधान के मौजूदा मुख्य सिद्धांतों को बनाये रखना है.


देश की कर प्रणाली में बदलाव का काम बहुत समय से रुका पड़ा था. वर्ष 2009 और 2010 में डीटीसी यानी डायरेक्ट टैक्स कोड जैसे प्रस्ताव के जरिये कोशिशें की गयी थीं, पर बदलाव की वे कोशिशें जटिल थीं. सुधार की पिछली कोशिशों का विरोध भी हुआ. तब यह चिंता थी कि टैक्स सुधार से कहीं राजस्व के मोर्चे पर घाटा न उठाना पड़े. कैपिटल गेन्स के क्षेत्र में सुधार और कठोर बचाव-विरोधी उपायों का विरोध भी हुआ. आखिरकार सुधार के दोनों प्रस्तावों को वापस लेना पड़ा. बाद में केंद्र की अलग-अलग सरकारों ने कर ढांचे के मौजूदा प्रावधानों के अंदर ही सुधार लाने की कोशिश की. आयकर कानून में बदलाव के मौजूदा मसौदे में विधेयक के आकार और उसकी जटिलता खत्म करने के लिए उसके प्रावधानों को कम करने की कोशिश है. पूरे मसौदे को करीब 50 अध्यायों से घटाकर 23 अध्यायों में समेट दिया गया है.

इसकी 800 से भी अधिक धाराओं को भी घटाकर 536 कर दिया गया है. पृष्ठों की संख्या 1,600 से घटकर 622 रह गयी है. शब्द संख्या भी 5.12 लाख से घटकर 2.60 लाख रह गयी है. मसौदे का एक आकर्षक पक्ष यह है कि इसमें जटिल आंकड़ों को दिखाने के लिए टेबिल का इस्तेमाल किया गया है. मौजूदा मसौदे में 57 से अधिक टेबिल हैं. टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) और टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) की दरें, टैक्स छूट जैसे विवरण दर्शाने के लिए टेबिल का इस्तेमाल हुआ है. जबकि मौजूदा आयकर कानून के दस्तावेज में 18 टेबिल ही हैं. टेबिल के ज्यादा इस्तेमाल से महत्वपूर्ण जानकारियों को देख-समझ पाना ज्यादा आसान हो जायेगा. इसमें गलतियों की गुंजाइश भी न के बराबर है. अलबत्ता ये बदलाव ढांचागत बदलाव ही हैं. अध्यायों के ढांचे, आय की मदें, मूल प्रावधान तथा आकलन और अपील की प्रक्रियाओं को यथावत ही रखा गया है. मसौदे के मुताबिक, हर साल बजट के दौरान जो वित्त विधेयक पेश किया जायेगा, उसके तहत प्रस्तावित टैक्स सुधार सिर्फ उसी साल के लिए होंगे. यह पहले के डीटीसी से, जिसमें स्थायी आयकर ढांचे और व्यापक टैक्स ढांचे जैसे ज्यादा बड़े सुधार की बात थी, अलग है. नये मसौदे में महत्वपूर्ण पारिभाषिक बदलाव यह है कि ‘पिछले वर्ष’ और ‘आकलन वर्ष’ की दोहरी व्यवस्था को हटाकर ‘एकीकृत टैक्स ईयर’ का प्रावधान किया गया है. दोहरी व्यवस्था करदाताओं में भ्रम पैदा करती रही है. प्रस्तावित विधेयक में इस भ्रम को दूर कर ‘टैक्स ईयर’ का प्रावधान किया है, जो वित्त वर्ष से संबंधित है. जैसे, नये मसौदे में ‘पिछले वर्ष 2025-26’ और ‘आकलन वर्ष 2026-27’ की जगह सिर्फ ‘टैक्स ईयर 2025-26’ का प्रावधान किया गया है.

नया आयकर विधेयक नये व्यापार या नये पेशेवरों के लिए भी लाभदायक साबित होगा. इसमें नये व्यापार के लिए टैक्स ईयर नयी दुकान की शुरुआत या आय के नये स्रोत की शुरुआत के दिन से मानने का प्रस्ताव है. टैक्स ईयर की समाप्ति उस दिन होगी, जिस दिन संबंधित वित्त वर्ष की समाप्ति होगी. इसमें कई बदलाव भी प्रस्तावित हैं, जो अर्थव्यवस्था व तकनीकी प्रगति में आये बदलाव को प्रतिबिंबित करते हैं. ‘अघोषित आय’ की परिभाषा को व्यापक किया जाना इसी का उदाहरण है. मौजूदा आयकर कानून में रुपये-पैसे, सोना-चांदी, गहने और दूसरी कीमती चीजें अघोषित आय के तहत आती हैं. नये विधेयक में क्रिप्टोकरेंसी जैसी डिजिटल संपत्ति को भी अघोषित आय के अंतर्गत रखा गया है.


एक महत्वपूर्ण बदलाव के तहत प्रस्तावित विधेयक आयकर अधिकारियों को तलाशी के दौरान वर्चुअल डिजिटल स्पेस की तलाशी का भी अधिकार देता है. मौजूदा आयकर कानून तलाशी के दौरान अधिकारियों को भवनों में तलाशी लेने या जरूरत पड़ने पर ताला तोड़ने का अधिकार देता है. नया प्रस्ताव कर अधिकारियों को डिजिटल तलाशी का अधिकार भी देता है. नया आयकर कानून लागू होने के बाद अधिकारियों को अब आरोपी के ई-मेल या सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच करने का भी अधिकार होगा. हालांकि इस अधिकार का इस्तेमाल अगर विवेकसम्मत तरीके से नहीं किया गया, तो इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोगों के अधिकारों के हनन का आरोप लगेगा. महत्वपूर्ण ढांचागत और पारिभाषिक बदलावों के बावजूद आयकर के नये प्रस्ताव में आयकर कानून, 1961 के ज्यादातर प्रावधानों को जस का तस रखा गया है. जैसे, इसमें व्यक्तिगत आयकरदाताओं और कंपनियों के लिए कर व्यवस्था तथा दर में बदलाव नहीं किया गया है और ज्यादातर परिभाषाओं को भी बनाये रखा गया है. जुर्म और सजाओं में भी बदलाव नहीं किया गया है. आय के दायरे, आवासीय स्थिति निर्धारित करने के मानक, ढांचा, पूंजीगत लाभ कर, तथा दूसरी सीमाएं व दरें ज्यादातर मौजूदा टैक्स कानून तथा 2025 के बजट भाषण के अनुरूप हैं.

इसका मतलब यह है कि सरकार कर नियमों को सरल बनाना चाहती है, और राजस्व के नुकसान से आशंकित होने के कारण कर नीति में व्यापक सुधार की इच्छुक नहीं है. यानी आयकर सुधार के मामले में सरकार का रवैया परंपरावादी है. विदेशी कंपनियों पर कर लगाने के मामले में भी मौजूदा प्रस्ताव में सरकार का परंपरावादी रुख दिखायी देता है, जबकि पहले के सुधार की कोशिश में इस मोर्चे पर आमूलचूल बदलाव की कोशिश की गयी थी. नये आयकर विधेयक का उद्देश्य आयकर कानून को सरल और व्यावहारिक बनाना है. इस लिहाज से सरकार का यह कदम प्रशंसनीय है. मौजूदा आयकर कानून के ज्यादातर प्रावधानों को इसमें बनाये रखा गया है. दरअसल पहले आयकर सुधार की कोशिशों की जैसी तीखी आलोचना हुई थी, उसे देखते हुए ही सरकार ने ऐसा किया है, पर आरोपियों के ई-मेल और सोशल मीडिया खंगालने का अधिकार आयकर अधिकारियों को देने से संबंधित नये प्रस्ताव की निश्चय ही आलोचना होगी. नया आयकर विधेयक व्यक्तिगत आयकरदाताओं के लिए सरल है, इससे टैक्स रिटर्न फाइल करना पहले से कहीं आसान होगा. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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